
लखनऊ में एफएसडीए ने मथुरा से आई नकली पनीर की खेप पकड़ी। जानिए कैसे बनता है सिंथेटिक पनीर, उसके नुकसान और असली-नकली की पहचान के तरीके। सेहत के लिए ज़रूरी सावधानियां भी पढ़ें।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ: अगर आप सस्ता पनीर देखकर खुश हो रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। राजधानी लखनऊ के अर्जुनगंज इलाके में खाद्य सुरक्षा विभाग (एफएसडीए) की कार्रवाई में मथुरा से आई सिंथेटिक पनीर की एक बड़ी खेप जब्त की गई है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि त्योहारों और शादी-ब्याह के मौसम में बढ़ती मांग के चलते बाजार में नकली और मिलावटी पनीर की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है।
कैसे बनता है सिंथेटिक पनीर?
दरअसल, सिंथेटिक पनीर बनाने की प्रक्रिया में मिल्क पाउडर में पानी मिलाकर उसे नींबू का रस या एसिटिक एसिड से फाड़ा जाता है। इसके बाद उसमें रिफाइंड या पाम ऑयल और अन्य एडिटिव मिलाकर उसे क्रीमी और आकर्षक बनाया जाता है। अर्जुनगंज में एफएसडीए द्वारा पकड़ी गई खेप भी इसी प्रक्रिया से तैयार की गई थी।
चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां पनीर को और अधिक सख्त और सफेद बनाने के लिए उसमें डिटर्जेंट तक मिलाया जा रहा है। ऐसे पनीर को तकनीकी रूप से एडल्टरेटेड पनीर कहा जाता है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है।
सहालग में बढ़ती मांग, बढ़ रहा है खतरा
गौरतलब है कि शादी-ब्याह और तीज-त्योहारों के सीजन में पनीर की मांग कई गुना बढ़ जाती है। एफएसडीए के अधिकारियों का कहना है कि अब पनीर केवल एक व्यंजन नहीं रहा, बल्कि स्टेटस सिंबल बन गया है। इसी मांग को पूरा करने के लिए कुछ व्यापारी घटिया और मिलावटी पनीर बेचने से भी नहीं हिचक रहे हैं।
क्या है रेट में फर्क?
अगर आप सस्ता पनीर खरीद रहे हैं, तो ज़रा ठहरिए। असली पनीर जहां ₹400 से ₹500 प्रति किलो की दर से बाजार में मिलता है, वहीं नकली पनीर मात्र ₹250 से ₹300 में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। यही कीमत का फर्क अक्सर ग्राहकों को भ्रमित कर देता है।
नकली पनीर की पहचान कैसे करें?
स्पर्श से पहचान: चुटकी से दबाने पर असली पनीर टूटता है, जबकि नकली पनीर स्पंज की तरह दबता है।
स्वाद से परीक्षण: असली पनीर मुंह में डालते ही घुल जाता है। अगर पनीर चबाकर खाना पड़े तो समझिए वह नकली है।
घरेलू परीक्षण: अरहर की दाल का पाउडर लें और उसमें पनीर का टुकड़ा लपेटकर 10 मिनट छोड़ दें। यदि वह हल्का लाल हो जाए तो वह सिंथेटिक है।
पनीर खरीदते समय बरतें ये सावधानियां
बनावट व गंध: यदि पनीर ज्यादा चिकना, रबर जैसा हो और उसमें दूध जैसी गंध न हो, तो वह मिलावटी हो सकता है।
पैक्ड पनीर: खरीदते समय एफएसएसएआई (FSSAI) का मार्क अवश्य जांचें।
खुला पनीर: लोकल डेयरियों से पनीर लेते समय उसके स्रोत और गुणवत्ता की जानकारी जरूर लें।
सेहत पर असर: दिख सकता है तुरंत और दीर्घकालिक नुकसान
सिंथेटिक पनीर खाने से पेट में दर्द, उल्टी, दस्त और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, यदि आप सप्ताह में एक या दो बार भी नकली पनीर खा रहे हैं, तो यह किडनी और लिवर पर गहरा असर डाल सकता है। दीर्घकाल में इससे गंभीर बीमारियां जन्म ले सकती हैं।
वर्तमान में, जब बाजार में हर चीज़ की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, उपभोक्ताओं को अपनी जागरूकता भी बढ़ानी होगी। खासकर खाद्य पदार्थों के मामले में, सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, सेहत के लिए भी सही विकल्प चुनना ज़रूरी है। अगली बार जब आप पनीर खरीदें, तो उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर करें—क्योंकि आपकी सेहत किसी भी कीमत से कहीं ज्यादा कीमती है।