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18 December 2024 6:30 pm

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तीसरी बेटी पैदा होने पर मां की मर गई ममता ; 7 दिन के नवजात बच्ची को चूल्हे में झोंक दिया, आगे जो हुआ आप खुद पढें

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उन्नाव: जिले से एक ऐसी भयावह घटना सामने आई है, जिसने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया। आसीवन थाना क्षेत्र के कायमपुर निंबरवारा गांव में एक मां ने अपनी सात दिन की नवजात बच्ची को जलते चूल्हे के अंगारों में फेंक दिया, जिससे मासूम गंभीर रूप से झुलस गई। इस हृदयविदारक घटना के बाद इलाके में माताओं और महिलाओं के बीच गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। बच्ची की हालत नाजुक है और उसका इलाज लखनऊ के सिविल अस्पताल में चल रहा है।

घटना का विवरण

इस घटना का आरोपी सोनू नामक मजदूर की पत्नी रोशनी है। सोनू ने बताया कि करीब आठ साल पहले उसने रोशनी से कोर्ट मैरिज की थी। उनके तीन बच्चे – सात साल की खुशी, पांच साल की काव्या, और तीन साल का आर्यन – पहले से हैं। बीते 2 नवंबर को रोशनी ने एक और बेटी को जन्म दिया था। परंतु, नवजात के जन्म से रोशनी खुश नहीं थी।

घटना 8 नवंबर 2024 की शाम करीब 7 बजे की है। रोशनी ने अपनी सात दिन की मासूम बच्ची को जलते हुए चूल्हे में फेंक दिया। बच्ची की बड़ी बहन खुशी ने जब यह दृश्य देखा तो उसकी चीख निकल गई। पिता सोनू जब घर के अंदर भागकर आया तो अपनी नन्हीं बेटी को चूल्हे की आग में झुलसता देखकर सन्न रह गया। सोनू ने तत्काल बच्ची को जलते चूल्हे से बाहर निकाला और उसे इलाज के लिए मियागंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले गया। बच्ची की हालत गंभीर देख डॉक्टरों ने उसे लखनऊ के सिविल अस्पताल रेफर कर दिया।

पति ने लगाया नशे का आरोप

सोनू का आरोप है कि उसकी पत्नी रोशनी नशे की आदी है। वह अक्सर नशे की हालत में हिंसक हो जाती है। सोनू ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात कही है। इस घटना के बाद पूरे गांव में माताओं और महिलाओं में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि किसी भी मां से ऐसी क्रूरता की उम्मीद नहीं की जा सकती।

महिलाओं ने की मानसिक इलाज की मांग

गांव की कई महिलाओं ने इस घटना के बाद रोशनी की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर रोशनी मानसिक रूप से अस्वस्थ है तो उसका समुचित इलाज होना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यह घटना समाज में फैले नशे, मानसिक स्वास्थ्य, और नवजातों के प्रति माता-पिता की जिम्मेदारी जैसे मुद्दों पर गहराई से सोचने की जरूरत को उजागर करती है।

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