
देवरिया के नौशाद हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा। पत्नी रजिया सुल्तान ने प्रेमी रोमान और उसके दोस्त संग मिलकर की निर्मम हत्या। सूटकेस में छूटे एयरपोर्ट टैग और पासपोर्ट कॉपी ने खोला राज।
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
गुनाह चाहे जितना भी छिपाया जाए, वह एक दिन अपने आप बोल उठता है…
देवरिया के भटौली गांव में हुए नौशाद हत्याकांड ने इस कहावत को फिर से सच साबित कर दिया। दुबई से छुट्टी पर घर लौटे नौशाद की निर्मम हत्या उसी की पत्नी रजिया सुल्तान ने अपने प्रेमी रोमान और उसके साथी हिमांशु के साथ मिलकर कर दी। मगर कातिलों की एक छोटी सी गलती ने उनकी सारी चालाकी पर पानी फेर दिया। सूटकेस में शव छिपाते समय वे एयरपोर्ट टैग और पासपोर्ट की फोटो कॉपी हटाना भूल गए। बस, यहीं से हत्या की गुत्थी सुलझनी शुरू हो गई।
हत्या की रात: बेरहमी की इंतिहा
शनिवार की रात, जब पूरा गांव गहरी नींद में था, तब रजिया और उसके साथी नौशाद की जिंदगी के पन्ने बंद कर रहे थे। यह कोई आम हत्या नहीं थी, बल्कि सोच-समझकर की गई एक खौफनाक साजिश थी। धारदार हथियार से नौशाद पर छह से अधिक बार वार किया गया। जब यकीन हो गया कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहा, तो उसकी लाश को पहले एक छोटे बैग में भरने की कोशिश की गई। लेकिन जब वह मुमकिन नहीं हुआ, तब रजिया को नौशाद का दुबई से लाया गया बड़ा सूटकेस याद आया।
वो चूक जो बना पुलिस का सुराग
रजिया ने सूटकेस तो खाली कर दिया, लेकिन एयरपोर्ट टैग और पासपोर्ट की कॉपी वहीं रह गई। जब फॉरेंसिक टीम ने जांच शुरू की, तो इन्हीं सबूतों से उनकी शिनाख्त हुई। पुलिस को शक हुआ, और थोड़ी ही पड़ताल में नौशाद की पत्नी रजिया का नाम सामने आ गया। जब पूछताछ शुरू हुई, तो रजिया ने पहले झूठ की कई परतें बुनने की कोशिश की, पर जल्द ही टूट गई और अपना गुनाह कबूल कर लिया।
प्रेम संबंध बना हत्या की वजह
जानकारी के मुताबिक, नौशाद की गैरमौजूदगी में रजिया और गांव के ही उसके रिश्तेदार रोमान के बीच नजदीकियां बढ़ गई थीं। बात यहां तक पहुंच गई कि एक साल पहले पंचायत तक बैठानी पड़ी। नौशाद ने इन संबंधों पर सख्ती दिखाई थी, लेकिन उसके दुबई लौटते ही यह रिश्ता फिर परवान चढ़ने लगा। रजिया और रोमान को लगने लगा कि नौशाद उनकी राह का रोड़ा है। अंततः उन्होंने उसे ही रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली।
पुलिस को नहीं था शक, पर कातिलों का आत्मविश्वास ही बना गुनाह का कारण
रजिया और उसके साथियों को यकीन था कि उन्होंने कत्ल के बाद सारे सबूत मिटा दिए हैं। उन्होंने खून के धब्बों को साफ किया, शव को बोरे और बेडशीट में बांधा और सबकुछ संभाल लिया। लेकिन वे यह भूल गए कि हर गुनाह एक न एक सुराग जरूर छोड़ जाता है। और इस बार वह सुराग था – सूटकेस का एयरपोर्ट टैग और पासपोर्ट की कॉपी।
मासूम बेटी का भविष्य अधर में
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अधिक पीड़ित हुई है नौशाद और रजिया की आठ साल की मासूम बेटी। एक तरफ पिता की हत्या और दूसरी ओर मां का जेल जाना – इन दोनों घटनाओं ने उसके बचपन को झकझोर कर रख दिया है। गांववालों और रिश्तेदारों को उसकी चिंता सता रही है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं कि उसका भविष्य क्या होगा।
गांव में गुस्सा, परिजन की मांग- मिले फांसी की सजा
गांववाले रजिया के इस रूप को देखकर सन्न हैं। हर कोई यही कह रहा है कि नौशाद एक नेकदिल इंसान था, जिसने पत्नी की गलतियों को कई बार नजरअंदाज किया। लेकिन उसकी दरियादिली का इनाम उसे मौत के रूप में मिला। नौशाद के पिता मन्नू अहमद का हाल बुरा है। वे रजिया, रोमान और हिमांशु को फांसी की सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
गुनाह कितना भी चालाकी से किया जाए, उसका पर्दाफाश तय है
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कोई भी अपराध चाहे जितनी सफाई से किया जाए, सच छिप नहीं सकता। रजिया और उसके साथियों ने एक परिवार को बर्बाद कर दिया, और खुद के लिए भी जीवनभर का अंधकार चुन लिया। कानून का शिकंजा अब रोमान और हिमांशु के भी करीब पहुंच चुका है, और जल्द ही उन्हें भी अपने गुनाहों का हिसाब देना होगा।