Explore

Search
Close this search box.

Search

November 22, 2024 1:30 pm

लेटेस्ट न्यूज़

“महागठबंधन” से नाता तोड़ने के बाद रविवार को राजभवन में नौवीं बार बने मुख्यमंत्री

17 पाठकों ने अब तक पढा

मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट

जनता दल-यूनाइटेड प्रमुख नीतीश कुमार ने “महागठबंधन” से नाता तोड़ने के बाद रविवार को राजभवन में नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ ही सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आगमन पर लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और नारे लगाते हुए सुने गए।

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई सरकार में कुल 8 नेताओं ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। बीजेपी से तीन- सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, प्रेम कुमार. जेडीयू से तीन- विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) के अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन और निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली।

इससे पहले जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। नीतीश ने भाजपा विधायकों के समर्थन पत्र के साथ राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। बाद में राज्यपाल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार करते हुए उनसे नई सरकार के गठन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में अपने प्रशासनिक कर्तव्यों का निर्वहन करने का अनुरोध किया। 

कई दिनों की अटकलों के बाद, जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जो 18 महीने से भी कम समय में उनका दूसरा पलटवार था। राजद और कांग्रेस से नाता तोड़कर नीतीश अब भाजपा के समर्थन से सरकार बनाएंगे, जिसका शपथ ग्रहण कुछ ही देर में होने वाला है।

नीतीश कुमार ने पद छोड़ने के कारण के रूप में महागठबंधन गठबंधन के तहत मामलों की स्थिति “ठीक नहीं” होने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित हर जगह से सुझाव मिल रहे हैं और उन्होंने इस निर्णय पर पहुंचने के लिए उन सभी की बात सुनी।

नीतीश ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने आज सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल से इस सरकार को खत्म करने के लिए कहा है। पार्टी के नेता मुझे सलाह दे रहे थे। मैंने सुना कि उन्होंने क्या कहा और मैंने इस्तीफा दे दिया है। स्थिति अच्छी नहीं थी। इसलिए, हमने संबंध तोड़ दिए हैं।” 

भाजपा ने इन्हें सौंपी जिम्मेदारी 

भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, “सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है, विजय सिन्हा उपनेता चुने गए।” गौरतलब है कि नए चेहरों को भाजपा द्वारा मौका दिए जाने का पैटर्न अब बिहार में भी स्पष्ट दिख रहा है। कहा जा रहा है कि लिए राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के।लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा, “विधायक दल की बैठक में…सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से राज्य के लोगों के कल्याण के लिए भाजपा, जदयू और अन्य एनडीए सहयोगियों के साथ बिहार में एनडीए सरकार बनाने का प्रस्ताव पारित किया। सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उपनेता चुना गया है।”

बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “यह मेरे लिए भावुक क्षण है कि आज सरकार में काम करने के लिए विधानमंडल के नेता के तौर पर मेरा चयन किया गया। मैं पार्टी नेतृत्व और सभी विधायकों का धन्यवाद देता हूं।” बिहार बीजेपी विधायक दल के उपनेता विजय सिन्हा – जो आज डिप्टी सीएम पद की शपथ ले सकते हैं – ने कहा, “हम राजद को विदाई देकर सुशासन को फिर से स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

बिहार में सियासी उथल पुथल का घटनाक्रम 

बीते कुछ दिन बिहार की राजनीति को लेकर गरम रहे हैं। शीतलहर के बीच चर्चाओं का दौर जारी रहा है। आरजेडी, जेडीयू और भाजपा ने मैराथन बैठकें की। नीतीश कुमार और उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी की दूरी भी उजागर हुई। बयानबाज़ी भी हुई।

बिहार में एक दो दिन से सत्तारूढ़ जेडी (यू)-आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन टूटने की कगार पर है, क्योंकि ऐसी संभावना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं, जिस गठबंधन से उन्होंने 2022 में ‘महागठबंधन’ बनाने के लिए अपने रास्ते अलग कर लिए हैं।

राज्य में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के एक सोशल मीडिया पोस्ट से हुई, जिसमें उन्होंने जद (यू) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जबकि ‘समाजवादी पार्टी’ शैली स्वयं प्रगतिशील होने के कारण, इसकी विचारधारा हवा के बदलते पैटर्न के साथ बदलती रहती है।

इससे पहले रोहिणी आचार्य ने एक ताजा पोस्ट में कहा था कि ‘सांप्रदायिक ताकतों’ के खिलाफ उनकी लड़ाई मरते दम तक जारी रहेगी। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ”सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी।”

बिहार में भाजपा के पास सबसे अधिक 17 सांसद हैं, जहां लोकसभा सदस्यों की कुल संख्या 40 है। नीतीश कुमार की अध्यक्षता वाली जद (यू) के पास 16 हैं, जबकि एनडीए की एक अन्य सहयोगी एलजेपी अब चाचा-भतीजे के बीच बंट गई है। पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान की जोड़ी में छह है।

243 की बिहार विधानसभा में राजद के 79 विधायक हैं; इसके बाद भाजपा के 78; जद (यू) की 45′, कांग्रेस की 19, सीपीआई (एम-एल) की 12, सीपीआई (एम) और सीपीआई की दो-दो, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) की चार सीटें, और एआईएमआईएम की एक सीट, साथ ही एक निर्दलीय विधायक। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

लेटेस्ट न्यूज़