
नौशाद अली की रिपोर्ट
बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। हिमालय के तराई इलाके और नेपाल से सटे भाग में ऊपर से बहकर आने वाली नदियां उफान पर हैं। इनके पानी से पूरे मैदानी इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। ऊपर लगातार हो रही बारिश ने स्थिति को और विकराल बना दिया है।
बलरामपुर में तो ग्रामीण इलाकों के बाद शहरी क्षेत्र तक बाढ़ का पानी पहुंचता दिख रहा है। बलरामपुर शहर में भयावह स्थितियां बन रही हैं। वर्ष 2014 में शहर के कई मोहल्लों में बाढ़ का पानी घुसा था। शहर के लोग बता रहे हैं कि इस बार उससे भी विकट हालात हैं।
बलरामपुर के श्याम विहार कॉलोनी और पहलवारा मुहल्ले में ग्राउंड फ्लोर पानी में डूबे हैं। सिविल लाइंस के घरों में घुटनों तक पानी है। एसडीआरएफ के साथ रेस्क्यू के लिए शहर में नावों को लगाया गया है। डीएम और एसपी ने अभी कुछ देर पहले ट्रैक्टर से हालात का जायजा लिया है। शहर में बारिश भी होने लगी है और ये आशंकाएं भी जताई जा रही हैं कि नेपाल के बैराजों से छोड़ा जाने वाला पानी आज रात या सुबह तक शहर में आ सकता है, जिससे स्थितियां बेकाबू हो सकती हैं।
राप्ती नदी खतरे के निशान से 125 सेंटीमीटर ऊपर
बलरामपुर जिले में बाढ़ की विभीषिका लगातार बढ़ती जा रही है। राप्ती नदी खतरे के निशान से 125 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है। बलरामपुर-बढ़नी राष्ट्रीय राजमार्ग 730 पर एक फीट से अधिक बाढ़ का पानी बह रहा है। एनएच पर छोटी गाड़ियों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। करीब 80 हजार हेक्टेयर में खड़ी फसल बाढ़ के पानी में डूब गई है। नेटवर्क व्यवस्था भी ध्वस्त हो गयी है। बिजली की सप्लाई में लगातार बाधित हो रही है। इससे लोगों की परेशानियां बढ़ गयी है।
बाढ़ का पानी अब शहर में भी प्रवेश कर गया है। शहर के मोहल्ले पानी मे डूब गए है। शहर के पहलवारा में वन इंडिया मॉल में सिविल लाइन , चिकनी मोहल्ला, श्याम बिहार कालोनी आदि मोहल्लों में पानी भर गया है । झारखंडी मन्दिर भी बाढ़ के पानी मे डूब गया है। बलरामपुर-बहराइच मार्ग पर कर्बला के सामने दो-दो फुट बाढ़ का पानी चल रहा है।
शहर के कई मोहल्ले वासियों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। हालात को बिगड़ता देख एसडीआरएफ की टीम बुला ली गयी है। जो लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुट गई है। जिलाधिकारी महेंद्र कुमार ने लोगों से अपील की है कि बाढ़ प्रभावित गांव के लोग पानी बढ़ने का इंतजार न करें। सुरक्षित स्थानों पर शरण लें और बाढ़ राहत केंद्रों पर पहुंचें।