कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
भारतीय राजनीति में बयानों को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब बयान व्यक्तिगत टिप्पणियों तक पहुंचते हैं, तो ये सार्वजनिक और राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन जाते हैं। हाल ही में ऐसा ही एक मामला सामने आया, जब भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा पर विवादास्पद टिप्पणी की। इस बयान को लेकर विपक्ष ने भाजपा को जमकर घेरा।
क्या कहा था रमेश बिधूड़ी ने?
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली के दौरान भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर कहा कि वह क्षेत्र की सड़कों को “प्रियंका गांधी के गालों जितनी चिकनी” बना देंगे। उनके इस बयान के तुरंत बाद विवाद खड़ा हो गया। राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसे महिला विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया गया।
प्रियंका गांधी का जवाब
संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बिधूड़ी के बयान को “हास्यास्पद” बताते हुए कहा, “उन्होंने कभी अपने गालों के बारे में बात नहीं की। यह सब अनावश्यक है। चुनाव के दौरान हमें दिल्ली के लोगों की असली समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।” प्रियंका गांधी के इस जवाब को राजनीतिक हलकों में सधा हुआ और प्रासंगिक माना गया।
कांग्रेस नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी पर की गई टिप्पणी पर कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा का यह बयान महिलाओं के प्रति उनकी घृणित मानसिकता को दर्शाता है। रमेश बिधूड़ी का यह बयान न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह भाजपा की महिला विरोधी सोच को भी उजागर करता है।”
महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा ने भी भाजपा नेता पर निशाना साधते हुए कहा, “बिधूड़ी ने अपनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर महिलाओं का अपमान किया है। यह उनकी आम आदत बन गई है।”
भाजपा में भी असहमति
रमेश बिधूड़ी के बयान को भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं का समर्थन नहीं मिला। पार्टी के कुछ अंदरूनी सूत्रों ने इसे अनावश्यक और अस्वीकार्य बताया। हालांकि, रमेश बिधूड़ी ने बाद में अपने बयान को वापस ले लिया, लेकिन विपक्ष ने इसे “देर से और मजबूरी में किया गया कदम” बताया।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
ऐसे बयान न केवल राजनीतिक शिष्टाचार को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की सोच पर भी सवाल खड़े करते हैं। चुनाव के दौरान इस तरह के व्यक्तिगत और अनावश्यक बयान राजनीतिक मुद्दों से ध्यान भटकाने का काम करते हैं।
इस प्रकरण ने एक बार फिर राजनीतिक विमर्श की मर्यादा और महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर विपक्ष इसे भाजपा की मानसिकता का प्रतिबिंब बता रहा है, वहीं दूसरी ओर, जनता चुनावी मुद्दों से जुड़े असली सवाल पूछने की उम्मीद करती है। अब देखना यह है कि चुनावी माहौल में यह विवाद किस ओर करवट लेता है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."