कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
उन्नाव: हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल तकिया मेला गुरुवार को डीएम और एसपी की चादरपोशी के साथ शुरू हो चुका है। एक महीने से ज्यादा चलने वाले इस मेले में दूर-दूर से व्यापारी आते हैं। तकिया मेला आसपास के जिलों में लगने वाले बड़े मेलों में से एक है।
इस मेले में गाय भैंस, घोड़े, ऊंट तक बेचे जाते है। उन्नाव जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर उन्नाव रायबरेली मार्ग पर इस स्थित है तकिया बाजार। यहां पर भोले बाबा सहस्त्र लिंगेश्वर महादेव का मंदिर और सूफी संत मोहब्बतशाह की दरगाह एक ही परिसर में स्थित है। यहां हर वर्ग और जाति-धर्म के लोग आते हैं। भोले बाबा के दर्शन करने के साथ दरगाह में शीश झुकाते है। यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है। जानकर बताते हैं कि मोहब्बत शाह के शिष्य न्यामत शाह की याद में इस मेले की शुरुवात 400 साल पहले हुई थी, तब से यह मेला लगता चला आ रहा है।
सूफी संत बाबा मोहब्बत शाह का जन्म लगभग 400 साल पहले मक्का मदीना में हुआ था। बाबा को एक दिन लगा कि उन्हें हिंदुस्तान जाकर समाज का भला करना चाहिए। बाबा हिंदुस्तान जाने को तैयार हुए और अपने काफिले के साथ यात्रा पर निकल लिए। बाबा का काफिला अजमेर के रास्ते मुंबई फिर बिहार के पटना पहुंचा, यहां उन्होंने अजीनी शाह को अपना गुरु माना। फिर गुरु से आदेश लेकर आगे बढ़े और कई स्थानों पर रुकते हुए पाटन गांव पहुंचे। यहां स्थित महादेव के मंदिर के पास रुके तो यहीं रम गए और यही से सर्वधर्म, सर्वभाव और समभाव का संदेश प्रचारित किया।
कभी इस मेले का लोग साल भर तक इंतजार करते थे। गाय ,भैंस, घोड़े,ऊंट आदि पालतू पशुओं के लिए इस मेले की पहचान थी। यही नहीं लोगों की जरूरतों का सामान भी मिलता रहा है। हालांकि आधुनिकता की दौड़ में अन्य मेलों की तरह यह मेला अपनी पहचान धीरे-धीरे खोता चला जा रहा है।
Author: samachar
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