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November 22, 2024 7:23 pm

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कोर्ट ने आदेश दिया और 40 मिनट के अंदर खुल गया राममंदिर का ताला… प्रभु सत्ता का बहुत बड़ा उदाहरण है ये सच्चाई ?

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

राम जन्मभूमि आंदोलन की नीव विश्व हिंदू परिषद ने 1984 में डाली थी। महंत अवैद्यनाथ के मार्गदर्शन में अयोध्या से लखनऊ के लिए रथ यात्रा निकाली गई। अलग-अलग जनपदों में पांच पड़ाव लेने के बाद रथ यात्रा लखनऊ पहुंची। लखनऊ के उर्मिला बाग में महंत अवैद्यनाथ ने धर्म सम्मेलन आयोजित किया था। इस धर्म सम्मेलन में यात्रा का समापन हुआ। और वहीं से राम जन्मभूमि में ताला खुलवाने और मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन का शुरुआत हुआ। 

यह बात रथ यात्रा के साथ चल रहे सरस्वती शिशु मंदिर के पूर्व प्राचार्य 76 वर्षीय त्रिलोकी नाथ शुक्ला बताते- बताते भाव विभोर हो जाते हैं।

गोंडा जिले के मुजेड़ गांव के रहने वाले सरस्वती शिशु मंदिर के पूर्व प्राचार्य त्रिलोकी नाथ शुक्ला बताते हैं कि विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि ताला खोलो और निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत 1984 में शुरू किया था। इस आंदोलन में विद्या भारती का बहुत बड़ा योगदान रहा। इस संस्था के 12 प्राचार्य अलग-अलग जगह पर प्रचार प्रसार के लिए लगाए गए थे। 

बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ सरस्वती शिशु मंदिर में प्राचार्य रहे त्रिलोकी नाथ शुक्ला को 1984 में निकाली गई रथ यात्रा में प्रसाद बांटने की जिम्मेदारी मिली थी। 

74 वर्षीय त्रिलोकी नाथ शुक्ल बताते हैं कि इस अभियान में विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ओंकार भावे, जगदीश नारायण और अष्टभुजा शरण जी शामिल थे। हम लोग लखनऊ के उर्मिला वाटिका में महंत अवैद्यनाथ का हिंदुत्व पर दिया गया गर्जना सुनकर हम लोग आंदोलन के अलग-अलग कामों की जिम्मेदारी संभालने के लिए जुट गए। धीरे-धीरे आंदोलन की रणनीति तैयार होती रही।

1 फरवरी 1986 को कोर्ट के आदेश पर जन्मभूमि का खुला ताला

25 जनवरी 1986 में अयोध्या के वकील उमेश चंद्र पांडे ने उसे समय के फैजाबाद अब अयोध्या सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर किया। उस पर मजिस्ट्रेट ने यह कहकर कि सारे दस्तावेज हाईकोर्ट के पास है। कोई आदेश नहीं किया। 

अधिवक्ता ने इस मामले को लेकर जिला जज के एम पांडे के न्यायालय पर अपील किया। इस अपील पर 31 जनवरी को पूरे दिन सुनवाई चली। 1 फरवरी 1986 को अदालत ने ताला खोलने का आदेश दे दिया। 

त्रिलोकी नाथ शुक्ला बताते हैं कि ताला खुलने का आदेश होते ही लोग खुशी से झूम उठे। उस समय हम लोग अयोध्या में मौजूद थे। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच काफी प्रयास के बाद जब ताला नहीं खुला तब उसे तोड़ा गया। 

श्री शुक्ल बताते हैं कि महंत अवैद्यनाथ के सानिध्य में रहकर बस्ती के जिला संगठन मंत्री के रुप में रहकर प्रचारक जीवन व्यतीत किया। उसे दौर में महंत अवैद्यनाथ जी का पूरे प्रदेश में जगह-जगह धर्म सम्मेलन और सहभोज होता था।

राम जन्मभूमि आंदोलन की कहानी बताते बताते पुरानी यादों में खो जाते

सरस्वती शिशु मंदिर के पूर्व प्राचार्य त्रिलोकी नाथ शुक्ल राम जन्मभूमि आंदोलन में वर्ष 1984 से लेकर 6 दिसंबर 1992 तक तरह-तरह के आंदोलन में शामिल रहे। 

आज भी राम जन्मभूमि के संघर्ष की कहानी बताते बताते वह पुरानी यादों में खो जाते हैं। विश्व हिंदू परिषद के तमाम पदाधिकारी का नाम बताते वह कहते हैं कि उन्हीं लोगों के जन जागरूकता और कारसेवकों के बलिदान का परिणाम है कि 22 जनवरी को मेरे पूज्य देव आराध्य श्री राम अपने मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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