मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 हादसे का शिकार हो गई। 290 की मौत, केवल एक चमत्कारिक रूप से जीवित बचा। जांच में लापरवाही और तकनीकी खामियों की आशंका।
12 जून 2025 की दोपहर ने कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI-171, उड़ान भरने के दो मिनट के भीतर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में 290 लोगों की जान चली गई, जबकि केवल एक यात्री – विश्वास कुमार रमेश – चमत्कारी रूप से जीवित बच पाया। वह ब्रिटेन में रहने वाला एक गुजराती मूल का नागरिक है।
हादसे की भयावहता: उड़ान भरते ही हादसा, मेडिकल कॉलेज की छत से टकराया विमान
दोपहर 1:39 बजे बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर ने सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी, लेकिन महज 625 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद विमान मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की छत से टकरा गया। टक्कर के साथ ही जोरदार धमाका हुआ, आग की लपटें उठीं और मलबा चारों तरफ बिखर गया। आसपास की चार इमारतें और घनी बस्ती भी इसकी चपेट में आ गईं।
लापरवाही या तकनीकी खामी? कई सवाल, कुछ जवाब अधूरे
अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस भीषण हादसे से पहले तकनीकी गड़बड़ियों की अनदेखी की गई थी? क्या विमान की उड़ान से पहले जरूरी जांच नहीं हुई थी?
यह वही विमान था जो कुछ घंटे पहले लंदन से दिल्ली और फिर दिल्ली से अहमदाबाद पहुंचा था। सोशल मीडिया पर एक यात्री ने उड़ान के दौरान एसी खराब होने और विमान के झटके खाने की शिकायत का वीडियो भी साझा किया था।
हादसे के संभावित कारण
विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा हादसा कई कारकों के संयोजन से होता है:
पूर्व से चली आ रही तकनीकी खामी
इंजन की विफलता या इलेक्ट्रिकल फॉल्ट
रनवे से पक्षी टकराने की घटना (हालांकि इस बार इसकी संभावना कम मानी जा रही है)
लापरवाही से हुई मरम्मत
या कोई साजिश — हालांकि NIA की जांच अभी शुरुआती चरण में है।
जवाबदेही की मांग: “एक्सीडेंट रोके नहीं जा सकते” बयान पर विवाद
हादसे के कुछ घंटे बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह घटनास्थल पर पहुंचे और बयान दिया – “एक्सीडेंट रोके नहीं जा सकते”। इस बयान ने विपक्ष के तीखे सवालों को जन्म दिया। सवाल यही है कि जब विमानन क्षेत्र का आधार ही सुरक्षा है, तो लापरवाही की गुंजाइश क्यों और कैसे रह गई?
राहत और बचाव: पहले पहुंचे झुग्गियों के लोग
हादसे के बाद सबसे पहले मदद को पहुंचे थे पास की झुग्गियों के लोग। उन्हीं की मदद से जीवित बचे विश्वास कुमार को एंबुलेंस तक पहुंचाया गया। हालांकि उनका भाई इस हादसे में नहीं बच पाया।
जांच की दिशा: ब्लैक बॉक्स से मिलेगी अहम जानकारी
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) घटनास्थल से बरामद कर लिए गए हैं। इससे जांच को दिशा मिल सकती है, लेकिन इसमें समय लगना तय है। एयर इंडिया, DGCA, AAIB, NTSB (अमेरिका) और ब्रिटेन की विमानन एजेंसियों की टीमें जांच में जुटी हैं।
उच्चस्तरीय बैठकें और दबे सुरों में उठते सवाल
17 जून को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें DGCA, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी और गुजरात सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। लेकिन अब तक किसी नतीजे की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
आखिर कौन जिम्मेदार?
हादसे के बाद यह सवाल और भी प्रासंगिक हो गया है – क्या उड़ान से पहले सुरक्षा जांच को लेकर कोई कोताही बरती गई? क्या DGCA और एयरलाइन की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए? क्या महज “एक्सीडेंट” कहकर पल्ला झाड़ लेना काफी है?
हवाई हादसे हमेशा चौंकाते हैं, लेकिन वे एक चेतावनी भी होते हैं – लगातार जांच, पारदर्शिता और तकनीकी अनुशासन की आवश्यकता की। अहमदाबाद हादसा सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि व्यवस्थागत लापरवाही की एक कड़ी है। अब देखना है कि जांच में क्या सामने आता है और क्या भविष्य में उड़ानें वास्तव में “ड्रीमलाइनर” बन पाएंगी या यूं ही “डरलाइनर” बनती रहेंगी?