अरमान अली की रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के हालिया नतीजों ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर में बड़े बदलाव किए हैं। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के गठबंधन ने बहुमत हासिल कर लिया है, जो कुल 48 सीटें जीतकर सत्ता में आने के लिए आवश्यक 46 सीटों के आंकड़े से ऊपर है। इस गठबंधन में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42 सीटें और कांग्रेस को 6 सीटें प्राप्त हुई हैं।
चुनाव नतीजों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबसे अधिक 25.64 प्रतिशत वोट शेयर मिला है, लेकिन यह सिर्फ 29 सीटें ही जीत सकी है। दूसरी ओर, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 23.43 प्रतिशत वोट हासिल किए और उसे 19 सीटें मिलीं। कांग्रेस को 11.97 प्रतिशत वोट शेयर मिला, जबकि पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) को 8.47 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन उसे केवल 3 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
अमित शाह ने जताया आभार
चुनाव परिणामों के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भाजपा को सबसे अधिक वोट प्रतिशत मिलने से यह साबित होता है कि राज्य की जनता पार्टी की विकास और सुरक्षा की नीतियों में भरोसा रखती है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करने और इसे देश के अन्य हिस्सों की तरह विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस का नेतृत्व और उमर अब्दुल्ला की जीत
चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की है कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उमर अब्दुल्ला ने बडगाम और गांदरबल से चुनाव लड़ा था, और दोनों सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की।
महबूबा मुफ्ती की बेटी की हार
इस चुनाव का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से हार गईं। उन्होंने अपनी हार स्वीकारते हुए जनता के फैसले का सम्मान किया और कहा कि वह भविष्य में भी जनता के हित में काम करती रहेंगी।
भाजपा का प्रदर्शन और अन्य दल
हालांकि भाजपा ने सबसे अधिक वोट शेयर हासिल किया, लेकिन सीटों के मामले में वह कांग्रेस और एनसी गठबंधन से पीछे रही। भाजपा को 29 सीटें मिलीं, जबकि पीडीपी केवल 3 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। इस बीच, 7 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनाव जीते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने नौशेरा सीट से हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
जम्मू-कश्मीर की नई राजनीतिक दिशा
इन चुनाव परिणामों से स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक परिस्थितियों में बड़े बदलाव हो रहे हैं। कांग्रेस-एनसी गठबंधन की बहुमत के बावजूद भाजपा का मजबूत वोट प्रतिशत यह संकेत देता है कि पार्टी घाटी में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक समीकरण भविष्य में कैसे विकसित होते हैं और जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य को किस दिशा में ले जाते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."