हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
राष्ट्रीय मछुआरा दिवस के अवसर पर सीपत के मंगल भवन में आयोजित कार्यक्रम में मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया सहित कई जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया। मछली पालन को आत्मनिर्भरता और पोषण का स्रोत बताते हुए योजनाओं की जानकारी दी गई।
सीपत। राष्ट्रीय मछुआरा दिवस के उपलक्ष्य में गुरुवार को बिलासपुर ज़िले के सीपत क्षेत्र के मंगल भवन में एक भव्य एवं जनोन्मुखी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन मत्स्य विभाग द्वारा किया गया, जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीणों, मछुआ समुदाय एवं कृषकों की भारी भागीदारी देखी गई।
मुख्य अतिथि की प्रेरणादायी अपील
इस अवसर पर मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मछली पालन आज सिर्फ एक जीविका नहीं, बल्कि ग्राम्य अर्थव्यवस्था का सशक्त आधार बन चुका है। उन्होंने उल्लेख किया कि कांग्रेस शासनकाल में भूपेश बघेल सरकार द्वारा मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया जाना, मछुआरा समुदाय के सम्मान और सशक्तिकरण का एक ऐतिहासिक कदम था।
उनके अनुसार, “देश के 80% हिस्से में मछली आज प्रमुख आहार का रूप ले चुकी है, और इसमें मौजूद प्रोटीन से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं।” उन्होंने ग्रामीण युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने गांवों में तालाबों के माध्यम से मछली पालन को अपनाएं और आत्मनिर्भर बनें।
विभागीय योजनाओं की जानकारी
कार्यक्रम में मत्स्य निरीक्षक सतरूपा जायसवाल ने बेहद सटीक और व्यावहारिक जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा मछुआ समुदाय के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें मछुआ कृषक दुर्घटना बीमा योजना, तालाब विकास योजना, मत्स्य बीज वितरण, जाल-धागा सहायता योजना प्रमुख हैं।
उन्होंने कहा कि “इन योजनाओं का लाभ उठाकर ग्रामीण न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि कुपोषण और गरीबी जैसे सामाजिक अभिशाप से भी मुक्ति पा सकते हैं।”
जनप्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका
कार्यक्रम में जनपद कृषि स्थायी समिति के सभापति श्री मनोज खरे ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मछली पालन के माध्यम से वे अपनी पारंपरिक कृषि को और भी लाभकारी बना सकते हैं। उन्होंने कहा, “आवश्यकता है केवल जागरूकता की। सरकारें योजनाएं दे रही हैं, अब किसानों को स्वयं आगे आकर इनका लाभ उठाना होगा।”
इस दौरान मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र धीवर, सत्यकली बावरे, सरपंच मनीषा योगेश वंशकार और राजेन्द्र पाटले भी उपस्थित रहे, जिन्होंने मछुआ समुदाय को हरसंभव सहयोग देने की बात कही।
समापन में साधन वितरण
कार्यक्रम के अंत में, विभाग द्वारा चयनित मछुआ कृषकों को मछली पकड़ने के जाल और धागे वितरित किए गए, जिससे वे अपने कार्य को और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकें। यह वितरण न केवल प्रोत्साहन का प्रतीक था, बल्कि मछुआरों के प्रति सरकारी प्रतिबद्धता का भी द्योतक था।
राष्ट्रीय मछुआरा दिवस का यह आयोजन न केवल सम्मान और सराहना का प्रतीक रहा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मछली पालन की उपयोगिता को भी रेखांकित करता है। कार्यक्रम के जरिए यह संदेश स्पष्ट हुआ कि मछुआ समुदाय को संगठित कर और योजनाओं से जोड़कर गांव-गांव में आर्थिक आत्मनिर्भरता और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।