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चुनाव २०२४

यहाँ हर पांचवा वोटर दलित जिसपर बीजेपी कर रही डोरे डालने का पूरा प्रयास, पढिए ये है गणित

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में दलित वोटों पर कब्जे को लेकर जबरदस्त जंग चल रही है। उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं की संख्‍या करीब 21% के आसपास है और बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बीएसपी इसके बड़े हिस्से को अपने साथ लाना चाहते हैं।

हर साल 14 अप्रैल को यह दिखाई भी देता है कि जब ये सभी राजनीतिक दल संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश व देश के अन्य राज्यों में कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके अलावा भी दलित समुदाय को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए राजनीतिक दल साल भर सक्रिय रहते हैं। साथ ही दलित समुदाय से जुड़े मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाते हैं।

लोकसभा चुनाव 2024 के ल‍िए पार्ट‍ियों की जंग लगातार तेज हो रही है। इस जंग में फतह के ल‍िए उत्‍तर प्रदेश (यूपी) को जीतना जरूरी होता है। राज्‍य से 80 सीटें हैं। बीजेपी ने प‍िछली बार इनमें से 62 पर कब्‍जा जमाया था। राज्‍य में बेहतर प्रदर्शन के ल‍िए दल‍ित वोट को अपने पाले में करना भी जरूरी माना जाता है। 

उत्‍तर प्रदेश की 80 में से 17 सीटें एससी के ल‍िए सुरक्ष‍ित हैं और राज्‍य की 20 से ज्‍यादा ज‍िलों में 25 फीसदी से ज्‍यादा आबादी दल‍ितों की है। दल‍ित वोटर्स पर कब्‍जा जमाने के ल‍िए पार्ट‍ियों में होड़ तेज है।

Dalit population Uttar Pradesh: यूपी में दलित समुदाय में किस जाति की कितनी आबादी

जाति आबादी (अनुमान‍ित आंकड़ा, प्रतिशत में)

जाटव 11.7

पासी 3.3

वाल्मीकि 3.15

गोंड, धानुक और खटीक 1.2

अन्य जातियां 1.6

राजनीतिक दलों के अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के इन जिलों में 25 प्रतिशत से ज्यादा दलित आबादी है।  

जिला आबादी (प्रतिशत में)

सोनभद्र 41.92

कौशाम्बी 36.10

सीतापुर 31.87

हरदोई 31.36

उन्नाव 30.64

रायबरेली 29.83

औरैया 29.69

झांसी 28.07

जालौन 27.04

बहराइच 26.89

चित्रकूट 26.34

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महोबा 25.78

इसके अलावा कानपुर देहात, अंबेडकर नगर, महामाया नगर, फतेहपुर, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, मीरजापुर और आजमगढ़ में भी दलित समुदाय की आबादी 25% से ज्यादा है। 

SC seats in Uttar Pradesh: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें

उत्तर प्रदेश में इटावा, जालौन, कौशाम्बी, बाराबंकी, बहराइच, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, नगीना, बांसगांव, लालगंज, मछलीशहर, बुलंदशहर, हाथरस, आगरा व राबर्ट्सगंज की 17 लोकसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। जबकि उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कुल 85 सीटें इनके लिए आरक्षित हैं।

Dalit Seats UP: यूपी में पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एसपी, आरएलडी व अन्य दलों को मिली सीटें

पार्टी 2007 व‍िधानसभा चुनाव 2009 लोकसभा चुनाव 2012 व‍िधानसभा चुनाव 2014 लोकसभा चुनाव 2017 व‍िधानसभा चुनाव 2019 लोकसभा चुनाव

बीजेपी 7 8 3 66 72 57

कांग्रेस 5 20 4 2 0 1

बीएसपी 61 24 15 5 2 17

एसपी 13 25 58 10 7 7

आरएलडी 1 5 3 0 0 0

अन्य 2 3 2 2 4 3

2019 UP Lok Sabha Election: बीजेपी ने जीती अधिकतर आरक्षित सीटें

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की आरक्षित 17 सीटों में से बीजेपी ने सभी सीटें जीती थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की आरक्षित 17 में से 15 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। 2 सीटों पर बीएसपी को जीत मिली थी। बीजेपी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के 19% जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में 13% वोट मिले थे। आंकड़ों से पता चलता है कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी आरक्षित सीटों पर लगातार अपनी पहुंच बढ़ा रही है। 

साल 2014 और 2019 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों में काफी सुधार किया था।

