google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
इटावा

लोकसभा 2024 ; एक गाँव के 5 और जिले से 10 लोग एमपी बने

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
105 पाठकों ने अब तक पढा

निधि तिवारी की रिपोर्ट

समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगना एक पुरानी बात है, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

यह परंपरा मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी, और अब यह और भी मजबूत हो गई है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई का प्रभाव पूरे देश में देखा गया, जहां से उनके परिवार के पांच सदस्य सांसद चुने गए। 

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक इटावा लोकसभा सीट है। आजादी के बाद 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तुला राम ने जीत हासिल की। इसके बाद 1957 में सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया और 1962 में कांग्रेस के जीएन दीक्षित चुनाव जीते, लेकिन 1967 में फिर अर्जुन सिंह भदौरिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीतने में कामयाब रहे। जिसके बाद 1971 में शंकर तिवारी ने जीत हासिल की इटावा सीट पर कांग्रेस का कब्जा कराया।

यह देश का ऐसा इकलौता राजनीतिक परिवार है, जिसके पांच सदस्य एक साथ लोकसभा में पहुंचे हैं। इनमें अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव और आदित्य यादव शामिल हैं, जो 18वीं लोकसभा में एक साथ नज़र आएंगे।

इटावा जिले में राजनीतिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। सुनवर्षा गांव के जितेंद्र दोहरे का पहली बार इटावा लोकसभा सीट से चुनाव जीतना एक महत्वपूर्ण क्षण है। इसके साथ ही, एसपी सिंह बघेल भी आगरा से भाजपा के टिकट पर फिर से जीते हैं, जो भी एक महत्वपूर्ण घटना है। 

देवेश शाक्य भी एटा से सपा के पक्ष से चुने गए हैं, और उनके सम्बंध में बसपा सरकार में मंत्री रहे विनय शाक्य के साथ जिक्र है। 

इसके अलावा, राज्यसभा में सपा नेता प्रो. रामगोपाल यादव और भाजपा की गीता शाक्य भी संसद हैं। गीता शाक्य और एसपी सिंह बघेल का गहरा रिश्ता है, और इनके गांव औरैया जिले में हैं। इस प्रकार, इटावा और औरैया जिले के बीच राजनीतिक संबंध मजबूत हैं।

इस प्रकार, यहाँ पर राजनीतिक परिवारों की अद्वितीयता और संबंधों की बात की जा रही है, जो इटावा और औरैया जिलों में व्यापक हैं। यह दिखाता है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी ये क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं।

1977 में अर्जुन सिंह ने इस बार भारतीय लोकदल के टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन 1980 में जनता पार्टी से राम सिंह शाक्य ने जीत का परचम फहराया और 1984 में रघुराज सिंह चौधरी कांग्रेस से जीते पर 1989 में राम सिंह शाक्य जनता दल से उतरे और जीत हासिल की। आपको बता दें कि बसपा संस्थापक कांशीराम भी लोकसभा में इटावा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1991 में बसपा से कांशीराम ने सफलता हासिल की थी। अगर बात पिछले तीन लोकसभा चुनाव की करें तो 2004 में सपा रघुराज सिंह शाक्य और 2009 में सपा के प्रेमदास कठेरिया ने जीत दर्ज की जबकि 2014 में मोदी लहर के सहारे अशोक कुमार दोहरे बीजेपी का कमल खिलाने में कामयाब रहे।

एक नजर 2009 के लोकसभा चुनाव पर

साल 2009 की बात करें तो सपा के प्रेमदास ने 2 लाख 78 हजार 776 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। तो वहीं बसपा के गौरीशंकर 2 लाख 32 हजार 30 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि बीजेपी के कमलेश वर्मा 1 लाख 5 हजार 652 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।

एक नजर 2004 के लोकसभा चुनाव पर

अगर बात साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की करें तो सपा के रघुराज सिंह शाक्य ने 3 लाख 67 हजार 807 वोटों के साथ जीत हासिल की थी तो वहीं बीजेपी की सरीता भदौरिया 1 लाख 77 हजार 650 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहीं थी। जबकि बसपा के सुधींद्र भदौरया 1 लाख 30 हजार 43 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close