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November 2, 2024 10:49 am

वाह तिरंगा वाह, बहा दिया रोकड़ की गंगा

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

कासगंज : घर-घर तिरंगा अभियान ने देशभक्ति का रंग ही गहरा नहीं किया है, बल्कि रोजगार में भी खुशहाली की महक घोल दी है।

इस अभियान से महिला समूह, सिलाई करने वाले कारीगरों को रोजगार मिला है। साथी ही व्यापार जगत में भी रोकड़ की गंगा बहा दी है। तिरंगे की मांग बढ़ती ही जा रही है। तिरंगा तैयार कराने वाले कारोबारियों के यहां इसकी कमी महसूस होने लगी है।

शहर से लेकर गांव तक तिरंगे में रंगे हुए हैं। तिरंगा अभियान ने सैकड़ों परिवारों कि आय बढ़ा दी है। कोरोना काल में मास्क तैयार करने की मुहिम से जिस तरह महिला समूह, संगठनों ने अलग पहचान बनाई।

तिरंगा तैयार करने में भी लोग उसी तरह से जुड़े हुए हैं। प्रिंटिंग प्रेस और पुस्तक भंडार स्वामी भी तिरंगे का कारोबार कर रहे हैं। इस अभियान में हर कोई जुड़ता नजर आ रहा है। उत्साह और प्रतिस्पर्धा ने झंडे की डिमांड का माहौल तैयार कर दिया है। बाजारों में झंडे की कमी होने लगी है।

कारोबारी अधिक से अधिक झंडा तैयार कराने में जुटे हुए हैं। कारीगरों को झंडे का आर्डर दे रहे हैं। इस तरह तिरंगे ने जहां एक ओर देश भक्ति का रंग गहरा किया है, वहीं व्यापार जगत में भी खुशियों की महक घोली है। राष्ट्रध्वज के माध्यम से सरकार घर-घर तक पहुंच रही है।

सरकारी तंत्र हर घर तक तिरंगा पहुंचाने की कोशिश में जुटा हुआ है। सामाजिक संगठनों में भी उत्साह अभियान को लेकर सामाजिक संगठनों में भी उत्साह दिखाई दे रहा है।

इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों संगठनों ने भी तिरंगे को लेकर रूपरेखा तय कर ली गई है। संगठन के पदाधिकारी तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं तो वहीं अपने घरों पर तिरंगा लगा रहे हैं।

आंकड़ा की नजर में 05 लाख से अधिक तिरंगे घरों में लगने की संभावना 01 करोड़ से अधिक रुपये का हुआ कारोबार बढ़ गई तिरंगे की कीमत पिछले दिनों तक तिरंगा झंडा डंडा सहित 18 रुपये का था, लेकिन अब तिरंगा झंडा झंडा सहित 19 से 20 रुपये तक में बिक रहा है।

लोगों में तिरंगा झंडा खरीदने की होड़ दिखाई दे रही है। तिरंगा झंडा का कारोबार बेहतर हों रहा है। झंडे ने देशभक्ति का रंग घोल दिया है तो कारोबार को भी बढ़ावा दिया है, –पवन कुमार अग्रवाल, कारोबारी बताते हैं। 

हमें उम्मीद ही नहीं थी कि इतना उत्साह तिरंगा झंडे को लेकर लोगों में दिखाई देगा, लेकिन उम्मीद से अधिक लोगों में जागरूकता दिखाई दी है। कारोबार बेहतर है। -अमित कुमार, कारोबारी

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."