साल बीजेपी को मिली सीट कांग्रेस को मिली सीट एसपी को मिली सीट बीएसपी को मिली सीट

2009 में बीजेपी को 10 कांग्रेस को 21और एसपी को 23 बीएसपी को 20 सीटें मिली तो 2014 में बीजेपी को 71 कांग्रेस को 2 और एसपी को 5 सीटों पर कब्जा मिला। 2019 के आंकड़े को देखें तो भाजपा को 62 कांग्रेस को1 एसपी को 5 और बीएसपी को 10 सीटें जीतने का मौका दिया गया। 

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Kanshiram Dalit politics: कांशीराम ने कराया था राजनीतिक ताकत का अहसास

उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय को उसकी ताकत का एहसास कांशीराम ने करवाया था। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी का गठन कर दल‍ितों को एक व‍िकल्‍प द‍िया और मायावती को चार बार मुख्यमंत्री बनने का मौका म‍िला। साल 2007 में तो बीएसपी ने उत्तर प्रदेश में 206 सीट जीत कर अकेले दम पर सरकार बनाई थी। लेक‍िन, प‍िछले कुछ चुनावों में मायावती को दल‍ित वोटबैंक का फायदा नहीं म‍िल रहा है। इसल‍िए इस बार वह स्‍थ‍ित‍ि बदलने की कोश‍िश कर रही हैं।

बीजेपी के नेताओं का कहना है कि दलित समुदाय को मोदी सरकार की योजनाओं से सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा है और सरकार की योजनाएं दलित समुदाय की बेहतरी को ध्यान में रखकर ही बनाई जा रही हैं।

बीजेपी ने बीती 23 फरवरी को रविदास जयंती से दलितों के बीच अपना जनसंपर्क अभियान शुरू किया था और इसके बाद पूरे राज्य के अलग-अलग हिस्सों में दलित समुदाय की कॉलोनियों में जाकर संपर्क अभियान चलाया था और मोदी सरकार के द्वारा चलाई गई चलाई जा रही योजनाओं को उन्हें बताया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 23 फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में संत रविदास जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर दलित समुदाय से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की थी।

Ambedkar Bharat Ratna: अंबेडकर को दिया भारत रत्न

बीजेपी के नेता उत्तर प्रदेश और इसके बाहर भी लगातार इस बात को कहते हैं कि कांग्रेस ने पांच दशक से भी ज्यादा वक्त सत्ता में रहने के बाद भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया। यह एनडीए की ही सरकार थी जिसने डॉक्टर अंबेडकर को भारत रत्न का सम्मान दिया। बीजेपी के नेता इस बात पर भी जोर देते हैं कि एनडीए की सरकार के द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद ही वहां पर दलित समुदाय को आरक्षण का लाभ मिला है।

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव दलित वोटों को बसपा और बीजेपी में जाने से रोकने और अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के परंपरागत चुनावी समीकरण मुस्लिम-यादव से अलग हटकर पीडीए का फार्मूला तैयार किया है। सपा के मुताबिक पीडीए का मतलब है-पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक। सपा का कहना है कि बीजेपी आरक्षण और डॉक्टर अंबेडकर के संविधान को खत्म कर रही है। समाजवादी अंबेडकर वाहिनी ने उत्तर प्रदेश में बूथ स्तर पर संविधान बचाओ जन चौपाल की थी।

आंकड़े बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में जाटव समुदाय की ओर से सपा को मिलने वाले वोट प्रतिशत में 6% जबकि गैर जाटव दलितों की ओर से मिलने वाले वोट में 12% की बढ़ोतरी हुई थी। यहां बताना जरूरी होगा कि जाटव समुदाय को मायावती का कोर वोट बैंक माना जाता है।

Mallikarjun Kharge Dalit president: खड़गे को बनाया राष्ट्रीय अध्यक्ष

दूसरी ओर, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में इस बात का प्रचार करती है कि उसने दलित समुदाय से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है और मौजूदा अध्यक्ष अजय राय से पहले बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी थी। कांग्रेस ने बीते साल कांशीराम जयंती बड़े पैमाने पर मनाई थी और दलित गौरव संवाद अभियान भी चलाया था।

Chandrashekhar Azad Samaj Party: चंद्रशेखर लड़ रहे चुनाव

इन दलों के अलावा युवा नेता चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) भी दलित वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। चंद्रशेखर आजाद बीते कुछ सालों में सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हुए हैं और वर्तमान में नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में मार्च के महीने में जब योगी कैबिनेट का विस्तार हुआ था तो चार मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। इनमें से एक मंत्री आरएलडी के विधायक अनिल कुमार जाटव बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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