आजमगढ़

परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी, DIOS दोषी पाए गए, जाँच रिपोर्ट शासन को भेजी गई

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़ में यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। इस घोटाले में जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) उपेंद्र कुमार भी दोषी पाए गए हैं। संयुक्त शिक्षा निदेशक (JD) दिनेश सिंह की जांच में यह खुलासा हुआ कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है, जिसके चलते पहले ही परीक्षा प्रभारी उमाकांत यादव और एक लिपिक (बाबू) को निलंबित किया जा चुका है। अब इस मामले में डीआईओएस की भी संलिप्तता उजागर हुई है, और उनकी भूमिका की जांच के बाद शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है।

कैसे हुआ परीक्षा केंद्र निर्धारण में घोटाला?

इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए जिले में 282 केंद्र निर्धारित किए गए थे, लेकिन शिकायतें मिलने के बाद पता चला कि परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में मनमानी की गई थी। शिक्षक संगठनों और विभिन्न विद्यालयों ने इस अनियमितता की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया।

शिक्षक संगठनों के अनुसार, परीक्षा केंद्र बनाने के लिए ₹2.5 लाख तक की रिश्वत वसूली गई थी। नेता विरोधी दल लाल बिहारी यादव, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक रामजन्म सिंह और श्री दुर्गाजी इंटर कॉलेज की ओर से इस मामले की शिकायत माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के सचिव से की गई थी, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए।

जांच में क्या-क्या गड़बड़ियां पाई गईं?

1. 165 परीक्षा केंद्रों के छात्रों के परीक्षा स्थल अचानक बदल दिए गए।

2. परीक्षा केंद्र निर्धारण में शासनादेश का पालन नहीं किया गया। जिन विद्यालयों का गुणांक (स्कूल की योग्यता) अधिक था, उन्हें परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया, जबकि कम गुणांक वाले विद्यालयों को केंद्र बना दिया गया।

3. कुछ छात्रों के परीक्षा केंद्र 75 किलोमीटर दूर निर्धारित कर दिए गए, जिससे उनके लिए परीक्षा देना अत्यधिक कठिन हो गया। बाद में छात्रों के हित में कुछ संशोधन किए गए।

4. बैठकों में फर्जीवाड़ा: जांच में यह सामने आया कि परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर दो बैठकों का जिक्र किया गया था—एक बैठक डीएम नवनीत सिंह चहल की अध्यक्षता में हुई थी, लेकिन दूसरी बैठक के बारे में कोई प्रमाण नहीं मिला। इसके बावजूद कागजों में दूसरी बैठक को दर्शाया गया था।

5. हस्ताक्षरों में गड़बड़ी: जब इन बैठकों के दस्तावेजों पर किए गए हस्ताक्षरों की जांच हुई तो डीएम सहित अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे थे। इससे यह संदेह पैदा हुआ कि दस्तावेजों में हेरफेर किया गया है।

क्या होगी आगे की कार्रवाई?

संयुक्त शिक्षा निदेशक दिनेश सिंह ने अपनी रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव को भेज दी है, और शासन स्तर पर इस पर कार्रवाई लंबित है। चूंकि यह गड़बड़ियां जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) के नेतृत्व में हुई हैं, इसलिए उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। अब देखना यह है कि शासन इस पर क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ क्या दंडात्मक कार्रवाई होती है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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