विनीता सिंह की रिपोर्ट
दिल्ली में पानी की कमी से एक तरफ जनता परेशान है तो दूसरी तरफ सियासत भी इसे लेकर काफी बेचैन है। बीजेपी आज दिल्ली सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने जा रही है। दिल्ली में पानी की समस्या कितनी बड़ी है ये तो वही जानता है जिसे टैंकर आने के बाद बाल्टी और डिब्बे लेकर उसके पीछे भागना पड़ता है।
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हालात ऐसे हैं कि वजीराबाद तालाब में पानी लगभग खत्म हो गया है। इससे परेशान होकर दिल्ली सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है। दिल्ली के विधायकों ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को पत्र लिखकर रविवार को मिलने का समय मांगा है।
माना जा रहा है कि आने वाले एक-दो दिन में पानी के लिए संकट खड़ा हो सकता है। लेकिन, दूसरी तरफ इस पर सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है। शनिवार को बीजेपी ने अलग-अलग इलाकों में दिल्ली सरकार के खिलाफ मोर्चा निकाला। आज भी बीजेपी नेता और कार्यकर्ता दिल्ली के अलग-अलग जोन में प्रदर्शन करने वाले हैं।
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भीषण गर्मी के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोग जल संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली को इस्तेमाल के लिए पानी कहां से मिलता है और अब दिल्ली में पानी की कमी क्यों हो रही है?
दिल्ली को पानी कहाँ से मिलता है?
दिल्ली के पास पानी का अपना कोई स्रोत नहीं है, जिसके कारण उसे पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी दिल्ली को प्रतिदिन 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत होती है और ज्यादातर पानी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से मिलता है। दिल्ली को हरियाणा से यमुना नदी, पंजाब से रावी-व्यास नदी, उत्तर प्रदेश से भाखड़ा-नांगल और गंगा नदी से पानी मिलता है।
दिल्ली में जल संकट की असली वजह क्या है?
भीषण गर्मी के कारण दिल्ली में पानी की मांग बढ़ गई है और भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। इसके साथ ही दिल्ली के ट्यूबवेल और बरसाती कुएं और आसपास की नदियां सूख गई हैं। इसके अलावा जल प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है। नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों में बढ़ते प्रदूषण के कारण उनका पानी पीने लायक नहीं रह गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली को रोजाना 1300 मिलियन गैलन पानी की जरूरत होती है और दिल्ली जल बोर्ड (DJB) करीब एक हजार एमजीडी पानी का ही उत्पादन करता है।
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मई और जून के महीनों में बारिश में भारी कमी दर्ज की गई है। दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि कम बारिश का मतलब है कि दिल्ली जल बोर्ड के लिए उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद जलाशय से पानी लेने के लिए यमुना में पर्याप्त पानी नहीं है। 674.5 फीट (समुद्र तल से ऊपर) के ‘सामान्य’ स्तर के मुकाबले, 31 मई को जलाशय में जल स्तर 670.3 फीट था।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि ऐसी स्थिति पैदा हुई है, बल्कि इस बार तो स्थिति और भी भयावह हो गई है। पिछले कुछ वर्षों में, गर्मियों में भी, वजीराबाद जलाशय में जल स्तर और भी कम रहा है। जून 2022 में यह 667.7 फीट के स्तर पर पहुंच गया। कम वर्षा के अलावा परिवहन, रिसाव और वाष्पीकरण के दौरान होने वाले नुकसान के कारण भी जल स्तर प्रभावित होता है। हरियाणा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि गर्मियों में हथनीकुंड बैराज से छोड़े जाने वाले 352 क्यूसेक पानी में से एक बड़ा हिस्सा परिवहन के दौरान बर्बाद हो जाता है।
दिल्ली को यमुना से कितना पानी आवंटित किया जाता है?
1994 में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच यमुना के जल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। इसके अनुसार, दिल्ली को मार्च से जून तक 0.076 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलता है। दिल्ली के लिए वार्षिक आवंटन 0.724 बीसीएम है। यह लगभग 435 एमजीडी के बराबर है। साल 1994 में हुए इस समझौते में 2025 में संशोधन किया जाना है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."