आनंद शर्मा की रिपोर्ट
रामपुरा। आपने ब्रज के बरसाना की लट्ठमार होली और मथुरा वृन्दावन की होली के किस्से जरूर सुने होंगे।
देश विदेश में रंगो का त्यौहार होली हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन हर जगह की होली मनाने की प्रथा अलग-अलग होती है। कहीं लोग सुखी होली खेलते है तो कहीं पानी और रंगों एवं कहीं फूलों से तो कहीं टमाटरों से होली खेली जाती है।
उनियारा उपखण्ड के रामपुरा(अलीगढ़) के युवा बरसो से फाल्गुन मास में बरसो से चली आ रही परम्परा को जीवित रखने के लिये मन्दिरो ओर घरों में फाग के गीतों का आयोजन किया जा रहा है।
बरसो से चली आ रही इस सनातन परंपरा को जीवित रखने के लिये गांव के युवा नरोत्तम गौतम, मुकेश त्रिपाठी ,मनीष जोशी , अनिल हलकारा , शांतनु शर्मा पवन जांगिड़ , की टीम के द्वारा राधा कृष्ण से जुड़े भजन होली खेलने आये श्याम आज बरसाने में होली है , राजा नद के द्वार मची रे होरी जैसे धार्मिक और नैंना नीचा करले श्याम ने रिझावेली काई रे जैसे मस्ती और प्रेम से भरे गीतों के माध्य्म से रामपुरा की धरा को भक्तिमय करने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।
आजादी से पूर्व रामपुरा के प्रबन्धन में माथुरों ओर चतुर्वेदियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी चूंकि उनका सम्बंध किसी न किसी रूप से ब्रज भूमि से था इसी कारण से रात्रि फाग ओर गाली गायन की परम्परा रामपुरा(अलीगढ़)में भी है। पुराने लोगों के नही रहने से यह बंद होने की दशा में थी पर अब लगने लगा है कि यह पुनर्जीवित हो जायेगी और धर्म और संस्कृति का अस्तित्व बना रहेगा।
Author: samachar
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