
बिजनौर में यूपी पुलिस के सिपाही आशीष का नशे में धुत होकर ड्यूटी पर पहुंचने और सड़क पर गिरने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। AK-56 राइफल के साथ लुंज-पुंज हालत में देखे जाने पर SSP ने सिपाही को किया सस्पेंड।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
बिजनौर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश पुलिस की साख पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। कभी रिश्वत, कभी मारपीट तो अब नशे में धुत जवान—लगातार सामने आ रही घटनाएं यह दिखाती हैं कि कुछ पुलिसकर्मी विभाग की साख खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। ताजा मामला बिजनौर जिले से सामने आया है, जहां एक सिपाही ड्यूटी के दौरान नशे में इतना टल्ली हो गया कि सड़क पर बार-बार गिरता रहा।
दरअसल, वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा सिपाही आशीष है, जो यूपी पुलिस में तैनात है। हैरानी की बात यह है कि आशीष की ड्यूटी शहर के जजी चौक पर थी, जहां वह न सिर्फ शराब के नशे में धुत दिखाई दिया, बल्कि वर्दी के साथ सफेद रंग की चप्पल पहन रखी थी और कंधे पर AK-56 राइफल भी लटका रखी थी।
सबसे चिंताजनक पहलू यह था कि सिपाही बार-बार सड़क पर गिर रहा था और उठने की कोशिश कर रहा था। इस दौरान यदि राइफल गलती से चल जाती, तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी। सवाल यह भी उठता है कि जब सिपाही नशे में था, तो उसे हथियार सौंपा ही क्यों गया?
इसके अलावा, वीडियो में देखा गया कि सिपाही आशीष नशे में इतना बेहाल था कि खुद से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था। ट्रैफिक पुलिस के एक जवान और कुछ राहगीरों ने मिलकर उसे उठाया और पास बने पुलिस हेल्प बूथ में ले जाकर लिटाया।
इस शर्मनाक घटना के बाद, बिजनौर पुलिस प्रशासन हरकत में आया। जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, वैसे ही SSP अभिषेक झा ने सख्त रुख अपनाते हुए सिपाही आशीष को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। बिजनौर पुलिस ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से जानकारी साझा करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर भी लोग भड़के
वायरल वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर लोग पुलिस विभाग पर सवाल उठाने लगे। कई यूजर्स ने कहा कि ऐसे जवानों को ड्यूटी पर भेजना आम जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। लोगों ने मांग की कि ऐसे अधिकारियों की मानसिक और शारीरिक स्थिति की नियमित जांच होनी चाहिए।
यह घटना सिर्फ एक जवान की लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे विभाग की छवि पर एक गहरा धब्बा है। जहां एक ओर यूपी पुलिस अपराध नियंत्रण के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं विभाग की गरिमा और भरोसे को कमजोर करती हैं।