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November 6, 2024 2:26 pm

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इस्लाम को बताते हैं दुनिया की रोशनी और ‘यादवों की बीवियों संग नाचते थे श्रीकृष्ण, छात्रों को पढ़ाने वाले ये “ओझा सर” कौन हैं? पढ़िए खबर और वीडियो देखिए ?

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आर के मिश्रा की रिपोर्ट 

कोचिंग सेंटर्स में सिविल परीक्षाओं की तैयारी कराने के नाम पर इस्लाम का महिमामंडन करना और हिंदू धर्म पर तंज कसना कोई नई बात नहीं रह गई है। हाल में ओझा सर नाम से मशहूर अवध प्रताप ओझा का एक वीडियो वायरल होना शुरू हुआ है।

वी़डियो में देख सकते हैं कि किस तरह से वो हिंदुओं के प्रभु भगवान श्री कृष्ण पर अलग-अलग ढंग से लांछन लगाते हैं और दावा करते हैं कि यादव लोग एक बार भगवान को मिलकर मारने वाले थे।

वीडियो में ओझा को कहते सुना जा सकता है, “बलराम ने एक बार कहा कि यादव लोग तुम को पकड़कर मारने वाले हैं। कृष्ण ने पूछा ‘क्यों’। तो बलराम बोले तुम इनकी बीवियों के साथ नाचते हो, तो पीटेंगे नहीं। ये सुन श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम टेंशन मत लो हम संभाल लेंगे। इसके बाद एक दिन वृंदावन में बारिश होनी शुरू हुई तो कृष्ण ने जाकर पर्वत उठा लिया। अब सोच कर देखो उंगली पर अगर कोई पर्वत उठा ले तो ये क्या हुआ- शक्ति का प्रदर्शन। तब यादवों ने श्रीकृष्ण को हाथ जोड़ कर कहा कि तुम बीवी के साथ तो नाच ही रहे हो, साली के साथ भी नाचो। हमें कोई टेंशन नहीं।”

ओझा जिस प्रकार बच्चों को ‘शक्ति के प्रदर्शन’ का कॉन्सेप्ट समझा रहे हैं, वो कई लोगों को अपमानजनक लग रहा है। लोग याद दिला रहे हैं कि कैसे जब बात इस्लाम की आती है तो ओझा के हाव-भाव बदल जाते हैं और जब हिंदुत्व या ब्राह्मणों पर टिप्पणी करनी होती है तो यही ओझा आक्रमक दिखते हैं।

 

इस्लाम के प्रति अवध ओझा की राय

कुछ दिन पहले इन्हीं ओझा सर की इस्लाम की तारीफ करते वीडियो सामने आई थी। इसमें वह अंधेरे से भरी दुनिया में इस्लाम को रोशनी बता रहे थे। उन्हें कहते सुना गया था,

“इस्लाम जब पैदा हुआ तब पूरी दुनिया में अँधेरा छाया हुआ था। इस्लाम का इतिहास पढ़ो। यूरोप में विच हंट के नाम पर महिलाओं को जलाया जा रहा था। भारत में सती प्रथा थी। चीन में लड़कियों की हत्या की जा रही थी। चारों तरफ अँधेरा था, और अँधेरे के बीच मोहम्मद साहब हाथ में दीया लिए खड़े थे, इस्लाम…प्यार…संदेश।

आगे वीडियो में उन्हें कहते सुना जा सकता है,

मोहम्मद एक रास्ते से हर रोज जाते थे। वहाँ एक महिला उनके ऊपर कूड़ा डालती थी। अगर कोई हमारे ऊपर कूड़ा डाले तो हम उसे गोली मार देंगे कि हमारे ऊपर किसी ने कूड़ा कैसे फेंका। वाजीराम के टीचर पर कूड़ा कैसे फेंका, इतनी औकात तुम्हारी। एक दिन उस महिला ने कूड़ा नहीं फेंका। मकान के अंदर गए। पूछा मोहतरमा कहाँ है। पता चला वो बीमार हैं। उनका हाल चाल पूछा कि मालिक से दुआ करूँगा आप जल्दी ठीक हो जाएँ।”

अवध प्रताप ओझा कैसे बने ‘ओझा सर’?

बता दें कि अपने शुरुआती जीवन में शराब-सिगरेट के आदि अवध प्रताप ओझा आज IQRA IAS में इतिहास के वरिष्ठ फैकल्टी हैं। वह पेशे से वकील हैं और पिछले 15 वर्षों से यूपीएससी के उम्मीदवारों को पढ़ा रहे हैं। कुछ दिन पहले दैनिक भास्कर में उनके जीवन पर एक कहानी प्रकाशित हुई थी। इसमें बताया गया था यूपी गोंडा में जन्मे अवध प्रताप ओझा ने इलाहाबाद में पढ़ाई के दौरान यूपीएससी करने की सोची, लेकिन जब अपने लास्ट प्रयास में भी यूपीएससी पार नहीं कर पाए, तब उनकी माँ ने कहा- ‘तुम्हारा खेल खत्म हो गया है अब तुम्हें मेरे सहारे जिंदा रहना होगा।’

अपने कोचिंग में 1 साल सिर्फ सद्दाम को दी शिक्षा

ओझा अपनी माँ की यह बात सुन लड़कर घर से निकले और 2007 तक घर से बाहर रहे। किसी ने उन्हें कोचिंग में हिस्ट्री पढ़ाने को कहा। शुरू में उन्हें समझ नहीं आया कि कैसे पढ़ाना है और फिर उन्होंने पढ़ाना शुरू किया। धीरे-धीरे बच्चों को उनका ढंग पसंद आया। 2005 में इलाहाबाद से दिल्ली आकर अपना कोचिंग सेंटर खोला। पैसे न होने की वजह से 7 महीने बारटेंडर की जॉब भी की। 2019 में जाकर उन्होंने IQRA IAS को शुरू किया। पहले साल इसमें सिर्फ सद्दाम हुसैन नाम के लड़के को पढ़ाया गया। हालाँकि अब यहाँ 1000 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं। 20 ऐसे छात्रों को भी कोचिंग दी जाती है जो यूपीएससी निकलने के बाद पैसे देते हैं।

हिंदुत्व के अलावा ब्राह्मणों को देते हैं गाली, नेहरू के प्रशंसक

छात्रों के बीच अवध ओझा ओझा सर के नाम से मशहूर हैं। उनके पढ़ाने के तरीके की लोग अक्सर तारीफ करते हैं। लेकिन पिछले दिनों उनके लेक्चर की वीडियो वायरल होने के बाद उनकी मंशा पर सवाल उठने लगे। उन्होंने केवल एक बार श्रीकृष्ण का मजाक नहीं उड़ाया। उन्होंने ब्राह्मणों को लेकर भी कह रखा है कि ब्रिटिशों के समय में जूता खाते थे और अब सीना तानकर घूम रहे हैं। इसके अलावा वो मानते हैं कि जो कोई भी जवाहरलाल नेहरू को गलत कहता है उससे ज्यादा मूर्ख कोई नहीं है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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