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मथुरा

बुलडोजर ने बेघर ही नहीं बेपनाह भी कर दिया इन लोगों को…मलबा बेचकर रोटी-पानी का जुगाड कर रहे हैं लोग

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट 

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में कुछ दिन पहले ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास नई बस्ती के मकानों पर बुलडोजर चला था। विगत दिनों मकानों पर चले बुलडोजर ने जहां लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है तो वहीं नई बस्ती में मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। जमींदोज हुए मकानों के ऊपर त्रिपाल डालकर रह रहे लोगों का दर्द छलक पड़ा। लोगों का कहना है कि यहां सब वोट की राजनीति है। मकानों को गिरा दिया गया कोई भी जनप्रतिनिधियों सांत्वना देने नहीं आया।

छोटे-छोटे बच्चे खान और पीने के लिए बैठे उम्मीद लगाकर

मथुरा वृंदावन रेल मार्ग को मीटर गेज से ब्रॉडगेज में तब्दील किया जा रहा है। मथुरा जंक्शन से वृंदावन जाने वाली डीजल रेल बस रेलवे लाइन के समीप करीब 130 मकान बने हुए थे। रेलवे प्रशासन ने इन मकानों को अवैध घोषित करने के साथ ही यहां के स्थानीय लोगों को नोटिस थमाकर जगह खाली करने की अपील की। नोटिस में दिए गए समय पर जो मकान खाली नहीं किए गए तो रेलवे प्रशासन ने जिला प्रशासन के सहयोग से उन मकानों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया।

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जमींदोज हुए मकान में रह रहे लोग सड़क पर आ गए। यहां के लोगों में मकान टूटने के चलते आक्रोश पनपा हुआ है। नई बस्ती के लोग अपने ही मकान के मलबे के ऊपर त्रिपाल डालकर रह रहे हैं। यहां के लोगों मूलभूत सुविधाएं जैसे खाना, पानी, बिजली नहीं मिल रही है।

टूटे आशियाने पर त्रिपाल डालकर रहने को मजबूर पीड़ित

यहां रह रहे लोगों की सुनने को कोई भी तैयार नहीं है। न तो इन्हें जनप्रतिनिधियों का साथ मिल रहा है और न ही जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनके लिए सुविधाएं मुहैया कर रहा है। एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने क्या हुआ ग्राउंड जीरो से हकीकत जानने पहुंची तो टीम के सदस्य आश्चर्यचकित रह गए। स्थानीय लोगों ने टीम को बताया कि जिला प्रशासन ने कोई भी मूलभूत सुविधाएं अभी तक उपलब्ध नहीं कराई हैं। ऐसे सैकड़ों छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो खाने-पीने के सामान के लिए अपने परिवार के सदस्यों पर उम्मीद लगाकर उन्हें निहारते रहते हैं।

कोई नहीं हमारी सुनने वाला

नई बस्ती के अवैध मकानों को बुलडोजर ढहादिया है। यह सब कुछ एक झटके में तहस-नहस हो गया है, लेकिन यहां के लोग अभी भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। स्थानीय लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां पर कोई सुनने वाला नहीं है। बच्चे भूखे हैं, जैसे-तैसे जो पैसे हैं, उनसे बच्चे पेट की आग को बुझा रहे हैं। चुनाव आने पर सभी लोगों को याद आती है, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद आज तक किसी भी व्यक्ति या जनप्रतिनिधि को हमारी याद नहीं आई है। 130 परिवारों ने दु:खी होकर सुप्रीम कोर्ट की चौखट को खटखटाया है। इन लोगों की आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है।

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पीड़ित परिवार मलबे में ढूंढ़ते न्याय की उम्मीद

मथुरा-वृंदावन रेलवे लाइन के पास बने मकान को रेलवे प्रशासन ने भले ही बुलडोजर से जमींदोज कर दिया हो, लेकिन यहां पीड़ित टूटे हुए मकान के मलबे से न्याय की उम्मीद ढूंढ़ रहे हैं। लोग अपने सामान को ढूंढ़ने के साथ-साथ यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें कोर्ट से न्याय मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

नई बस्ती में टूटे हुए मकानों से आहत हुए स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित लोगों की बात सुनते हुए रेलवे के अधिकारियों को 10 दिन में अपना जवाब दाखिल करने आदेश दिया है।

मकान से सामान निकालते वक्त टूटा युवक का पैर

रेलवे प्रशासन का जैसे ही नई बस्ती के मकान पर बुलडोजर चला तो लोगों में हड़कंप मच गया। अफरा-तफरी का माहौल देख लोगों ने अपने घरों से सामान निकालना शुरू कर दिया। मकान स्वामी का आरोप है कि बुलडोजर से तोड़े गए मकान से वह सामान निकाल रहा था तो एक पत्थर उसके पैरों पर आकर गिर गया, जिससे पैर बुरी तरह से टूट गया। मकान स्वामी का कहना है कि इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, कोई भी मदद करने को आगे नहीं आ रहा है।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

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