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दुनिया को हंसाने वाले को बुढ़ापे में अपनों ने रुलाया

मशहूर जादूगर "जगदीश भारती" वृद्धा आश्रम में गुजार रहे जीवन

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

कर्नलगंज, गोण्डा। आज के समाज में एकल परिवारों के बढ़ते चलन ने अपनों के बीच काफी दूरी बढ़ा दी है। इसका सबसे अधिक शिकार 60 वर्ष की आयु से ऊपर के बुजुर्ग शिकार हो रहे हैं। अपनों की बेरुखी बुजुर्गों को बेगाना बना रही है। काफी संख्या में बुजुर्ग जो अपनों से दूर रहकर मुफलिसी में जीवन गुजार रहे हैं। हालांकि सरकार निराश्रित बुजुर्गों के भरण पोषण के लिए वृद्धाश्रम संचालन से लेकर पेंशन तक की व्यवस्था कर रही है।

सरकारी आंकड़े के अनुसार समाज कल्याण विभाग की देखरेख में गोंडा जनपद में संचालित वृद्धाश्रम में 80 बुजुर्ग रह रहे हैं। इनमें से 50 पुरुष व 30 महिलाएं हैं। सरकार इनके खान पान से लेकर रहन सहन और मनोरंजन तक की व्यवस्था कर रही है लेकिन हर किसी के मन में अपनों से दूर होने की टीस है। यहां कई आंखे ऐसी हैं जो अब भी अपनों की राह ताक रही हैं। आपको बता दें कि जिले के वृद्धाश्रम में रह रहे कर्नलगंज कस्बे के निवासी मशहूर जादूगर जगदीश भारती आज परिवार से दूर एकांकी जीवन काट रहे हैं।

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मालूम हो कि कर्नलगंज क्षेत्र के रहने वाले जादूगर जगदीश भारती अपने जादू के कारनामों के लिए मशहूर रहे हैं। उनके अजब गजब कारनामें हर किसी को हंसाते रहे लेकिन जगदीश भारती का जादू अपने परिवार पर ही नहीं चल सका। पूरी दुनिया को हंसाने वाले जगदीश भारती को उनके अपनों ने ही रोने के लिए छोड़ दिया। ऐसा नहीं है कि इन बुजुर्गों की कोई देखभाल करने वाला नहीं है। इनमें से अधिकतर के पास भरा पूरा परिवार है लेकिन समाज में एकल परिवार के बढ़ते चलन ने इन्हें अपनों से दूर कर दिया है। वहीं बुजुर्ग मां-बाप को बोझ मानकर उनके परिजन उनसे बंटवारा कर अलग रह रहे हैं। इस बंटवारे का दर्द इन बुजुर्गों को भुगतना पड़ रहा है जो परिवार होने के बावजूद निराश्रित बनकर जीवन यापन करने को विवश हो रहे हैं। यही नहीं जीवन यापन का कोई जरिया न होने के कारण वह या तो मजदूरी कर रहे हैं या फिर दूसरों पर निर्भर रहकर किसी तरह से जीवन निर्वाह कर रहे हैं।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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