संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में स्थित देवरिया जिला अपनी समृद्ध राजनीतिक विरासत और सक्रिय सियासी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। यह जिला गोरखपुर मंडल का हिस्सा है और यहां की राजनीति उत्तर प्रदेश की राजनीति पर व्यापक प्रभाव डालती है। आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए देवरिया में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। यहां के प्रमुख दलों — भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और कांग्रेस — की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ; वर्तमान स्थिति
देवरिया में भाजपा का जनाधार मजबूत है, खासकर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यहां से भारी जीत दर्ज की थी। देवरिया से रामपति राम त्रिपाठी वर्तमान सांसद हैं, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके द्वारा कराए गए विकास कार्य और क्षेत्र में उनकी सक्रियता ने उन्हें एक लोकप्रिय नेता बना दिया है। भाजपा का फोकस विकास और हिन्दुत्व पर है।
रणनीतियाँ
विकास कार्यों को प्रमुखता देकर जनता का समर्थन प्राप्त करना।
योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का लाभ उठाना, क्योंकि देवरिया क्षेत्र गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आता है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक गढ़ माना जाता है।
देवरिया जिले में सड़क, बिजली, पानी, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के नाम पर भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत की है।
चर्चित नेता
रामपति राम त्रिपाठी: वर्तमान सांसद और क्षेत्र में लोकप्रिय नेता।
श्री नंदकिशोर यादव: देवरिया सदर के विधायक, जिनकी जनाधार मजबूत है।
जगदंबिका पाल: भले ही वे बस्ती से सांसद हैं, लेकिन उनकी देवरिया में भी पकड़ मजबूत है।
समाजवादी पार्टी (सपा) ; वर्तमान स्थिति:
देवरिया में सपा की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर रही है, लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व में पार्टी अपनी स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रही है। समाजवादी पार्टी यहां यादव, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोटर्स को टारगेट कर रही है।
रणनीतियाँ
किसानों की समस्याएं, खासकर गन्ना किसानों की समस्या को उठाकर भाजपा को घेरने का प्रयास।
बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को प्रमुखता से उठाना। देवरिया में जनसभाओं और रैलियों के माध्यम से पार्टी की सक्रियता बढ़ाना।
चर्चित नेता
मंगल पांडेय यादव: सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक, जो यादव समुदाय में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।
कमल किशोर यादव: सपा का युवा चेहरा, जो क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख अपनाते हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ; वर्तमान स्थिति
बसपा की पकड़ देवरिया में अभी भी दलित और पिछड़े वर्ग में बनी हुई है, लेकिन पार्टी की सक्रियता में कमी देखी जा रही है। मायावती के नेतृत्व में पार्टी का जोर सामाजिक न्याय और कानून व्यवस्था पर है। बसपा का फोकस अपने पारंपरिक वोट बैंक को एकजुट करने पर है।
रणनीतियाँ
दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को एकजुट करके भाजपा और सपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास।आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे को उठाना।
मायावती की चुप्पी को रणनीतिक रूप में पेश कर चुनाव से पहले बड़ा दांव चलने की तैयारी।
चर्चित नेता
अंबिका चौधरी: बसपा के प्रमुख नेता, जो पार्टी के महत्वपूर्ण रणनीतिकार माने जाते हैं।
रामचरन निषाद: पार्टी के स्थानीय स्तर पर सक्रिय नेता, जो निषाद समुदाय में पकड़ रखते हैं।
कांग्रेस ; वर्तमान स्थिति
कांग्रेस पार्टी देवरिया जिले में अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने की कोशिश कर रही है। प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रियता और ‘महिला सशक्तिकरण’ के मुद्दे को उठाने के बाद पार्टी ने नए सिरे से जनाधार बनाने का प्रयास शुरू किया है।
रणनीतियाँ
किसानों के मुद्दों, महिला सुरक्षा, और बेरोजगारी पर फोकस करके युवाओं और महिलाओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश।
देवरिया में छोटे-छोटे जनसंपर्क अभियानों के जरिए कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रही है।
प्रियंका गांधी की रैलियों और सभाओं के माध्यम से क्षेत्र में पार्टी की पकड़ बढ़ाने का प्रयास।
चर्चित नेता
अखिलेश सिंह: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जो अपने बेबाक बयानों और क्षेत्र में सक्रियता के लिए जाने जाते हैं।
विवेक कुमार पांडेय: कांग्रेस के युवा नेता, जो पार्टी में नई ऊर्जा भरने का काम कर रहे हैं।
चुनावी मुद्दे और लोगों के रुझान
विकास कार्य: भाजपा का मुख्य एजेंडा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों को लेकर है।
किसान समस्याएं: गन्ना किसानों की समस्या, सिंचाई और फसल की कीमतें अहम मुद्दे हैं।
बेरोजगारी: युवा मतदाताओं में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ नाराजगी है, जिसे सपा और कांग्रेस ने अपने एजेंडे में शामिल किया है।
जातिगत समीकरण: देवरिया की राजनीति में जातिगत समीकरण का अहम रोल है। यादव, मुस्लिम, दलित और ब्राह्मण वोटर्स का प्रभावी समीकरण चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
लोगों का रुझान
भाजपा के विकास कार्यों और योगी आदित्यनाथ की छवि के चलते पार्टी के प्रति समर्थन मजबूत बना हुआ है।
सपा और कांग्रेस युवाओं और किसानों के मुद्दों को उठाकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं।
बसपा अपने पारंपरिक वोट बैंक को फिर से एकजुट करने की दिशा में काम कर रही है।
देवरिया जिले की राजनीति 2024 के चुनावों के मद्देनजर काफी रोचक मोड़ पर है। भाजपा अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखने की कोशिश कर रही है, वहीं सपा, बसपा और कांग्रेस उसे चुनौती देने के लिए तैयार हैं। जातिगत समीकरण, विकास के दावे और जनता की बदलती प्राथमिकताएं यहां की चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना सकती हैं। आगामी चुनावों में देवरिया जिले की भूमिका उत्तर प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दे सकती है।