
अंबेडकरनगर में ग्राम सचिव पर गंभीर आरोप, महिलाओं ने कहा—”रात में बुलाकर करता है शोषण”
अंबेडकरनगर में पंचायत सचिव पर महिलाओं को रात में बुलाकर शोषण करने और रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। डीपीआरओ जांच में जुटे हैं। ग्रामीणों ने की सख्त कार्रवाई की मांग।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले के टांडा विकास खंड में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर महिलाओं के शोषण का आरोप लगाया गया है। ग्राम पंचायत सचिव राम बलराम पर ग्रामीणों ने न केवल रिश्वत मांगने, बल्कि महिलाओं को रात में पंचायत भवन बुलाकर बरगलाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
विकास भवन पर पहुंचीं महिलाएं, उठाई न्याय की मांग
एक ओर जहां सरकार ग्रामीण विकास की योजनाओं को ज़मीन पर उतारने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार और उत्पीड़न की तस्वीरें सामने आ रही हैं। ग्राम आलमपुर शेखपुर, पियारेपुर, गौरा गूजर जोत अफज और बेलहरी गांव के सैकड़ों ग्रामीण, जिनमें महिलाएं बड़ी संख्या में थीं, गुरुवार को विकास भवन पहुंचे। वे मुख्य विकास अधिकारी (CDO) से मिलकर शिकायत दर्ज कराना चाहते थे, लेकिन सीडीओ से भेंट न होने पर उन्होंने जिला पंचायती राज अधिकारी (DPRO) से मुलाकात की और पंचायत सचिव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
शिकायत पत्र में लगाए गए गंभीर आरोप
ग्रामीणों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि ग्राम पंचायत सचिव राम बलराम मृत्यु प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई कार्यों के बदले रुपये की मांग करता है। इतना ही नहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव दिन में पंचायत भवन पर उपस्थित नहीं होता। ग्राम गौरागुजर की रहने वाली नीलम ने बताया कि,
“हमसे दस हजार रुपये लिए गए, लेकिन आज तक न आवास मिला, न नकल। उल्टे कहते हैं कि पैसा हाथ में मत दो, कागज़ में लपेटकर रख दो।”
महिलाओं को रात में बुलाने का आरोप, आक्रोशित ग्रामीणों ने की कार्रवाई की मांग
इससे भी गंभीर बात यह है कि सचिव राम बलराम पर रात में महिलाओं को पंचायत भवन बुलाकर शोषण करने का आरोप है। पीड़ितों का कहना है कि वह सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का लालच देकर महिलाओं को बरगलाता है। ग्रामीणों में इसे लेकर गहरा आक्रोश है।
प्रशासन ने लिया संज्ञान, जांच शुरू
वहीं, इस पूरे मामले में मुख्य विकास अधिकारी आनंद कुमार शुक्ल ने कहा कि,
“मामला हमारे संज्ञान में आया है। ग्रामीण कल आए थे। डीपीआरओ स्वयं जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार और महिलाओं के शोषण की जड़ें कितनी गहरी हो सकती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रशासन बिना देरी के निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दे, ताकि ग्रामीणों का भरोसा व्यवस्था पर बना रह सके और महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें।