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25 February 2025 11:07 pm

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पूर्वांचल का दबंग, ऐसा क्रूर बदला लिया कि खड़े हो जाएंगे रोंगटे, यहीं से शुरू हुई गैंगवार

91 पाठकों ने अब तक पढा

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश और बिहार का नाम जब अपराध और गैंगवार की चर्चा होती है, तो सबसे पहले लिया जाता है। एक समय था जब इन राज्यों में अपराध, अपहरण और गैंगवार चरम पर थे। हर कोई बाहुबली बनने की चाहत रखता था, जिससे समाज में दहशत फैलाई जा सके। इसी वजह से कई निर्दोष लोग अपराध की दुनिया में घसीटे गए और फिर उस दलदल से निकल नहीं पाए।

गैंगवार की ऐसी ही एक खौफनाक कहानी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से जुड़ी है, जिसे पूर्व डीजीपी बृज लाल ने एक पॉडकास्ट में साझा किया। यह घटना शिवपूजन कुशवाहा और ललन पांडे की दुश्मनी से शुरू हुई, जिसने गाजीपुर में गैंगवार की आग भड़का दी।

दरौली गांव में अपराध का बीज

गाजीपुर जिले के दरौली गांव (थाना जमानिया) में यह घटना 90 के दशक की है। यहां शिवपूजन कुशवाहा, जो पेशे से लेखपाल था, लेकिन अपने दबंग स्वभाव और रौबदार मूंछों के कारण पूरे इलाके में खौफ का दूसरा नाम बन चुका था।

गांव में होलिका दहन की परंपरा थी, जहां पांडेय समाज के लोग समाज की जमीन पर होलिका जलाते थे। लेकिन शिवपूजन कुशवाहा इस पर रोक लगाना चाहता था, क्योंकि यह क्षेत्र कुशवाहा समाज का बाहुल्य क्षेत्र था।

शिवपूजन कुशवाहा बनाम ललन पांडे: टकराव की शुरुआत

इसी विवाद के बीच ललन पांडे, जो इंटरमीडिएट का छात्र था और उभरता हुआ पहलवान, घर लौटा तो उसकी मां ने बताया कि उसके पिता को शिवपूजन कुशवाहा और उसके आदमियों ने पीटा है। यह सुनते ही ललन पांडे गुस्से में अकेले ही शिवपूजन से भिड़ गया, लेकिन वह भी बुरी तरह पिट गया।

1970 के दशक के एक ग्रामीण भारतीय गांव में हिंसक गैंगवार का सांकेतिक चित्रण। तस्वीर में तलवार और डंडों से लड़ते पुरुष दिखाई दे रहे हैं, जबकि एक युवा क्रोधित व्यक्ति प्रतिशोध स्वरूप कटे हुए सिर को ऊंचा उठाए हुए है। पृष्ठभूमि में जलती हुई होलिका, गांव की झोपड़ियां और एक तनावपूर्ण, अंधकारमय आसमान नजर आ रहा है, जो इस भयावह घटना की गंभीरता को दर्शाता है।

अपमान और गुस्से से भरा ललन पांडे घर लौटा और अपनी मां से कसम खाई – “अब इनको होली नहीं मनाने दूंगा।”

शिवपूजन कुशवाहा की हत्या और होलिका दहन

7 मार्च 1974 को जब होलिका दहन होना था, तभी शिवपूजन कुशवाहा जमानिया से लौट रहा था। इसी दौरान ललन पांडे ने अचानक उस पर हमला कर दिया और उसका सिर काट दिया।

इसके बाद कटा हुआ सिर बालों से पकड़कर ललन पांडे होली की आग में डाल दिया, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

गाजीपुर गैंगवार की पहली चिंगारी

इस खौफनाक हत्या के बाद गाजीपुर में अपराध और गैंगवार का दौर शुरू हुआ। शिवपूजन कुशवाहा के साथी – साधु सिंह और मकनू सिंह ने बदला लेने की ठानी। 8 मार्च 1974 की सुबह गांव में गोलीबारी हुई, लेकिन ललन पांडे किसी तरह बच निकला।

यह घटना गाजीपुर में गैंगवार की पहली बड़ी घटना मानी जाती है, जिसके बाद अपराध की जड़ें गहरी होती गईं और वर्षों तक रंजिश का यह खेल चलता रहा।

गाजीपुर की यह घटना उत्तर प्रदेश और बिहार में अपराध और बाहुबल की मानसिकता को दर्शाती है। छोटे विवाद कैसे बड़े अपराधों का रूप ले सकते हैं, इसका यह एक बड़ा उदाहरण है। आज, हालांकि पुलिस प्रशासन ने अपराध पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया है, लेकिन ऐसी घटनाएं हमें अपराध मुक्त समाज की जरूरत का अहसास कराती हैं।

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