चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
आगरा के राशन माफिया सुमित अग्रवाल ने चावल की तस्करी से भारी संपत्ति अर्जित कर ली है। पुलिस जांच में अब तक करीब एक करोड़ रुपये की संपत्तियों का खुलासा हो चुका है, और शेष संपत्तियों का पता लगाने के लिए लगातार कार्रवाई जारी है। पुलिस की टीम सभी अवैध संपत्तियों को चिह्नित करने के बाद कुर्की की प्रक्रिया को अंजाम देगी।
गैंग के प्रमुख सदस्य सलाखों के पीछे
सुमित अग्रवाल, जो खेरागढ़ के पीपलखेड़ा का रहने वाला है, इस संगठित राशन माफिया गैंग का सरगना बताया जा रहा है। उसके सहयोगियों में बिचपुरी निवासी हेमेंद्र उर्फ गोपाल और खेरागढ़ निवासी झब्बू पहले ही पुलिस के शिकंजे में आ चुके हैं। इन दोनों को 26 दिसंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
इसके बाद 17 जनवरी को पुलिस ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए सुमित अग्रवाल के जीजा मनीष अग्रवाल को अछनेरा में 574 बोरी चावल के साथ धर दबोचा। इस गिरफ्तारी ने मामले को और गहरा कर दिया, जिससे माफिया नेटवर्क की परतें खुलने लगी हैं।
पुलिस ने तेज़ की जांच, संपत्तियों की कुर्की की तैयारी
डीसीपी पश्चिम सोनम कुमार के अनुसार, सुमित अग्रवाल इस पूरे गैंग का मास्टरमाइंड है। पुलिस ने उसकी संपत्तियों को खंगालने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। इसके अलावा, गैंग के अन्य सदस्यों की भी पहचान की जा रही है, ताकि पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
शिकायत से खुली कालाबाजारी की पोल
मार्च 2024 में बिचपुरी निवासी कुंवरसेन ने डीएम कार्यालय में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें राशन की कालाबाजारी करने वाले कई लोगों के नाम उजागर किए गए थे। इस शिकायत में खंदारी निवासी ओम प्रकाश गुप्ता, फरह निवासी एफसीआई ठेकेदार गौरव अग्रवाल, खेरागढ़ निवासी अमित अग्रवाल, मोहन लाल, पवन कुमार, फतेहाबाद निवासी शेरू, रामबाग निवासी कुनाल, बरारा निवासी लोकेश, संजू व नैनू और आवास विकास कॉलोनी निवासी हरीश उर्फ हर्रो के नाम शामिल थे।
संपत्ति और नेटवर्क के गहराते तार
जांच एजेंसियां अब इस बात की भी पड़ताल कर रही हैं कि क्या ये सभी लोग सुमित अग्रवाल के राशन माफिया गैंग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए थे। पुलिस की टीम इन सभी के आर्थिक लेन-देन, संपत्तियों और आपराधिक गतिविधियों की जांच कर रही है। अगर इनके खिलाफ भी पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो जल्द ही इन पर भी कानूनी शिकंजा कस सकता है।
इस पूरे मामले ने यह उजागर कर दिया है कि सरकारी राशन की कालाबाजारी का एक बड़ा संगठित गिरोह काम कर रहा था, जिसमें प्रभावशाली लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस की लगातार कार्रवाई से इस गैंग की कमर टूट रही है, लेकिन जांच के दौरान और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।