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मथुरा

बेमिसाल… दो सगे भाई… एक ने बनवा दिया मस्जिद तो दूसरे ने कराया मस्जिद की तामीर, ‌कम नहीं शून्य मिलेगा ऐसा उदाहरण

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा में कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है। मुस्लिम समुदाय के दो भाइयों ने इस मिसाल को कायम किया। छाता के जीटी रोड स्थित सब्जी मंडी पर बनी मंदिर मस्जिद कि यह मिसाल के चर्चे आज भी हैं। बताते हैं कि यह इतिहास 500 वर्ष से भी अधिक का है। एक भाई ने मस्जिद का निर्माण कराया तो दूसरे भाई ने मंदिर का। मोहम्मद इस्माइल पिछले 35 वर्षों से मस्जिद में मुतवल्ली (प्रबंधक) हैं। उन्होंने बताया कि नगर की यह एकमात्र मस्जिद वक्फ बोर्ड के अधीन आती है। इसका निर्माण आज से 335 वर्ष पूर्व (1107 हिजरी) में हुआ था। इसका निर्माण फतेह मोहम्मद ने कराया था।

फतेह मोहम्मद पहले फतेह सिंह ठाकुर के नाम से जाने जाते थे। उनके बड़े भाई जल सिंह ने ठीक मस्जिद के सामने मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर में श्री गंगाजी का विग्रह विद्यमान है। मंदिर की एक निजी मार्केट है। उसी प्रकार मस्जिद की भी एक निजी मार्केट है। इन दुकानों के किराए से दोनों संस्थाओं का संचालन होता है। औरंगजेब के शासन काल में निर्द ठाकुर जाति के दोनों भाई जल सिंह और फतेह सिंह शाही फौज में कार्य करते थे। छोटे भाई फतेह सिंह ने इस्लाम से प्रभावित होकर शाही फौज में ही इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।

दोनों ने अपनी जमीनों पर आमने-सामने मस्जिद और मंदिर का निर्माण कराया। सेवानिवृत्त पशु चिकित्सा अधिकारी पंडित मुरारी लाल शर्मा (94) ने बताया कि जब वे 20 वर्ष के थे, तब उनके पिता जो कि ब्रिटिश काल में पटवारी और गिरदावर कानून थे, वह भी दोनों भाइयों की कहानी बताते हैं।

500 वर्षों से भी पुराना है इतिहास

दोनों ही भाइयों में बड़ा ही प्रेम और भाईचारा था। वे उस जमाने में इस नगर के सबसे बड़े जमींदार परिवार हुआ करते थे। छाता नगर के लगभग 80 फीसदी जमीदारी का हिस्सा इन्हीं लोगों के पास था। नगर में आज भी पुराने जीटी रोड में बाजार, पुरानी तहसील, नई तहसील और आसपास की आबादी क्षेत्र के जो भी प्राचीन मकान थे, वे वह सब इन्हीं के ही पूर्वजों के हुआ करते थे। छाता नगर का इतिहास करीब 500 वर्षों से भी पुराना है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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