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29 December 2024 7:48 pm

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एसिड अटैक से आंखें गई, चेहरा झुलसा लेकिन हालातों की भट्टी में झोंकी गई इस बच्ची की कहानी आपको बहुत कुछ सिखाएगी

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट 

तुम हालातों की भट्टी में, जब-जब भी मुझको झोंकोगे, तप तप कर सोना बनूंगा मैं, तुम मुझको कब तक रोकोगे… किसी कवि की ये चंद लाइनें चंडीगढ़ की 15 साल की एसिड अटैक सर्वाइवर कफी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। दरअसल 12 मई को सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट जारी किया है। 10वीं के एग्जाम में कफी भी शामिल हुई थीं। कफी ने इस परीक्षा में 95.2% स्कोर किया है और अपने स्कूल की टॉपर बनी। कफी एक आम बच्ची नहीं है। कफी ने महज 3 साल की उम्र में एसिड अटैक के दर्द को झेला है। इस हादसे में कफी की आखों की रोशनी भले ही चली गई हो, लेकिन बुलंद इरादे उम्र के साथ मजबूत होते रहे। कफी की कहानी हर उस शख्स के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने जीवन की तकलीफों से परेशान है। दावा है सफी के संघर्ष की कहानी पढ़ने के बाद हर किसी को अपने जीवन के दुख और तकलीफ कम लगेंगे।

होली के दिन दरिंदो ने फेंका था तेजाब

जानकारी के अनुसार, होली का दिन था। कफी तब महज तीन साल की थी। सबको होली के रंगों में सराबोर होते देख कफी ने भी होली के रंगों में खुशियां ढूंढने की सोची, मगर होली के रंग उसके जीवन को बेरंग करके चले गए। कफी रंगों का त्योहार मनाने घर से बाहर निकली ही थी कि उसके पड़ोस में रहने वाले दरिदों ने ही उसके चेहरे पर एसिड फेंक दिया। इस एसिड अटैक में कफी की जान तो बच गई, लेकिन चेहरा बुरी तरह झुलस गया और आंखों की रोशनी चली गई।

आईएएस अफसर बनना चाहती है कफी

मासूम कफी की बेजान आंखों ने सपना देखना नहीं छोड़ा है, उसकी आंखों में आईएएस बनने का सपना पल रहा है। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए कफी काफी मेहनत कर रही है। वह कभी भी एसिड अटैक सर्वाइवर के तौर पर खुद को नहीं देखती है, उसके इरादे चट्टान से भी ज्यादा मजबूत हैं। कफी की तपस्या और मेहनत का ही असर है कि उसने सीबीएसई कक्षा 10 के रिजल्ट में 95.2 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं और अपने स्कूल की टॉपर बनी है। कफी बताती है कि उसने रोजाना 5-6 घंटे पढ़ाई की। माता पिता और शिक्षकों ने पूरा साथ दिया।

पिता हैं चपरासी

कफी के पिता हरियाणा सचिवालय में चपरासी की नौकरी करते हैं और वे अपने परिवार के साथ शास्त्री नगर इलाके में रहते हैं। कफी के पिता पवन ने बताया कि ‘जब कफी 3 साल की थी, तो हमारे पड़ोसियों ने उस पर तेजाब से हमला किया, जिसके बाद उसने अपनी आंखों की रोशनी खो दी। मैंने कई मुश्किलों का सामना करते हुए बेटी को पढ़ाया। वह आईएएस की तैयारी करना चाहती है और मैं उसको पूरी तरह से सपोर्ट करूंगा।’

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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