जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में गंगा नदी की कछार में तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार की संभावनाओं को लेकर भारतीय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) ने खुदाई (ड्रिलिंग) का कार्य शुरू कर दिया है। इस परियोजना को सैटेलाइट इमेजिंग और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आधार पर आगे बढ़ाया गया है, जिसके बाद करीब एक अरब रुपये के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया।
बलिया के सागरपाली में ड्रिलिंग शुरू
बलिया जिले के सागरपाली गांव के पास ग्रामसभा वैना (रट्टूचक) में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे इस खुदाई का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस कार्य के लिए असम से भारी मशीनरी, क्रेन और अन्य आवश्यक उपकरण मंगाए गए हैं। ओएनजीसी की टीम ने यहां करीब 3001 मीटर की गहराई तक ड्रिलिंग करने की योजना बनाई है, जिसके बाद एक्स-रे (लॉगिंग) के माध्यम से अधिक गहन अध्ययन किया जाएगा।
तीन साल की गहन रिसर्च के बाद खुदाई शुरू
ओएनजीसी ने इस क्षेत्र में तीन वर्षों तक विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन किया, जिसके दौरान नवीनतम भूकंपीय डाटा रिकॉर्डिंग प्रणाली का उपयोग करके 2-डी सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में भू-रासायनिक, गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय (ग्रेविटी मैग्नेटिक) और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे यह संकेत मिले कि इस क्षेत्र में पेट्रोलियम पदार्थों का भंडार मौजूद हो सकता है।
प्रदेश सरकार से पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस प्राप्त
ओएनजीसी ने उत्तर प्रदेश सरकार से पेट्रोलियम खोज (एक्सप्लोरेशन) का लाइसेंस प्राप्त करने के बाद करीब आठ एकड़ भूमि को लीज पर लिया है। यह जमीन तीन वर्षों के लिए किराये पर ली गई है, जिसमें सालाना करीब 1.5 लाख रुपये का किराया अदा किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में गंगा की कछार में पहला तेल खोज अभियान
देश के अन्य हिस्सों में ओएनजीसी पहले भी नदियों की तलहटी में पेट्रोलियम पदार्थों की खोज कर चुका है, लेकिन उत्तर प्रदेश में गंगा की कछार में यह पहला प्रोजेक्ट है। ओएनजीसी के अधिकारियों का कहना है कि सागरपाली के पास इस क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार होने की प्रबल संभावना है। यदि यह परियोजना सफल रहती है, तो यह न केवल इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, बल्कि पूर्वांचल के आर्थिक और औद्योगिक परिदृश्य को भी बदल सकती है।
प्रोजेक्ट पर 100 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च
ओएनजीसी इस परियोजना पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। खुदाई के लिए असम से अत्याधुनिक उपकरण और क्रेन मंगाए गए हैं। वर्तमान में इस परियोजना स्थल पर 50 से 60 लोग कार्यरत हैं, और भविष्य में इस संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
24 घंटे चलेगा खुदाई कार्य, 1250 हॉर्सपावर का जेनरेटर लगेगा
तेल और प्राकृतिक गैस की खोज का यह कार्य 24 घंटे चलेगा। इसके लिए बिजली आपूर्ति की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। इस परियोजना के तहत 1250 हॉर्सपावर का जेनरेटर स्थापित किया गया है, जो लगभग 93 किलोवाट बिजली की आपूर्ति करेगा। जब खुदाई का कार्य पूरा हो जाएगा, तो उत्पादन विभाग अपनी प्रक्रिया शुरू करेगा।
रसायनों के सुरक्षित निष्पादन के लिए बेसपिट की खुदाई
तेल और प्राकृतिक गैस की खुदाई के दौरान जमीन से विभिन्न रासायनिक तत्व निकल सकते हैं, जिनका सुरक्षित निपटान जरूरी होता है। इसी कारण ओएनजीसी ने चिन्हित स्थान पर एक बेसपिट (तालाब) खुदवाना शुरू कर दिया है, जहां इन रासायनिक तत्वों को एकत्र कर हार्ड प्लास्टिक से ढंका जाएगा। यह प्रक्रिया पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। चूंकि इनमें से कुछ रसायन खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए इस स्थल की सुरक्षा के लिए कंटीले तारों से घेराबंदी की गई है, और 24 घंटे गार्डों की तैनाती सुनिश्चित की गई है।
पूर्वांचल के लिए आर्थिक क्रांति लाने की संभावना
अगर यह परियोजना सफल होती है, तो यह न केवल बलिया बल्कि पूरे पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दे सकती है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे का भी तेजी से विकास होगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के औद्योगीकरण और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
अब सबकी निगाहें इस प्रोजेक्ट की प्रगति पर टिकी हैं। यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो गंगा की कछार में यह खोज देश की ऊर्जा सुरक्षा में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।