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November 22, 2024 5:01 pm

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मंहगाई की मार ने दाल कर दी पूरी काली, अब तो मंहंगा जीरा छौंका पर भी लगा रहा अड़चनें….

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

मुरादाबाद। पिछले एक महीने में दालों के दाम तेजी से बढ़े है। दालों के साथ तड़का लगाना भी महँगा हुआ है। दालों में जीरे का तड़का ना लगे तो स्वाद किरकिरा हो जाता है। दाल और जीरे की महंगाई ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। जीरे के दाम में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। तो अरहर की दाल के रेट में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है। 1 महीने में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाली दाल के दाम 120 से बढ़कर 155 प्रति किलो तक पहुंच गए हैं।

अरहर की दाल 35 रुपए किलो तक महंगी हो गई है। काबुली चना भी महंगाई की राह पर है। इसमें 20 रुपए की तेजी आई है. उड़द काली और धुली दाल पर भी 10 की तेजी आई है। दाल दलहन की खेती मार्च से कटना शुरू हो जाती है। इसके बावजूद भी दालों की महंगाई जेब पर भारी पड़ रही है। दूसरी दालों में राजमा चने की दाल के दाम स्थिर होने की बात है।

मसूर और मलका के दाम कम हुए हैं। डेढ़ महीने पहले मशहूर 120 रुपए किलो थी। लेकिन अब 90 रुपए किलो तक बिक रही है। मलका भी सस्ती हो गई है। 110 रुपए किलो बिकने वाली मलका 80 तक पहुंच गई है। दालों पर 30 रुपए की गिरावट से अरहर, उड़द, काबुली चना की महंगाई की भरपाई कर रही है. घरों में इनका इस्तेमाल बढ़ा है।

जानें कितने बढ़े दालों के दाम

अरहर की अच्छी गुणवत्ता वाली दाल पहले 120 रुपए किलो मिलती थी जो अब 155 रुपए किलो है। वही, अरहर की अच्छी गुणवत्ता वाली दाल 90 रुपए की मिलती थी। जो अब 120 रुपए किलो है। उड़द की दाल पहले 100 रुपए किलो मिलती थी। अब 110 रुपए किलो मिल रही है। काबुली चना 140 रुपए किलो मिलता था. जो अब 160 किलो है। मूंग की दाल 100 रुपए किलो मिलती थी जो 110 किलो है। उड़द की धुली हुई दाल 125 रुपए किलो मिलती थी जो अब 135 रुपए किलो मिल रही है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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