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योगी आदित्यनाथ का जादू कहीं चला तो कहीं हो गया टांय-टांय फिस्स 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा व दो विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में गुजरात और रामपुर को छोड़ कर योगी आदित्यनाथ का जादू कहीं चल नहीं पाया।

हालांकि इन चुनावों में योगी स्टार प्रचारक की भूमिका में नजर आए। बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ने उनसे जो उम्मीदें लगाई थीं, उस पर वे पूरी तरह खरे नहीं उतर पाए।

योगी आदित्यनाथ ने गुजरात में मोरबी, भरूच, सूरत, गोधरा, सोमनाथ, भावनगर, अमरेली, बनासकांठा, अहमदाबाद, वडोदरा, सौराष्ट्र, कच्छ और द्वारका में चुनावी सभाएं की। जबकि गोधरा और अहमदाबाद में उनके रोड शो हुए। गुजरात में वे जहां-जहां भी गए, भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई। लेकिन गुजरात की जीत की असल वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे। ऐसा भाजपा आलाकमान का मानना है। ऐसे में योगी की गुजरात में हुई चुनावी सभाओं और रोड शो के असर की उतनी चर्चा नहीं हुई। जबकि गुजरात में योगी की सभाओं में बुलडोजर लेकर भाजपा समर्थकों ने पहुंच कर उनकी बुलडोजर बाबा की छवि को जनता के बीच पेश करने की कोशिशें जरूर कीं।

उधर, हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भी योगी की मांग खासी रही। यही वजह थी कि योगी आदित्यनाथ ने हिमाचल प्रदेश में पांच दिनों में 16 चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने हिमाचल के मंडी में चार चुनावी सभाएं कीं। जबकि कांगड़ा में तीन चुनावी सभाएं की। वहीं, माकपा के प्रभाव वाली थियोगी सीट पर भी योगी ने चुनावी सभा को संबोधित किया।

उधर, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में योगी आदित्यनाथ ने दो चुनावी सभाओं को संबोधित किया। जबकि उन्होंने सलोन में दो और ऊना में दो चुनावी सभाएं कीं। इनके अलावा योगी आदित्यनाथ ने हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हमीरपुर, शिमला और बिलासपुर में एक-एक चुनावी सभाएं कीं। हिमाचल प्रदेश में योगी ने जहां-जहां चुनावी सभाएं की उनमें से अधिकांश में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।

वहीं, उत्तर प्रदेश में एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों पर हुए विधानसभा चुनावों में भी योगी ने आठ से अधिक चुनावी सभाएं कीं लेकिन वे दो-एक से पीछे रह गए। मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अपनी विजय पताका फहराने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रख कर मैनपुरी के चुनावी मैदान में प्रचार की जिम्मेदारी दी थी।

लेकिन खुद सिराथू में अपना चुनाव हार चुके केशव प्रसाद मौर्य भी वहां कुछ खास हासिल नहीं कर पाए और भाजपा को मैनपुरी में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। रही बात खतौली में हुए विधानसभा उपचुनाव की तो वहां भापा ने अपनी सीट राष्ट्रीय लोकदल के हाथों गंवा दी। जबकि रामपुर के उपचुनाव में भाजपा ने पहली बार भगवा लहरा कर इहिास जरूर रचा।

उत्तर प्रदेश में जिन तीन सीटों पर उपचुनाव हुए उसमें समाजवादी पार्टी और उसकी सहयोगी रालोद ने अपनी खोई साख और ताकत हासिल कर प्रदेश में जल्द होने वाले निकाय चुनाव और दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की पेशानी पर अभी से बल पैदा कर दिया है। इस बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि प्रदेश की जनता ने भाजपा के विकास के सच से रू-ब-रू हो कर उसे सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने बदलाव की वो तदबीर गढ़ी है जिसके मायने बहुत गहरे और असरकारक हैं। इन चुनावों के परिणामों का असर प्रदेश में होने वाले चुनावों पर साफ दिखाई देगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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