चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद दो कुख्यात गैंगस्टर काला जठेड़ी और योगेश टुंडा पिछले कुछ दिन खूब खबरों में रहे। मर्डर, लूट और फिरौती जैसे संगीन मामलों को लेकर जेल में बंद इन दोनों गैंगस्टर ने हाल ही में अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड से शादी रचाई है।
तिहाड़ जेल में ही एक और गैंगस्टर बंद है, जिसके पकड़े जाने की कहानी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, इस गैंगस्टर को पकड़ने के लिए पुलिस का एक अफसर रातभर हेडफोन लगाकर सोया था। अब आप कहेंगे कि गैंगस्टर के पकड़े जाने से हेडफोन का क्या कनेक्शन है? तो आइए आपको बताते हैं ये पूरी कहानी, जिसमें पुलिस की टीम ने महज 11 दिनों के भीतर इस गैंगस्टर को धर दबोचा था।
इस गैंगस्टर का नाम है हाशिम बाबा, जिसने साल 2007 में जुर्म की दुनिया में कदम रखा। हालांकि, पुलिस ने एक ऑपरेशन के तहत 2014 में उसे गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन 2016 में परौल पर बाहर आया हाशिम अंडरग्राउंड हो गया।
साल 2016 से 2020 के बीच मर्डर से लेकर फिरौती तक, कई बड़ी वारदातों को उसने अंजाम दिया, लेकिन पुलिस को उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था। हाशिम की इसी लुकाछिपी के बीच पुलिस ने एक सीक्रेट मोबाइल नंबर को ट्रैक किया, जिसे उसकी बीवी जोया इस्तेमाल कर रही थी। पुलिस ने इस नंबर पर अपने निगाहें जमा दी और इंतजार करने लगी कि कब वो हाशिम से बात करती है?
हाशिम के गुर्गे ने किया जोया को फोन
रात के तीन बजे का वक्त था, जब जोया के इस नंबर पर किसी का कॉल आया। पुलिस इस नंबर को लेकर इतनी अलर्ट थी कि स्पेशल सेल में तैनात इंस्पेक्टर विनोद बडोला रात भर हेडफोन लगाए सोए थे। गहरी नींद में सोए विनोद बडोला की आंखें रात के 3 बजे उस वक्त खुल गईं, जब उनके हेडफोन में बीप की आवाज सुनाई दी। फोन पर जोया जिससे बात कर रही थी, वो उसके पति हाशिम का ही एक गुर्गा था, और बता रहा था, ‘भाई आएंगे आपसे मिलने अभी। मैसेज करवाया है।’ कई महीनों के इंतजार के बाद अब पुलिस के पास एक पुख्ता सुराग था, जिसके जरिए वो इस गैंगस्टर तक पहुंच सकती थी।
15 मिनट के भीतर तैयार हुआ हाशिम को पकड़ने का प्लान
हाशिम ने दिल्ली पुलिस को इस कदर परेशान किया हुआ था कि उस समय के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने उसे 2 हफ्ते के भीतर पकड़ने की डेडलाइन दी थी। पुलिस को अब लीड मिल चुकी थी और अगले 15 मिनट के भीतर ही इस गैंगस्टर को दबोचने के लिए तीन टीमें तैयार कर दी गईं।
हाशिम अपनी बीवी से मिलने के लिए शाहदरा आने वाला था। लेकिन, उसके आने से पहले ही पुलिस ने अपनी फील्डिंग बिछा दी। हाशिम जिस बिल्डिंग में अपनी पत्नी से मिलने वाला था, उसके चारों तरफ पुलिस के जवान अपनी-अपनी पॉजिशन ले चुके थे। हर तरह की स्थिति से निपटने के लिए दो पुलिसकर्मियों ने एक दूसरी बिल्डिंग पर मोर्चा संभाला।
पैर में लगी गोली, तब जाकर हाथ आया हाशिम
वो 12 नवंबर 2020 का दिन था, जब हाशिम आया और अपनी बीवी से मिलने बिल्डिंग के अंदर चला गया। पहले पुलिस ने सोचा कि अंदर जाकर ही हाशिम को पकड़ा जाए, लेकिन उसके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड और इलाके की भीड़-भाड़ को देखते हुए तय किया गया कि बाहर ही उसके बिल्डिंग से निकलने का इंतजार करते हैं। करीब दो घंटे के लंबे इंतजार के बाद हाशिम जैसे ही बिल्डिंग से बाहर निकला, पुलिस ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने के लिए कहा। लेकिन, हाशिम इतनी आसानी से पकड़ में आने वाला नहीं था, उसने अपनी पिस्टल निकाली और पुलिस पर फायर कर दिया। हाशिम की गोली एक पुलिसवाले को लगी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट की वजह से वो बच गया। इसके बाद पुलिस की गोली उसके पैर में लगी और उसे दबोच लिया गया। ऑपरेशन पूरा हो चुका था और पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने 15 दिनों की जो डेडलाइन दी थी, उसमें अभी भी चार दिन बाकी थे।
Author: samachar
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