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आपदा

तिब्बत में तबाही, टूटे पहाड़, गिरी इमारतें, मलबों में बदली कॉलोनियां … 7.1 तीव्रता के भूकंप ने कर दिया तहस नहस

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रोमा गोगोई की रिपोर्ट

साल की शुरुआत में ही तिब्बत में आए 7.1 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने कई देशों में दहशत फैला दी। मंगलवार सुबह आए इस भूकंप का असर तिब्बत के अलावा नेपाल, भारत के बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर के राज्यों और भूटान में भी महसूस किया गया।

तिब्बत में भारी तबाही

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शिजांग स्वायत्त क्षेत्र (तिब्बत) के डिंगरी काउंटी में आए इस भूकंप में 95 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। तिब्बत के दूसरे सबसे बड़े शहर शिगात्से में 6.8 तीव्रता के दूसरे भूकंप ने भारी तबाही मचाई। भूकंप के बाद कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और लोग भयभीत होकर सड़कों पर आ गए।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तुरंत बचाव अभियान शुरू करने और घायलों को मदद पहुंचाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजने, पुनर्वास कार्य तेज करने और ठंड के मौसम में निवासियों को सुरक्षित रखने के लिए आपातकालीन उपायों का आदेश दिया।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी की रिपोर्ट

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, पहला भूकंप स्थानीय समयानुसार सुबह 6:35 बजे नेपाल-तिब्बत सीमा के पास शिजांग क्षेत्र में आया। 7.1 तीव्रता का यह भूकंप अत्यधिक शक्तिशाली था। इसके बाद शिगात्से शहर में 6.8 तीव्रता का दूसरा भूकंप दर्ज किया गया। एक घंटे के भीतर 5 और झटके महसूस किए गए, जिनकी तीव्रता 4.7 और 4.9 थी। भूकंप का केंद्र भारत और यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने वाले क्षेत्र में था।

नेपाल और भारत में दहशत

भूकंप के झटके नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और भारत के विभिन्न हिस्सों में भी महसूस किए गए। सिक्किम, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वोत्तर राज्यों में लोगों ने तेज झटके महसूस किए।

नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी भूकंप का असर दिखा। झटकों के कारण लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकलकर खुले स्थानों की ओर भागे। काठमांडू की निवासी मीरा अधिकारी ने बताया, “मैं सो रही थी, अचानक बेड हिलने लगा। मुझे लगा कि मेरा बच्चा हिला रहा है, लेकिन खिड़की हिलने पर समझ आया कि भूकंप आया है। मैंने अपने बच्चे को लेकर तुरंत घर से बाहर भागी।”

बिहार में भूकंप का प्रभाव

बिहार में नेपाल से सटे इलाकों में भी भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। राज्य में आफ्टरशॉक के मामले भी दर्ज किए गए। इस घटना ने लोगों को 1934 के विनाशकारी भूकंप की याद दिला दी, जिसने 15 जनवरी को बिहार में भारी तबाही मचाई थी।

रेस्क्यू ऑपरेशन तेज

चीन में युद्धस्तर पर बचाव और राहत कार्य जारी है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचाने, आपातकालीन आपूर्ति उपलब्ध कराने और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मरम्मत का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ठंड के मौसम में प्रभावित निवासियों की जरूरतों को पूरा करने और सुरक्षित रहने की गारंटी देने की अपील की है।

तिब्बत में भूकंप का भयावह दृश्य

तिब्बत के डिंगरी काउंटी और शिगात्से शहर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। सिन्हुआ द्वारा जारी तस्वीरों में क्षतिग्रस्त मकानों और मलबे में बचावकर्मियों को जीवित लोगों की तलाश करते हुए देखा गया। तिब्बत के इस क्षेत्र में भूकंप ने न केवल जान-माल का नुकसान पहुंचाया, बल्कि लोगों के मन में गहरी दहशत पैदा कर दी है।

भविष्य के लिए सतर्कता जरूरी

यह भूकंप इस बात का संकेत है कि हिमालय क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से कितना संवेदनशील है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भविष्य में और भी बड़े भूकंप आ सकते हैं। ऐसे में भूकंप के प्रभाव को कम करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता और तैयारियां आवश्यक हैं।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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