संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट | उत्तर प्रदेश के रानीपुर टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। हाल ही में बरगढ़ रेंज के जंगलों में एक तेंदुए का शव मिलने से हड़कंप मच गया। स्थानीय ग्रामीणों ने इस मृत तेंदुए की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर दीं, जिसके बाद वन विभाग हरकत में आया और आनन-फानन में तेंदुए का पोस्टमार्टम कराया गया। हालांकि, तेंदुए की मौत की वास्तविक वजह को लेकर अभी भी कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है।
वन विभाग की लापरवाही उजागर
रानीपुर टाइगर रिजर्व को स्थापित करने का उद्देश्य वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। वन विभाग की लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता के चलते यहां वन्यजीवों की मौतें लगातार हो रही हैं। वन रेंज में तैनात अधिकारी और कर्मचारी सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे, जिसका खामियाजा दुर्लभ वन्यजीवों को भुगतना पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, बरगढ़ रेंज के पियरा गांव के पास जंगल में इस तेंदुए का शव पड़ा हुआ था। बताया जा रहा है कि तेंदुए की मौत करंट लगने से हुई थी, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि शव करीब चार दिनों तक जंगल में पड़ा रहा और किसी भी वनकर्मी को इसकी भनक तक नहीं लगी। ग्रामीणों ने जब इस मृत तेंदुए को देखा, तो उन्होंने उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर दीं, जिसके बाद वन विभाग जागा और पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू की गई।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब रानीपुर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की मौत को लेकर सवाल खड़े हुए हों। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन वन विभाग हर बार लीपापोती कर मामले को दबाने की कोशिश करता रहा है।
बरगढ़ रेंज में तैनात वन क्षेत्राधिकारी राजेंद्र कुमार नेगी की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जब वे कौड़िया रेंज (बिजनौर) में तैनात थे, तब वहां भी वन्यजीवों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की घटनाएं सामने आई थीं। सबसे चौंकाने वाली घटना तब हुई थी, जब गन्ने के खेत में मृत मिले एक हाथी के शव को गायब कर दिया गया था। आरोप है कि हाथी के दोनों दांत निकाल लिए गए थे और उसके शव को बिना पोस्टमार्टम के ही दफना दिया गया था। इसके बाद किसानों को कार्रवाई का डर दिखाकर लाखों रुपये ऐंठे गए थे।
अब जब वही अधिकारी बरगढ़ रेंज में तैनात हैं, तो तेंदुए की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के जिला सह संयोजक चंद्रमोहन द्विवेदी ने वन विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ग्रामीणों ने तेंदुए की तस्वीरें वायरल नहीं की होतीं, तो शायद इस घटना की भनक किसी को नहीं लगती और वन विभाग इस मामले को भी दबा देता।
सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति
रानीपुर टाइगर रिजर्व के उप निदेशक प्रत्यूष कुमार कटियार से लोगों को उम्मीद थी कि उनके कार्यकाल में हालात सुधरेंगे, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अभी भी अपनी मनमानी कर रहे हैं। सुरक्षा उपायों के अभाव में वन्यजीवों के शिकार और अवैध गतिविधियों पर रोक नहीं लग पा रही है।
वनकर्मियों की गैर-जवाबदेही सिर्फ वन्यजीवों तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यटन से जुड़े मामलों में भी यह लापरवाही देखने को मिली है। इससे पहले, जब प्रदेश के प्रभारी मंत्री मनोहर लाल उर्फ मन्नू कोरी ने रानीपुर टाइगर रिजर्व का दौरा किया था, तब उनकी सुरक्षा में भारी चूक हुई थी। एक फर्जी गाड़ी और फर्जी ड्राइवर के सहारे उन्हें भ्रमण कराया गया था, जिसे लेकर प्रशासन को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी।
क्या मिलेगा इंसाफ?
अब सवाल उठता है कि क्या रानीपुर टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाए जाएंगे? क्या वन विभाग उन अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा, जो अपनी जिम्मेदारियों से बचते रहे हैं?
यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि जब जंगलों में वन्यजीवों की सुरक्षा तक सुनिश्चित नहीं हो पा रही है, तो पर्यटकों की सुरक्षा की क्या गारंटी दी जा सकती है? क्या पर्यटक बिना किसी भय के इस रिजर्व में घूम सकते हैं?
रानीपुर टाइगर रिजर्व में इस तरह की घटनाएं बार-बार दोहराई जा रही हैं, जिससे न सिर्फ वन्यजीवों की सुरक्षा को खतरा है, बल्कि इस क्षेत्र के पर्यटन विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वन विभाग को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।