संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र लोकसभा 48 का चुनाव नित नए चुनावी समीकरण की ओर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है मतदाताओं की खामोशी ने विभिन्न दलों के प्रत्याशियों की धड़कनें तेज़ करने का काम किया है जिसके कारण अपनी जीत का दावा करने वाले प्रत्याशी भी ऊहापोह की स्थिति में पहुंच गए हैं उन्हें यह अंदाजा ही नहीं लग पा रहा है कि इस बार का चुनाव आख़िर किस ओर करवट लेगा l
यह आम चुनाव इस दृष्टि कोण से भी बहुत ही मायने रख रहा है कि इस चुनाव में आम जनमानस विभिन्न दलों के प्रत्याशियों को कोई ख़ास तवज्जों नहीं दे रहा है सिर्फ पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के दम पर ही टैंपो हाई किया जा रहा है जबकि जमीनी हकीकत यह है कि इन प्रत्याशियों को जनता का रुख समझ नहीं आ रहा है l
गठबंधन ने सपा प्रत्याशी शिवशंकर सिंह पटेल की जगह उनकी पत्नी कृष्णा पटेल को प्रत्याशी बनाया है जो पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के दम पर ही चुनावी नैय्या पार लगाने की तैयारी में जुटी हुई हैं बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र का क्षेत्र बड़ा होने के चलते यह प्रत्याशी आम जनता के बीच पहुंचकर सही तरीके से चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगी जिसके कारण यह पूरा चुनाव पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के दम पर ही जीतकर संसद पहुंचना चाहती हैं l
वहीं बसपा प्रत्याशी मयंक द्विवेदी भी लाव लश्कर के साथ लोकसभा क्षेत्र में पहुंच कर टैंपो हाई करते हुए नज़र आ रहे हैं जबकि मतदाताओं द्वारा खास तवज्जो नहीं दी जा रही है बसपा ने ब्राह्मण समाज के प्रत्याशी मयंक द्विवेदी को चुनाव मैदान में उतार कर चुनावी चर्चा तेज़ कर दी थी जिसके कारण बसपा प्रत्याशी द्वारा गांव गांव पहुंचकर कर जीत के दावे किए जा रहे हैं लेकिन यह दावे जमीनी हकीकत पर कितने खरे उतरते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा l
सत्ताधारी दल भाजपा से वर्तमान सांसद/प्रत्याशी आर के सिंह पटेल के चुनावी समीकरण बहुत कुछ कह रहे हैं अगर आर के सिंह पटेल ने जीत हासिल की तो वह तीसरी बार सांसद बनेंगे वहीं सत्ताधारी दल भाजपा तीसरी बार चुनाव जीतकर बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र में हैट्रिक पूरी करने का काम करेगी l
सत्ताधारी दल भाजपा के वर्तमान सांसद /प्रत्याशी आर के सिंह पटेल को लेकर जनता में काफ़ी रोष देखने को मिल रहा है वहीं सत्ताधारी दल के नेता भी बगावत पर उतारू हैं जिसके कारण चुनावी नैय्या डांवाडोल नज़र आ रही है वहीं वर्तमान सांसद आर के सिंह पटेल चुनावी नैय्या पार लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं व मोदी योगी का हवाला देते हुए चुनाव जीतने की तैयारी में जुटे हुए हैं l
सबसे बड़ा सच यह भी है कि सत्ताधारी दल भाजपा के वर्तमान सांसद/प्रत्याशी आर के सिंह पटेल राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं अपने लगभग तीन दशक से ज्यादा के राजनीतिक सफ़र में बसपा से दो बार विधायक व मंत्री, सपा से सांसद व सत्ताधारी दल भाजपा से विधायक व वर्तमान में सांसद/प्रत्याशी हैं जिसे बांदा चित्रकूट के सर्व समाज के लोग अच्छी तरह से परिचित हैं और उन्हीं के दम पर कई बार सत्ता की कुर्सी पर आसीन हुए लेकिन इस बार की स्थिति काफ़ी अलग दिखाई दे रही है जिस आर के सिंह पटेल को बसपा व सपा सहित अन्य दलों का कोर वोटर आसानी में मिल जाता था आज वही वोटर आर के सिंह पटेल से दूरियां बनाते हुए नज़र आ रहे हैं वहीं सत्ताधारी दल भाजपा के कोर वोटर भी आर के सिंह पटेल को लेकर असमंजस में बने हुए हैं l
जिससे यह साफ प्रतीत होने लगा है कि विभिन्न दलों से सत्ता की कुर्सी पर आसीन होने वाले आर के सिंह पटेल की नैय्या इस बार गोते खाती हुई नज़र आ रही है l
वहीं बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र लोकसभा 48 में क्षेत्रीय दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों द्वारा चुनावी समीकरण बिगाड़ने का काम किया जा रहा है जिसके कारण परिणाम कुछ भी हो सकते हैं बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र की जनता ने अगर राष्ट्रवाद व विकास के मुद्दों पर वोट किया तो हालात कुछ हद तक सामान्य हो सकते हैं अगर आम जनता ने जातिवाद को मुद्दा बनाया तो सत्ताधारी दल के प्रत्याशी की मुश्किलें और भी बढ़ जायेंगी।
क्योंकि, इस संसदीय क्षेत्र पर ज्यादातर प्रत्याशी पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़े वर्ग से आते हैं जो स्थानीय वोटरों में अच्छा खासा पकड़ रखते हैं जिससे यह साफ प्रतीत होने लगा है कि इस बार के चुनाव में आम जनता की ख़ामोशी कहीं बड़े बदलाव की ओर इशारा तो नहीं कर रही है l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."