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27 December 2024 11:01 am

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खोया परिवार, मिला सहारा: 10 साल बाद मिला बिछड़ा पति, भिखारी जैसे थी हालत, देखते ही दौड़कर गले लगाकर दुलार करने लगी पत्नी

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जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

बलिया। अपनों से बिछड़ने का दर्द शायद वही समझ सकते हैं, जिन्होंने इसे सहा है। अपनों की अनुपस्थिति में हर लम्हा बोझिल हो जाता है। आंखें चाहे बंद हों या खुली, हर पल वही चेहरा, वही यादें सताती रहती हैं। लेकिन कुछ कहानियां ऐसे चमत्कारों की गवाह बनती हैं, जो न सिर्फ उम्मीद जगाती हैं बल्कि इंसानी रिश्तों की गहराई को भी बयां करती हैं।

उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद की एक ऐसी ही मार्मिक और अविश्वसनीय कहानी सामने आई है, जहां 10 साल से बिछड़े पति-पत्नी का मिलन हुआ है।

10 साल का इंतजार: टूटे दिल को फिर मिला संबल

बलिया जिले के सुखपुरा थाना क्षेत्र के देवकली गांव की रहने वाली जानकी देवी के लिए यह 10 साल का समय किसी परीक्षा से कम नहीं था। उनके पति मोतीचंद वर्मा मानसिक बीमारी से पीड़ित थे और 10 साल पहले अचानक घर से लापता हो गए थे। उनके जाने के बाद जानकी देवी ने तमाम मुश्किलों को सहा, लेकिन उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ा। तीन बेटों के साथ जैसे-तैसे अपनी जिंदगी का बोझ ढोते हुए उन्होंने अपने पति की तलाश जारी रखी। मंदिरों में प्रार्थना की, तांत्रिकों से मदद मांगी, लेकिन नतीजा सिफर रहा।

संयोग बना पुनर्मिलन का कारण

एक दिन जानकी देवी अपने बेटे का इलाज कराने जिला अस्पताल बलिया जा रही थीं। रास्ते में उनकी नजर एक सड़क किनारे बैठे फटे-पुराने कपड़े पहने, जख्मी हाल में एक व्यक्ति पर पड़ी। उस व्यक्ति की हालत बेहद दयनीय थी, लेकिन जानकी देवी की आंखों ने उसे तुरंत पहचान लिया। वो कोई और नहीं, बल्कि उनके 10 साल से बिछड़े पति मोतीचंद थे। पति को पहचानते ही जानकी देवी की आंखों से आंसू छलक पड़े। वह दौड़कर उनके पास पहुंचीं और किसी बच्चे की तरह उन्हें गले लगाकर फूट-फूटकर रोने लगीं।

भावुक क्षण और बिखरे हुए सपने

इस दौरान मोतीचंद वर्मा की मानसिक स्थिति इतनी खराब थी कि वे किसी को पहचान नहीं पा रहे थे। उनके चेहरे पर भूख और दर्द की छाप साफ नजर आ रही थी। लेकिन जानकी देवी के प्रेम और विश्वास के आगे ये सब फीका पड़ गया। उन्होंने अपने पति को दुलारते हुए कहा, “यही मेरे देवता हैं, जिनका मैंने 10 सालों से इंतजार किया।”

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। जिसने भी इस कहानी को सुना, उनकी आंखें नम हो गईं।

संघर्ष और प्रेम का प्रतीक

जानकी देवी और मोतीचंद वर्मा की यह कहानी सिर्फ पुनर्मिलन की नहीं, बल्कि संघर्ष, प्रेम और उम्मीद की कहानी है। यह कहानी बताती है कि प्रेम और धैर्य की शक्ति कितनी महान होती है। 10 साल के लंबे अंधेरे के बाद उनके जीवन में एक बार फिर उम्मीद का सूरज निकला है।

जानकी देवी ने अपने टूटे हुए जीवन को सहारा दिया, अपने बच्चों को पाला और अंततः अपने बिछड़े हुए पति को वापस पाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

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