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आजमगढ़

अवैध अस्पतालों का धड़ल्ला, जच्चा-बच्चा की जान से हो रहा खिलवाड़, सीएमओ की कार्रवाई बेअसर”

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जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट 

आजमगढ़। जिले में जच्चा-बच्चा (नवजात बच्चों) की जान को खतरे में डालने वाले अवैध अस्पतालों का संचालन बिना किसी खौफ के जारी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक कुमार के पदभार ग्रहण करने के बाद से अवैध अस्पताल संचालकों में कुछ हद तक डर की स्थिति बनी है, लेकिन इसके बावजूद कई अस्पताल चिकित्सा मानकों की अनदेखी कर रहे हैं।

सीएमओ डॉ. अशोक कुमार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन उनके प्रयासों के बावजूद जिले में कई अवैध अस्पताल बेधड़क चल रहे हैं। इन अस्पतालों में बिना किसी योग्य डॉक्टर के, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में, सिजेरियन ऑपरेशन तक किए जा रहे हैं। इससे जच्चा और बच्चा दोनों की जान को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

ऐसा ही एक मामला देउरपुर फ़ैजाबाद रोड पर स्थित श्रेयांश चिकित्सालय एवं मैटरनिटी सेंटर का है, जहां बिना किसी प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सिजेरियन ऑपरेशन किए जा रहे हैं। अस्पताल में चिकित्सा मानकों का बिल्कुल भी पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता के कारण कुछ अवैध अस्पताल बंद पाए गए, और उनके शटर भी गिरा दिए गए। लेकिन कुछ अस्पताल अभी भी बिना किसी डर के धड़ल्ले से चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, कप्तानगंज में थाने के बगल में स्थित शिवम आर्या महिला अस्पताल का संचालन अवैध रूप से जारी है।

जब संवाददाता ने इन अवैध अस्पतालों के प्रबंधकों से बातचीत करने की कोशिश की, तो कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति कैमरे पर बात करने को तैयार नहीं हुआ। इसके उलट, संवाददाता को विरोध और धमकियों का सामना करना पड़ा।

हालांकि, कुछ अवैध अस्पतालों पर सीएमओ की सख्ती का असर देखा गया, लेकिन कुछ अब भी स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए संचालित हो रहे हैं। इन अस्पतालों में मरीजों और नवजात शिशुओं की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने मामले की जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मरीजों और उनके परिजनों से बात करने पर यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि वे अवैध अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, जहां उनकी और उनके बच्चों की जान को खतरा हो सकता है।

यह स्थिति स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हो सके और अवैध अस्पतालों पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जा सके।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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