ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत दिया है कि अब आतंक के प्रति चुप्पी नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई होगी। जानिए इस सैन्य अभियान के रणनीतिक आयाम, तकनीकी उत्कृष्टता और राजनीतिक सन्देश को विस्तार से।
➡️मोहन द्विवेदी
“विनय ना मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति।”—
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ये पंक्तियाँ भारत की बदली हुई सैन्य और कूटनीतिक नीति की सशक्त अभिव्यक्ति बन चुकी हैं। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के माध्यम से भारत ने पाकिस्तान को वही सन्देश दिया है, जो राम ने लंका जाने से पहले समुद्र को दिया था—जब विनय निष्फल हो, तब शक्ति ही उत्तर है।
संयुक्त सैन्य नेतृत्व का सधा हुआ संवाद
सोमवार को थलसेना, नौसेना और वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस सैन्य कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तान की सेना के विरुद्ध नहीं, बल्कि उसकी भूमि पर सक्रिय आतंकी ढांचे और उन्हें समर्थन देने वाले नेटवर्क को ध्वस्त करने हेतु किया गया था। भारत की सभी सैन्य शाखाएं पूर्ण तैयारी में हैं, और देश के एयरबेस पूरी तरह सक्रिय एवं सुरक्षित हैं।
लक्ष्य साधे गए, संदेश स्पष्ट था
7 से 10 मई के मध्य, भारत ने नियंत्रण रेखा (LoC) पर जबावी कार्रवाई में 35 से 40 पाकिस्तानी सैनिकों को निष्क्रिय किया। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान के भीतर 11 एयरबेस को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर भारी नुकसान पहुंचाया गया। यह कोई पारंपरिक युद्ध नहीं था, बल्कि तकनीक, सेंसर नेटवर्क और रियल टाइम डाटा पर आधारित आधुनिक रणनीतिक युद्ध का उदाहरण था।
तकनीक का वर्चस्व और स्वदेशी शक्ति
एयर मार्शल ए.के. भारती ने बताया कि भारत की वायुसेना ने तुर्की मूल के YIHA और Songar ड्रोन को मार गिराया। पाकिस्तान द्वारा छोड़े गए चीन निर्मित PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइल के अवशेष भी मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किए गए। भारत द्वारा विकसित ‘आकाश’ एयर डिफेंस सिस्टम और ‘सॉफ्ट-हार्ड किल’ एंटी-ड्रोन तकनीक ने इस ऑपरेशन में निर्णायक भूमिका निभाई।
यह सब संभव हो पाया है सरकार की स्पष्ट नीति, दीर्घकालिक बजट समर्थन और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्राथमिकता देने के कारण। बीते एक दशक में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाए गए कदम अब परिणाम देने लगे हैं।
समुद्री सीमा पर लोहे का कवच
नौसेना की तैयारी पर वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने कहा कि भारत की समुद्री सीमाओं की चौकसी मल्टी-सेंसर निगरानी प्रणाली द्वारा की जा रही है। ड्रोन, मिसाइल, फाइटर जेट्स या सर्विलांस एयरक्राफ्ट—हर खतरे के लिए लेयरड डिफेंस सिस्टम तैनात है। भारत अब किसी भी मोर्चे पर सतर्क ही नहीं, बल्कि सक्रिय है।
शांति के प्रयास और उसकी अवहेलना
शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की सहमति बनी, लेकिन उसी रात पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन कर दिया। जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन की आवाजाही और धमाकों की गूंज ने पाकिस्तान की मंशा उजागर कर दी। इसके जवाब में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस्लामाबाद को चेतावनी दी कि स्थिति की गंभीरता को समझे और ज़िम्मेदारी का परिचय दे।
डीजीएमओ का दो-टूक संदेश
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि आतंकी गतिविधियाँ अब सीधे नागरिकों को निशाना बना रही हैं और ‘पहलगाम तक पाप का घड़ा भर चुका था’। इस कार्रवाई को उन्होंने संकल्पित उत्तर बताया। उन्होंने क्रिकेट की एक प्रसिद्ध पंक्ति का हवाला देते हुए कहा—”Ashes to ashes, dust to dust, if Thommo don’t get ya, Lillee must”—यानी भारत की बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था से कोई नहीं बच सकता।
अब भारत मूकदर्शक नहीं
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की बदली हुई रणनीतिक सोच का उद्घोष है। यह संदेश है कि भारत अब आतंकवाद का मूकदर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक प्रतिउत्तर देने वाला राष्ट्र है।
आज का भारत जानता है कि शांति तब तक ही संभव है, जब तक सीमा पर सन्नाटा सशक्ति से उपजा हो। और यदि कोई सन्नाटा भंग करता है, तो उसे उत्तर भी उसी भाषा में दिया जाएगा—न्यायपूर्ण, पर निर्णायक।