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9 January 2025 9:12 pm

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पुलिस विभाग की ऐसी चूक… .गैंगस्टर 35 वर्षों से करता आ रहा होमगार्ड की नौकरी और किसी को पता नहीं चला? 

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़ जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां नकदू यादव उर्फ नंदलाल, जो एक गैंगस्टर है, पिछले 35 वर्षों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर होमगार्ड की नौकरी करता रहा। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस दौरान पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।

शिकायत से हुआ खुलासा

पूरा मामला तब उजागर हुआ जब नकदू के भतीजे ने 3 दिसंबर 2024 को तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) वैभव कृष्ण को शिकायत दी। शिकायत में कहा गया कि उसके चाचा ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर होमगार्ड की नौकरी प्राप्त की है। शिकायत के बाद मामले की जांच की गई, जिसमें नकदू पर लगे आरोप सही पाए गए।

नकदू के खिलाफ कार्रवाई

जांच में दोषी पाए जाने पर नकदू उर्फ नंदलाल को निलंबित कर दिया गया और रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद नकदू को विधिक कार्रवाई के तहत जेल भेज दिया गया।

गैंगस्टर से होमगार्ड तक का सफर

नकदू उर्फ नंदलाल का आपराधिक इतिहास काफी लंबा है। उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती समेत कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

1984: जहानागंज थाना क्षेत्र में मुन्ना यादव की गोली मारकर हत्या के आरोप में नकदू के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

1987: डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ।

1988: उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।

इसके बावजूद, नकदू ने 1989 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर होमगार्ड की नौकरी हासिल कर ली। उसने कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया, जबकि वह चौथी कक्षा तक ही पढ़ा था।

पहचान बदलकर धोखा

नकदू ने अपनी पहचान बदलकर पुलिस को चकमा दिया। 1990 के पहले तक वह नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के नाम से जाना जाता था। 1990 में उसने नाम बदलकर नंदलाल कर लिया और इसी पहचान के साथ 35 साल तक होमगार्ड के रूप में नौकरी करता रहा।

जांच में सामने आए तथ्य

जांच में पता चला कि नकदू रानी की सराय और मेंहनगर थाने में होमगार्ड के पद पर कार्यरत था। उसने अपने आपराधिक इतिहास को छिपाने के लिए फर्जी कागजात बनाए और पुलिस विभाग को धोखा दिया।

पुलिस की प्रतिक्रिया

आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है। नकदू ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल की और 35 साल तक विभाग को धोखा दिया। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही इस बात की भी जांच की जा रही है कि वह इतने वर्षों तक पुलिस विभाग को कैसे चकमा देता रहा।

विभागीय जांच जारी

पुलिस ने यह भी कहा है कि नकदू के फर्जीवाड़े में अन्य कौन-कौन शामिल हो सकते हैं, इसकी जांच की जा रही है। विभागीय स्तर पर यह भी देखा जा रहा है कि नकदू को किसकी मदद से यह नौकरी मिली और वह इतने लंबे समय तक पकड़ा क्यों नहीं गया।

यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के लिए एक बड़ी चूक का उदाहरण है। नकदू की गिरफ्तारी और जांच से यह साफ हो गया है कि अपराधियों को पकड़ने में सख्ती के साथ विभागीय सतर्कता भी जरूरी है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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