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प्रयागराज

रोडपति से बनी 17 करोड़ की मालकिन? पति की मौत ने यूं बदली जिदंगी, पूजा पाल का भाजपा को समर्थन

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सरगर्मी बढ़ गई है, क्योंकि 20 नवंबर को 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन सीटों में से एक प्रमुख सीट प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट है, जहां इस बार भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी हैं। इस बार का उपचुनाव और भी दिलचस्प हो गया है क्योंकि सपा विधायक पूजा पाल ने भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल के पक्ष में प्रचार करना शुरू कर दिया है, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है।

पंचर बनाने वाले की बेटी से राजनीति की ऊंचाइयों तक का सफर

पूजा पाल का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, जहां उनके पिता पंचर बनाने का काम करते थे। सीमित आर्थिक संसाधनों के बीच पूजा ने अपनी पढ़ाई पूरी की और परिवार का सहारा बनने के लिए एक निजी अस्पताल में नौकरी शुरू की। इसी दौरान उनकी मुलाकात प्रयागराज के पश्चिमी विधानसभा सीट के विधायक राजू पाल से हुई। राजू पाल ने 2004 के विधानसभा चुनाव में माफिया और राजनेता अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर विधानसभा सदस्यता हासिल की थी।

राजू पाल और पूजा के बीच नजदीकियां बढ़ीं और जल्द ही दोनों ने शादी करने का फैसला किया। 2005 में दोनों की शादी हुई, लेकिन दुर्भाग्यवश शादी के मात्र 9 दिन बाद, 25 जनवरी 2005 को, राजू पाल की हत्या कर दी गई। यह हत्या दिनदहाड़े प्रयागराज की सड़कों पर हुई, जिसके पीछे अतीक अहमद का नाम सामने आया। इस हादसे ने पूजा पाल की जिंदगी को पूरी तरह बदल कर रख दिया।

विधवा बनने के बाद मायावती का साथ

पति की हत्या के बाद पूजा पूरी तरह टूट चुकी थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उनकी परिस्थिति को समझते हुए 2007 में उन्हें पश्चिमी विधानसभा सीट से बसपा का टिकट दिया। चुनाव में पूजा पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराया और पहली बार विधायक बनीं।

इसके बाद 2012 के चुनाव में भी उन्होंने विजय हासिल की। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में, उन्हें भाजपा के सिद्धार्थ नाथ सिंह से हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद उन्होंने सपा का दामन थामा और 2022 में कौशांबी की चायल विधानसभा सीट से सपा विधायक के रूप में चुनी गईं।

18 साल बाद मिला न्याय

पूजा पाल के संघर्ष की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पति की हत्या के बाद से ही उन्होंने न्याय की लड़ाई शुरू की थी। इस बीच, 2015 में उनकी सास रानी पाल का भी निधन हो गया। उन्होंने अंतिम संस्कार के दौरान यह वादा किया कि वह अपने पति के हत्यारों को सजा दिलवाकर रहेंगी। योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में पूजा पाल को 18 साल के लंबे संघर्ष के बाद न्याय मिला। अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई और उन्हें जेल भेजा गया।

करोड़ों की संपत्ति का सफर

पूजा पाल की संपत्ति में पिछले कुछ वर्षों में काफी वृद्धि हुई है, जिसने सभी का ध्यान खींचा है।

2012 में उन्होंने अपनी संपत्ति 1 करोड़ रुपए और देनदारियां 41 लाख रुपए घोषित की थीं।

2017 में उनकी संपत्ति 1 करोड़ और देनदारियां 25 लाख रुपए रहीं।

2022 में, उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 17 करोड़ रुपए और देनदारियां 1 करोड़ रुपए दर्ज कीं।

भाजपा के समर्थन में आईं पूजा पाल

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सपा विधायक होते हुए भी पूजा पाल इस बार फूलपुर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार दीपक पटेल के लिए प्रचार कर रही हैं। पूजा का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के शासन में ही उन्हें न्याय मिला, इसलिए वह भाजपा के साथ खड़ी हैं। फूलपुर सीट पर पाल समुदाय के 20,000 से अधिक वोट हैं, जिन पर पूजा का प्रभाव मजबूत माना जाता है। ऐसे में उनके भाजपा के पक्ष में प्रचार करने से भाजपा को इस उपचुनाव में बढ़त मिल सकती है।

फूलपुर में त्रिकोणीय मुकाबला

फूलपुर सीट पर इस बार भाजपा, सपा और बसपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। सपा ने इस सीट को बचाने के लिए अपने सारे प्रयास शुरू कर दिए हैं, वहीं बसपा भी इसे जीतने की कोशिश में लगी है। लेकिन पूजा पाल के भाजपा के पक्ष में प्रचार करने से सपा के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।

इस चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भविष्य में किस दल का दबदबा रहेगा और आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में इसका क्या असर पड़ेगा।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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