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November 22, 2024 11:03 am

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इन पांच सीटों पर ऐसा कौन सा फंसा है पेंच कि भाजपा नहीं कर रही प्रत्याशी के नामों का एलान? 

14 पाठकों ने अब तक पढा

आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होनी हैं। एक तरफ जहां राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हैं, तो दूसरी ओर राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशी भी घोषित रहे हैं। आज बीजेपी (BJP Candidate List 2024) ने यूपी के लिए अपने 7 नए प्रत्याशी घोषित किए हैं। खास बात यह है कि बीजेपी ने यूपी की 5 सीटों के लिए अभी तक अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, ये सभी सीटें बीजेपी के लिए अहम हैं क्योंकि इनमें से 4 पर पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने भगवा लहराया था।

बता दें कि बीजेपी ने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने एनडीए गठबंधन के तहत 5 सीटें यूपी के अपने छोटे सहयोगी दलों को भी दी हैं लेकिन अपने कोटे की बची 5 सीटों को लेकर, पार्टी ने अभी यह नहीं बताया है कि उसके इन सीटों पर उम्मीदवार कौन होंगे।

बीजेपी ने अभी जिन सीटों पर अपनी उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, उनमें सांसद बृजभूषण शरण सिंह और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की लोकसभा सीट भी है। 

हालांकि, इस बार सोनिया गांधी राजस्थान की राज्यसभा सीट के जरिए संसद पहुंच गई हैं और अब वह लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ने वाली हैं। इसके चलते अभी रायबरेली में, न तो बीजेपी ने कोई उम्मीदवार उतारा है और न ही कांग्रेस की तरफ से उसके प्रत्याशी को लेकर कोई संकेत मिले हैं।

कैसरगंज सीट बनी बीजेपी का सिरदर्द

पिछले चुनाव के दौरान बीजेपी ने यहां से बृजभूषण शरण सिंह को टिकट दिया था और वह बड़े अंतर से जीत कर संसद पहुंचे थे। बृजभूषण सिंह के साथ विवाद यह है कि कि वह भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं और कई महिला रेसलर्स ने उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। 

ऐसे में बीजेपी इस बार उन्हें टिकट देने से परहेज कर रही है लेकिन अभी तक वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। कयास थे कि पहले ही चरण में बीजेपी बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर एक बड़ा मैसेज दे सकती है लेकिन अब तक पार्टी या नहीं तय कर पाई है कि उनको टिकट देना है या नहीं।

अड़े हुए हैं बृजभूषण सिंह

कैसरगंज लोकसभा सीट को लेकर सूत्र बताते हैं कि बीजेपी यहां से बृजभूषण शरण सिंह के किसी करीबी या उनके परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट देने की सोच रही है लेकिन बृजभूषण इस पर भी राजी नहीं हैं। 

सूत्रों का कहना है कि बृजभूषण सिंह ने पार्टी के सामने खुलकर फिर से चुनाव लड़ने की मांग जाहिर कर दी है जिसके चलते बीजेपी आला कमान को इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने में फिलहाल मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

एक अहम बात यह भी है कि पिछले कुछ दिनों से राजपूतों की अनदेखी को लेकर बीजेपी पर उसके ही समर्थक हमलावर हैं। ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह की सीट के मामले में बीजेपी दो मोर्चों पर घिरती नजर आ रही है। बता दें कि इस सीट पर 5वें चरण में मतदान होना है।

रायबरेली में किस पर दांव?

रायबरेली से लंबे समय तक सांसद रहीं कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया और वह राजस्थान की सीट से राज्यसभा पहुंच गईं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस सीट से कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार की सदस्य और राहुल गांधी की बहन, प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनावी मैदान में उतार सकती है लेकिन अभी तक कांग्रेस रायबरेली और अमेठी दोनों ही सीटों को लेकर कुछ भी तय नहीं कर पाई है।

इसके चलते बीजेपी ने भी अभी रायबरेली सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सोनिया गांधी अच्छे-खासे मार्जिन से सीट से जीत कर संसद पहुंची थीं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस बार पार्टी के आंतरिक सर्वे में यह अंदेशा जताया गया था कि सोनिया गांधी सीट से हार भी सकती हैं, जिसके चलते उन्होंने पहले ही चुनाव लड़ने की बजाए राज्यसभा के जरिए संसद जाना सही समझा। बता दें कि रायबरेली सीट पर लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम के तहत पांचवें चरण में 20 मई को वोटिंग होगी।

इन तीन सीटों पर भी नहीं बन सकी सहमति

बृजभूषण शरण सिंह की कैसरगंज लोकसभा सीट और सोनिया गांधी की रायबरेली को छोड़ भी दें, तो उसके बावजूद बीजेपी ने तीन अन्य सीटों पर भी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, जिसकी चलते ये सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर इन सीटों पर पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित करने में इतना वक्त क्यों लग रही है। इन सीटों की बात करें तो इसमें फिरोजाबाद, भदोही और देवरिया की लोकसभा सीट शामिल हैं।

फिरोजबाद में जीत दोहराने की प्लानिंग?

सबसे पहले बात फिरोजाबाद सीट की करें तो यहां अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को प्रत्याशी बनाया है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से बीजेपी के चंद्रसेन जादौन ने जीत दर्ज की थी, उन्होंने अक्षय यादव को हराया था। 

ऐसे में बीजेपी इस बार फिरोजाबाद से किसी नए उम्मीदवार को मैदान में उतर सकती है। इसकी वजह यह है कि फिरोजाबाद समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है और बीजेपी 2019 का नतीजा दोहराने के लिए इस सीट पर किसी मजबूत कैंडिडेट पर दांव लगाने का संकेत दे रही है। बता दें कि इस सीट पर तीसरे चरण में 7 मई को वोटिंग होनी है।

भदोही में TMC से होना है BJP का मुकाबला

अगर बात भदोही लोकसभा सीट की करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से रामचंद बिंद को मैदान में उतारा था और उन्होंने सपा-बसपा के साझा प्रत्याशी रंगनाथ मिश्र को 50,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था लेकिन इस बार सपा ने भदोही की सीट, PDA गठबंधन के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस को दी है। 

टीएमसी ने इस सीट से ललितेश पति त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में भदोही में कड़ा चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है, जिसके चलते बीजेपी यहां प्रत्याशी घोषित करने में ज्यादा समय ले रही है। भदोही में छठवें चरण में 25 में को वोट डाले जाएंगे।

देवरिया सीट पर कांग्रेस के चर्चित चेहरे से होगा बीजेपी का सामना

यूपी में PDA गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को देवरिया की सीट भी दी थी, जहां से कांग्रेस ने पार्टी के काद्यावर नेता और पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। वह जोर-शोर से इस सीट पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं। अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता माने जाते हैं और वह नेशनल मीडिया चैनल्स की टीवी डिबेट्स के माध्यम से काफी चर्चित शख्सियत भी बन गए हैं।

पिछले चुनाव की बात करें तो यहां देवरिया लोकसभा सीट से बीजेपी के रमापति त्रिपाठी ने 2.5 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने बीएसपी के विनोद कुमार जायसवाल को हराया था।

देवरिया सीट वैसे तो पिछले दो चुनावों से लगातार बीजेपी के ही पास रही है लेकिन इस बार बीजेपी यहां किसी नए प्रत्याशी को मौका दे सकती हैं। देवरिया लोकसभा सीट पर सातवें चरण में 1 जून को वोटिंग होनी है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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