दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
वाराणसी: महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के भक्त प्रसाद स्वरूप भांग का सेवन करते हैं, लेकिन काशी नगरी में एक कंपनी ने भांग के पेड़ के तने और डंठल से बने धागों से तैयार कपड़ों की खेप उतारी है। सामान्य फैब्रिक की तरह दिखने वाले भांग के धागों से बने कपड़ों को पहनने से कई फायदे के दावे भी किए जा रहे हैं। खास यह कि इनमें भांग के नशे वाला गुण नहीं है।
भांग से कपड़े बनाने वाली उत्तराखंड की कंपनी ने वाराणसी के पांडेय घाट निवासी नरेंद्र चौहान को स्थानीय प्रतिनिधि बनाया है। पांडेय घाट इलाके में ही भांग फैब्रिक की बिक्री हो रही है। यहां पर लेडीज-जेन्ट्स सभी तरह के कपड़े मिल रहे हैं। इनकी रेंज 600 से 7,500 रुपये तक है। अंडर गारमेंट्स और सैनिटरी नैपकिन भी उपलब्ध है। युवाओं के साथ ही विदेशी पर्यटकों में भी इन कपड़ों का जबरदस्त क्रेज है।
हेम्प फैब्रिक यानी भांग से बने कपड़ों के विक्रेता नरेंद्र ने बताया कि भांग का नशा सिर्फ उसकी पत्तियों में होता है, जबकि कपड़ा तैयार करने में भांग के पौधों के तनों, डंठल और जड़ों का इस्तेमाल होता है। इसमें मौजूद फाइबर से धागे तैयार कर कपड़े बनते हैं। ये कपड़े कैंसर रोधी माने जाते हैं। इनमें किसी केमिकल रंग या डाई का इस्तेमाल नहीं होता है। ये सूरज से आने वाली यूवीरेज को भी रोक त्वचा को नुकसान से बचाते हैं। गर्मी में ये कपड़े बदन को ठंडा रख सुकून का अहसास देते हैं।
Author: samachar
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