google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
जांजगीर-चांपा

भक्ति जताने की अनोखी परंपरा ; बाजा बजते ही बन जाते हैं इच्छाधारी नाग और लोटने लगते हैं कीचड़ में

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
113 पाठकों ने अब तक पढा

सुमित गुप्ता की रिपोर्ट

जांजगीर चांपा। नागपंचमी का पर्व इस बार शहर और जिले भर में पारंपरिक धूमधाम से मनाया गया। शुक्रवार को इस अवसर पर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें नगमत, कुश्ती, दहिकांदो और कबड्डी प्रतियोगिता शामिल थीं।

नागदेव की पूजा और आशीर्वाद

नागपंचमी के दिन लोग अपने घरों के आंगन और खेतों में दूध और लाई के दोने रखकर नागदेव की पूजा-अर्चना करते हैं। 

सपेरों ने नागदेव के दर्शन कराए और लोगों ने उन्हें पैसे और दूध देकर आशीर्वाद प्राप्त किया। मान्यता है कि इस दिन सांप को दूध और लाई देने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। पुरानी बस्ती के कहरापारा में भी सार्वजनिक रूप से नागदेव की पूजा की गई।

कीचड़ में भक्ति की परंपरा

इस अवसर पर नगमत और दहिकांदो की परंपराएं भी निभाई गईं। लोग कीचड़ में लेटकर और उसे उछालकर अपनी भक्ति का परिचय देते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे निभाने के बाद बैगा द्वारा फुंकने की प्रक्रिया भी होती है, जिससे नागदेव शांत होते हैं। 

पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें लोग मांदर की थाप के साथ भीमा तालाब पहुंचे और पूजन सामग्री का विसर्जन किया।

गांव-गांव में उत्सव

गांव-गांव में भी नागदेव की पूजा के साथ नगमत और दहिकांदो का आयोजन हुआ। जैजैपुर से 27 किलोमीटर दूर कैथा में बिरतिया बाबा का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां हर साल नागपंचमी के दिन दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है। इस दिन मंदिर में पूजा-अर्चना का सिलसिला सुबह से लेकर शाम तक चलता रहा और मेले में लोग जमकर खरीददारी करते रहे।

दल्हा पहाड़ पर मेला

अकलतरा से 5 किलोमीटर दूर दल्हा पहाड़ पर भी नागपंचमी के अवसर पर मेला लगा। यह मेला प्राचीन काल से यहाँ लगता आ रहा है और इस मौसम में क्षेत्र का एकमात्र मेला होने के कारण यहां करीब 15 हजार लोगों की भीड़ उमड़ी।

सुबह से ही ग्रामीण नागपूजा कर मेले में पहुंचे और सूर्य कुंड के पानी से शुद्ध होकर पहाड़ पर चढ़े। वहाँ स्थित मां भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना की गई।

इस प्रकार, नागपंचमी के पर्व पर जिले भर में धार्मिक उल्लास और पारंपरिक उत्सव की झलक देखने को मिली।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close