अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया जिले में रिटायर हो चुकी शिक्षिका को आठ माह तक वेतन देने का मामला गरमाया। दिशा की बैठक में बरहज विधायक ने बीएसए पर लगाए गंभीर आरोप। जांच में छह-सात अन्य शिक्षकों की रिटायरमेंट तिथियों में भी गड़बड़ी उजागर।
उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक बड़ा प्रशासनिक लापरवाही का मामला सामने आया है। जिले के सदर विकास खंड अंतर्गत कंपोजिट विद्यालय बढ़या बुजुर्ग की महिला शिक्षिका शशिबाला वर्मा को सेवानिवृत्ति के बाद आठ महीने तक वेतन मिलता रहा। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब दिशा की समीक्षा बैठक में बरहज विधायक दीपक मिश्रा उर्फ शाका ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) शालिनी श्रीवास्तव पर खुलेआम गंभीर आरोप लगाए।
सेवानिवृत्ति के 8 माह बाद तक वेतन की प्राप्ति
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिक्षिका शशिबाला वर्मा को 31 मार्च 2024 को सेवा से सेवानिवृत्त हो जाना था। परंतु, मानव संपदा पोर्टल पर उनकी सेवानिवृत्ति तिथि 31 मार्च 2025 दर्ज थी। इसी वजह से उन्होंने अक्टूबर 2024 तक विद्यालय में अध्यापन कार्य जारी रखा और कुल 7.26 लाख रुपये वेतन के रूप में प्राप्त किए। जब यह तथ्य उजागर हुआ, तो शिक्षिका ने यह पूरी राशि राजकीय कोष में लौटा दी, लेकिन कार्रवाई केवल नोटिस तक सीमित रह गई।
दिशा की बैठक में हुआ विवाद, विधायक का तीखा आरोप
इस प्रकरण का खुलासा दिशा (जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति) की बैठक में हुआ, जहां विधायक दीपक मिश्रा और बीएसए शालिनी श्रीवास्तव के बीच तीखी बहस हुई। बरहज विधायक ने आरोप लगाया कि “बीएसए कार्यालय की लापरवाही और मिलीभगत” के चलते एक रिटायर शिक्षिका को महीनों वेतन दिया गया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मामला सिर्फ एक शिक्षिका का नहीं है, बल्कि यह व्यापक अनियमितता की ओर इशारा करता है।
डीएम के निर्देश पर जांच समिति गठित, कई गड़बड़ियां उजागर
विवाद बढ़ने पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने तत्काल प्रभाव से तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। सीडीओ प्रत्यूष पांडेय के नेतृत्व में गठित इस टीम में वरिष्ठ कोषाधिकारी अतुल पांडेय, डीआइओएस शिव नारायण सिंह, और एएसडीएम अवधेश निगम को शामिल किया गया।
जांच के दौरान यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि कम से कम छह से सात अन्य शिक्षकों की मानव संपदा पोर्टल पर रिटायरमेंट तिथियों में गड़बड़ी पाई गई है। इससे यह आशंका बलवती हुई है कि यह केवल एक प्रकरण नहीं, बल्कि एक बड़ी प्रणालीगत खामी है।
बीएसए कार्यालय में दस्तावेजों की गहन पड़ताल
दूसरे दिन की जांच में टीम ने बीएसए कार्यालय पहुंचकर अभिलेखों की बारीकी से जांच की। एएसडीएम अवधेश निगम ने स्पष्ट किया कि “अभी जांच प्रक्रिया चल रही है और दस्तावेजों का विश्लेषण जारी है।” उन्होंने यह भी इशारा किया कि अन्य विकासखंडों में भी इसी तरह की जांच की आवश्यकता है, जिससे और भी अनियमितताएं उजागर हो सकती हैं।
सिस्टम की लापरवाही या सुनियोजित घोटाला?
देवरिया जिले में सामने आया यह मामला शैक्षिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। एक ओर जहां तकनीकी माध्यम (मानव संपदा पोर्टल) को शिक्षकों की सेवा-समाप्ति को रिकॉर्ड करने के लिए बनाया गया था, वहीं दूसरी ओर इसी तकनीकी चूक या लापरवाही ने प्रशासन को कटघरे में ला खड़ा किया है।
यदि जांच में और मामले सामने आते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि संभवत: सुनियोजित घोटाले की नींव हो सकती है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिलाधिकारी इस पर क्या कड़ी कार्रवाई करती हैं।