आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले तमाम राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं। तमाम दलों का शीर्ष नेतृत्व यूपी में लगातार दौरे कर रहा है, लेकिन कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा करीब डेढ़ साल से आई ही नहीं हैं। कांग्रेस के यूपी प्रभारी रहते गुलाम नबी आजाद का प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पहुंचने का अंतराल सबसे लंबा हुआ करता था। अब इस अंतराल का तीन गुना वक्त प्रियंका गांधी वाड्रा पार कर चुकी हैं। यानी, तकरीबन डेढ़ साल। यह अंतराल कांग्रेस में चर्चा की नई वजह है।
चर्चा इसलिए भी गंभीरता से हो रही है, क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके पहले कांग्रेस के कार्यक्रमों में धार देना उनके बिना मुमकिन नहीं दिख रहा है। कांग्रेस का प्रभारी रहते हुए आजाद के यूपी आने का अंतराल एक ही बार सबसे ज्यादा छह महीने का हुआ था। इसके अलावा वह दो-तीन महीने के अंतराल पर यूपी पहुंच जाया करते थे।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से प्रियंका केवल एक बार यूपी कांग्रेस दफ्तर आई हैं। चुनाव परिणाम आने के दो महीने के बाद वह एक जून को कांग्रेस दफ्तर पहुंची थीं। तब उन्होंने पहले से ज्यादा मेहनत करने और कमियों की समीक्षा करके उसे सुधारने की बात तब कही थी।
लोकसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ी पार्टी की सबसे बड़ी चिंता इसी बात की है कि अगर प्रियंका की अगुआई में समय रहते तैयारियां नहीं शुरू की गईं तो शायद प्रदर्शन एक बार फिर उम्मीद से बहुत कम ही रह जाएगा।
साल 2019 में प्रियंका की आधिकारिक तौर पर राजनीति में इंट्री हुई थी और उन्हें यूपी का प्रभारी बनाया गया था।
बिना मौजूदगी तैयारियों में धार नहीं
जब से प्रियंका को कांग्रेस का यूपी प्रभारी बनाया गया है, तब से पार्टी की सभी गतिविधियां उनके इर्द-गिर्द रही हैं। वह पार्टी के शीर्ष परिवार से आती हैं।
यूपी संगठन से उनके जुड़ने के बाद बाकी किसी भी नेता का फैसले लेना, कार्यक्रम करना और उसमें वह असर पैदा कर पाना मुश्किल होता है।
कांग्रेस के पिछले कार्यक्रमों का असर इन्हीं वजहों से फीका रहा। जब पार्टी के कार्यक्रमों में बतौर यूपी प्रभारी प्रियंका नहीं होती हैं तो इससे जनता और कार्यकर्ताओं में इसकी गंभीरता को लेकर सवाल खड़े होते हैं।
प्रभारियों की दूरी से कांग्रेस को नुकसान?
यूपी कांग्रेस के उन प्रभारियों का कार्यकाल हमेशा चुनौती भरा रहा है, जो कार्यकर्ताओं की पहुंच से दूर रहे हैं। इनमें पहले गुलाम नबी आजाद की गिनती होती थी। प्रियंका का भी कार्यकाल कमोबेश ऐसा ही रहा है।
आजाद जब-जब यूपी के प्रभारी रहे तब-तब कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले कमजोर होता गया।
ऐसा ही प्रियंका के कार्यकाल में भी देखने को मिला। साल 2019 में जब वह यूपी प्रभारी बनाई गईं तो लोकसभा सीटों की संख्या दो से घटकर एक हो गई।
राहुल गांधी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष अमेठी से चुनाव हार गए। 2022 का विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस को सात से घटाकर दो सीटों पर ले आया। प्रियंका की सुरक्षा और उनकी टीम की वजह से कार्यकर्ताओं और यहां तक कि बड़े नेताओं की भी उनसे मुलाकात इतनी आसान नहीं रही।
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा का प्लान
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपी कांग्रेस सहारनपुर से सीतापुर के नैमिषारण्य तक पदयात्रा निकालेगी। 9 जिलों से होकर गुजरने वाली इस यात्रा का रूट मैप तैयार कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसे 20 दिसंबर से शुरू करने की तैयारी है।
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर युवाओं, महिलाओं और किसानों को जोड़ने के मद्देनजर कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकालने की घोषणा की थी।
जानकारी के मुताबिक तकरीबन 25 दिनों का यह कार्यक्रम तैयार किया गया है। यात्रा की शुरुआत सहारनपुर में गंगोह से होगी। इसके बाद यात्रा बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी होते हुए नैमिषारण्य पहुंचेगी। पदयात्रा में नए साल के आसपास कुछ दिन का ब्रेक होगा।
यात्रा के बीच कांग्रेस का स्थापना दिवस (28 दिसंबर) को पड़ेगा। विचार किया जा रहा है कि स्थापना दिवस भी जनता के बीच ही मनाया जाए।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर औपचारिक कार्यक्रम होगा, जिसमें हो सकता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हिस्सा न लें। हालांकि अंतिम तौर पर इसपर फैसला तारीख तय होने के बाद ही लिया जाएगा। एक बार तारीख तय होने के बाद कांग्रेस की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा को यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
Author: samachar
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