ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
हरियाणा के फरीदाबाद में एक अनोखा मामला सामने आया है। पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने भैंस चोरी के मामले में एक ग्रामीण से रिश्वत ली थी। विजिलेंस को खबर हुई को दारोगा को ट्रैप कर लिया गया। लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ उसे देखकर सभी हैरत में रह गए। दारोगा ने बचने के लिए रिश्वत में मिली रकम को ही निगल लिया। उसकी कोशिश थी कि वो सारे साक्ष्य को मिटा दे।
क्या कहता है कि कानूनी पहलू
रिश्वत के मामलों में आरोपी को सजा दिलाने के लिए सबसे अहम चीज होती है केस प्रापर्टी। यानि जिस अधिकारी ने रिश्वत मांगी उसे ट्रैप करने के लिए विजिलेंस की टीम अपने निशान लगे नोट शिकायतकर्ता को देती है। उसे हिदायत होती है कि उन नोटों को ही अफसर को दे। जैसे ही वो नोट वो अपने हाथ में पकड़ता है, नोटों पर लगा कैमिकल उसके हाथों पर लग जाता है। फारेंसिक साक्ष्य आरोपी को सजा दिलाने में अहम साबित होते हैं। केस प्रापर्टी के तौर पर रिश्वत के नोटों को विजिलेंस अदालत में पेश करती है। इस मामले में दारोगा ने नोटों को निगलकर केस प्रापर्टी को ही नष्ट करने की कोशिश की। मामले से जुड़े लोगों का मानना है कि उसके खिलाफ साक्ष्यों को नष्ट करने का मामला भी चलेगा। साथ ही सरकारी अफसरों की ड्यूटी में बाधा डालने का मामला भी बनता है।
शुभनाथ नाम के शख्स की भैंस चोरी हो गई थी। दारोगा महेंद्र ने केस दर्ज करने के लिए उससे रिश्वत मांगी। शुभनाथ ने छह हजार रुपये पहले ही उसके हवाले कर दिए थे। लेकिन दारोगा बाकी के चार हजार के लिए दबाव डाल रहा था। शुभनाथ ने इसकी शिकायत विजिलेंस को की। विजिलेंस ने शुभनाथ को कैमिकल लगे नोट दिए और दारोगा को देने के लिए कहा।
शुभनाथ ने जसे ही दारोगा को नोट दिए। घात लगाकर बैठी विजिलेंस टीम ने उस पर हमला बोल दिया। लेकिन दारोगा ने तुरंत सारे नोट मुंह में डाल लिए। उसके बाद शुरू हुआ चूहे बिल्ली का खेल। विजिलेंस के अफसरों ने दारोगा के मुंह में उंगली डालकर नोट निकालने की कोशिश की। एक शख्स ने आरोपी को बचाने की कोशिश भी की। लेकिन उसे किनारे कर दिया गया। फिलहाल एसआई महेंद्र को अरेस्ट कर लिया गया है।
Author: samachar
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