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गोरखपुर

राप्ती तट पर स्थित शमशान घाट के किनारे मरण शैया पर बैठा एमबीए पास दो दशकों से चुनाव लड़ने वाले “अर्थी बाबा”…जानते हैं आप? 

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विनीत मिश्रा की रिपोर्ट

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से इस बार एक अनोखा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है जो लोगों के बीच अपने कार्यशैली से चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि नामांकन से पहले ही उसने अपना चुनाव कार्यालय राप्ती नदी तट स्थित, शमशान घाट पर खोल कर मरण शैय्या पर ही अपना आसन बना लिया है। 

राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा के नाम से मशहूर यह शख्स पिछले दो दशक से गोरखपुर से लेकर दिल्ली सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी अपनी पहचान, संघर्षों और आन्दोलन से बनाता रहा है। 

एमबीए इंटरनेशनल मार्केटिंग की डिग्री लेने के बाद कोई जॉब न कर, सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य से राजनीतिक मंच का सहारा ले आंदोलन करने वाले यह अर्थी बाबा अब तक विधानसभा लोकसभा सहित कई चुनावों में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। लेकिन सफलता अबतक किसी चुनाव में नहीं मिली।

राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा मूलतः खजनी के निवासी है। उनका कहना है कि शमशान घाट ही उनका कार्यालय होगा। यहां आने वाले लोगों से एक-एक रुपए सहयोग लेकर वह अपने चुनाव का खर्च निकालेंगे। आत्माएं ही उनका एजेंट होंगी, क्योंकि इस देश को आत्माएं ही चला रही हैं, जब मूर्ति स्थापना के दौरान उनमें प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है तो फिर चुनाव के दौरान आत्मा एजेंट क्यों नहीं बन सकती? 

गोरखपुर की धरती पर बाहरी और नाचने गाने वाले लोग चुनाव लड़कर जीते, यह गोरखपुर के भविष्य के लिए ठीक नहीं है।

यहां उस व्यक्ति को चुनाव लड़ना और जीतना चाहिए जो यहां की समस्याओं और लोगों के बारे में जानता हो। मुझे भले ही गोरखपुर की जनता ने अभी तक जीत नहीं दिलाई है लेकिन, शमशान घाट की इस धरा से मैंने कई आंदोलनो की नीव रखी है जिसका नतीजा है कि गोरखपुर में एम्स बना, फर्टिलाइजर का खाद कारखाना खुला, राप्ती नदी तट पर बढ़िया घाट बना, अन्य कई काम इन्हीं आंदोलन की देन है। जिसे योगी आदित्यनाथ भी बतौर सांसद देखते रहे हैं। जब वह मुख्यमंत्री बन गए तो उनसे मिलकर मैने जो प्रस्ताव रखा उसको उन्होंने माना फलस्वरूप तमाम कार्य दिखाई भी दे रहे हैं।

राजन यादव कहते हैं कि मौजूदा समय में लोकतंत्र की हत्या और उसकी अर्थी निकल रही है। ऐसे में अगर वह शमशान घाट पर लोकसभा का कार्यालय खोलते हैं और अर्थी पर बैठकर अपना नामांकन करने जाते है तो, समें कुछ भी गलत नहीं है। क्योंकि जब लोकतंत्र का जनाजा निकल रहा है तो ऐसे में संसद में पहुंचने वाले लोग इस जनाजे पर सवार होकर नामांकन करें इसमें क्या बुराई है?

मैं इसीलिए आज तक कुंवारा हूं क्योंकि, देश की राजनीति और लोकतंत्र को बचाने के लिए मेरे जैसे तमाम नेता बिना शादी विवाह के जुटे हैं, वैसे ही मैं भी जुटा हूं। मैं भगवान बुद्ध की शरण में भी जा चुका हूं। मैंने दीक्षा भी ले रखी है। इस देश का तभी कल्याण होगा जब सभी लोग बुद्ध के शरण में आ जाएं। अखिलेश, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव तब तक अपनी राजनीति में सफल नहीं हो पाएंगे जब तक वह बुद्ध की शरण में नहीं आएंगे। बुद्ध की शरण में आने के बाद ही वह कोई परिवर्तन लाने में सफल हो पाएंगे ऐसा मेरा मानना है।

राजन यादव केजरीवाल के ऊपर भी जमकर निशाना साधते हुए कहते है कि अन्ना आंदोलन में मै भी केजरीवाल और अन्ना जी के साथ था। मेरी भी गिरफ्तारी हुई थी। मुझे भी तिहाड़ जेल भेजा जा रहा था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने मुझे दिल्ली से उठाकर गोरखपुर भेज दिया। नहीं तो आज दिल्ली की राजनीति में अर्थी बाबा का अलग नाम और पहचान होती।

केजरीवाल ने आम जनता के साथ धोखा किया है। वह बड़े लोगों के नेता हैं। दलित, पिछड़े, कमजोर वर्ग से उनका कोई लेना देना नहीं। इसीलिए बुद्ध की शरण में आने वाले लोग,आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 की 70 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए, केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता से बाहर करेंगे। मैं भी वहां से चुनाव लड़ूंगा और हर हाल में जीत कर दिखाऊंगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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