google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आयोजन

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस समारोह भी हो अनिवार्य…. तर्क हम बता रहे हैं

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

हंसराज तंवर 

आजादी के बाद से ही सार्वजनिक शिक्षा सबकी पहुंच में हो, गुणवत्ता पूर्ण हो। प्रत्येक बच्चे को पढ़ने का कानुनी अधिकार मिले। ऐसे ही और भी आवश्यक सुधार करने हेतु हमारे देश में कई आयोगों, कमेटियों से प्राप्त रिपोर्टो के आधार पर लगातार शिक्षा में सुधार हेतु नीतियां बनाई जा रही है।

हमारे देश में आजादी के बाद शिक्षा की नींव रखने वाले देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने रखी थी। शिक्षा के क्षैत्र में उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिवस की स्मृति में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।

इस उत्सव की विधिवत शुरुआत 11 नवम्बर सन 2008 से की गई थी। मौलाना सहाब 15अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक शिक्षा मंत्री के पद पर रहे थे। अबुल कलाम आजाद मात्र आजादी की लड़ाई के सच्चे सिपाही ही नही थे बल्कि वह उर्दु, हिंदी, फारसी, अंग्रेजी,अरबी भाषाओं के बहुत बड़े विद्वान, साहित्यकार और पत्रकार भी रहे थे। उनकी इसी योग्यता को देखते हुए उनको देश का प्रथम शिक्षा मंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ था।उनको मरणोपरांत सन 1992 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।

अबुल कलाम आजाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के काफी करीबी थे। गांधी जी की अहिंसा परमो धर्म नीति से वह बड़े प्रभावित थे। उन्होंने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था।वे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जेल भी गए। वे अपने समाचार पत्र में अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का खूब विरोध करते थे।उनकी पत्नी भी स्वाधीनता संग्राम में उनका पुरा साथ देती थी। इन्होंने भारत पाकिस्तान ‌ विभाजन का भी विरोध किया था। इन्होंने भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए उर्दु की बजाय अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई पर ज्यादा बल दिया था।ये हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। इनका गांधीजी को भरपूर सहयोग मिलता था। उनका जन्म सऊदी अरब में‌‌ हुआ था।

मिश्र देश से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह भारत के कलकत्ता शहर आ गए। वहीं से उन्होंने अपनी पत्रकारिता व राजनैतिक गतिविधियां चलाना शुरू किया।वह दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। सबसे कम उम्र में सन 1923 में पहली बार अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे। इसके बाद दूसरी बार सन 1940-45 तक भी अध्यक्ष रहे।

उन्होंने पहली बार 1952 में रामपुर उत्तर प्रदेश राज्य की लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीते व देश के प्रथम शिक्षा मंत्री बने।उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के क्षैत्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,अखिल भारतीय तकनीकी परिषद व सैकण्डरी एजुकेशन कमीशन की स्थापना की थी।

देश के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय था।राष्ट के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित थे। समय पर उनके द्वारा बनाई नीतियों के फलस्वरूप ही कई तरह के शिक्षा आयोगों बने व रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करते रहे। कोठारी आयोग की बहुत सारी सिफारिशे समय- समय भावी सरकारों ने लागु भी की।नई शिक्षा नीति 1986 द्वारा भी देश में शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने की बात कही गई।

ठीक 34वर्ष बाद नई शिक्षा नीति 2020 आई है। इसमें भी पिछली सभी रिपोर्टो का अध्ययन करके संस्कारित शिक्षा व दक्षता आधारित ज्ञान पर बल देने के बारे में विद्यालय शिक्षा व उच्च शिक्षा में कई सारे परिवर्तन करने की बात कही गई है।

सब पढ़ें, सब बढ़े का उद्देश्य लेकर 6-14वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया।हमारे देश की शिक्षा उत्तरोत्तर इन सार्थक प्रयासों से गुणवत्ता की ओर बढ़ रही है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी एक बार कहा था अमेरिका वालों अब जाग जाओ,नही तो भारतीय छात्र सारे नौकरियों को खा जाएंगे निश्चित रूप से अभी भी अमेरिकी शिक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था में प्रवासी भारतीयों का बहुत बड़ा योगदान है।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हम सबको सरकारी शिक्षा की बेहतरी के लिए सार्थक प्रयासों की निरंतरता बनाई रखनी होगी। हर बच्चे तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना ही होगा, उनको संस्कारित शिक्षा देकर सुयोग्य नागरिक बनाना ही हमारी शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य हमें बनाना होगा। अच्छी शिक्षा दीक्षा से ही बच्चों में देश सेवा का भाव पैदा किया जा सकेगा।देश सेवा भाव से ही हम अपनी प्रतिभाओं का देश‌ से पलायन को रोक सकेंगे और उनकी प्रतिभा का उपयोग देश में ही हो सकेगा। जब तक ऐसी सोच सबकी नही बनेगी तब तक हमारा राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का औचित्य
सिद्ध नही हो पायेगा।

मौलाना साहब ने महिलाओं व वंचित वर्ग की शिक्षा के लिए बहुत कुछ करने का सपना संजोया था।स्वर्गीय मौलाना अबुल कलाम आजाद के सपनों को भी जब ही हम पुरा कर पायेंगे।

107 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close