वाराणसी

मां की मौत के बाद एक साल तक लाश के साथ सोती रहीं बेटियां, खबर डरावनी है

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ठाकुर धर्म सिंह ब्रजवासी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। वाराणसी जनपद में साल भर पहले एक महिला की मौत हो जाने के बाद उसकी लाश के साथ उसकी दो बेटियां सोती रहीं।

इतना ही नहीं जब लाश से दुर्गंध आने लगती थी तो उससे बचने के लिए दोनों बेटियां अगरबत्ती का सहारा लेती थीं।

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जांच में यह भी बात सामने आई है कि मां की लाश जब सड़ गई और उसमें कीड़े पड़ने लगे तो दोनों बेटियां मां की लाश में से कीड़े निकल कर फेंक देती थी। बुधवार को पड़ोसियों की सूचना पर लंका पुलिस वहां पहुंची तो बेटियों ने दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। उसके बाद दरवाजा तोड़कर पुलिस अंदर पहुंची तो अंदर का नजारा देखकर हैरान रह गई।

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यह पूरी घटना वाराणसी जनपद के लंका थाना क्षेत्र के मदरवां की है। दरअसल, बलिया जनपद के उभांव थाना क्षेत्र के रचौली गांव के रहने वाले रामकृष्ण पांडेय की बेटी उषा तिवारी की शादी बेल्थरा रोड निवासी देवेश्वर त्रिपाठी के साथ हुई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान महिला को दो बेटियां हुईं। जिसमें एक का नाम पल्लवी और दूसरी का नाम वैष्णवी रखा।

शादी के बाद सब कुछ ठीक-ठाक चलता लेकिन 10 साल बाद देवेश्वर और उषा तिवारी के बीच विवाद होने लगा। विवाद होने के बाद उषा तिवारी अपने मायके में रहने लगी। बाद में रामकृष्ण पांडेय बलिया से वाराणसी चले आए और वाराणसी के मदरवां इलाके में साल 2002 में उन्होंने एक मकान का निर्माण कराया।

मकान का निर्माण करने के बाद पिता ने अपनी बेटी उषा तिवारी और उषा की दोनों बेटियों को रहने के लिए छोड़ दिया और अपनी छोटी बेटी के घर लखनऊ में जाकर रहने लगे। इस दौरान फोन पर रामकृष्ण की अपनी बेटी उषा से बातचीत होती थी। रामकृष्ण की दूसरी बेटी उपासना की शादी मिर्जापुर में हुई थी। कभी-कभी उपासना और उनके पति भी मदरवां में उषा तिवारी और उनकी बेटियों से मिलने के लिए आते थे।

बीमारी के चलते 8 दिसंबर 2022 को हो गई मौत

बताया जा रहा है कि उषा तिवारी बीमार थी जिसके चलते 8 दिसंबर 2022 को उषा की मौत हो गई। मौत हो जाने के बाद पल्लवी और वैष्णवी द्वारा रिश्तेदारों को फोन करके सूचना दिया गया। सूचना मिलने के बाद जब रिश्तेदार मदरवां पहुंचे तो दोनों बहनों ने बताया कि मां का उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया है।

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हालांकि दोनों बेटियों ने अंतिम संस्कार नहीं किया और मां की लाश को उन्होंने घर में ही छुपाए रखा। रिश्तेदारों के जाने के बाद दोनों बेटियां अपनी मां की लाश के साथ ही सोती थीं। बताया जा रहा है कि इस दौरान उषा तिवारी की लाश में कीड़े पड़ गए तो दोनों बेटियां लाश से कीड़े निकाल कर उसे बाहर फेंक देती थीं।

दुर्गंध आने पर पड़ोसियों को इसकी जानकारी ना हो और उन्हें भी समस्या ना हो जिसके लिए दोनों बहनों द्वारा अगरबत्ती और धूप जलाया जाता था। पड़ोसियों द्वारा बताया गया कि दोनों बहनें अक्सर छत पर दिखाई देती थीं। छत पर ही दोनों खाना भी खाती थीं। धीरे-धीरे एक साल बीत गया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

बताया जा रहा है कि इस दौरान जो भी रिश्तेदार आते थे कोई ना कोई बहाना बनाकर दोनों बहने उन्हें वापस भेज देती थीं। पल्लवी और वैष्णवी से मिलने के लिए उनके मिर्जापुर की उनकी मौसी उपासना अपने पति के साथ भी कई बार आई लेकिन दोनों ने दरवाजा नहीं खोला। बुधवार को भी उपासना वहां पहुंची थी लेकिन दरवाजा नहीं खुला।

मां के कंकाल के पास सोई थी बहनें

उसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद लंका थाने की पुलिस जब वहां पहुंची तो दरवाजा खटखटाना पर अंदर से कोई आवाज नहीं आई। उसके बाद पुलिस ने मौजूद लोगों की उपस्थिति में दरवाजा तोड़ा। तीन दरवाजा का ताला तोड़ने के बाद पुलिस मकान के उसे कमरे में पहुंची जहां दोनों बहने अपनी मां के कंकाल के साथ सोईं थीं, तो अंदर का वाकया देखकर हर कोई हैरान रह गया।

पुलिस द्वारा कंकाल को कब्जे में लेने का प्रयास किया गया तो दोनों बहनें कहासुनी करने लगीं। हालांकि किसी तरह दोनों बहनों को पकड़ कर कमरे से बाहर किया गया और महिला के कंकाल के साथ ही जूते और कपड़े भी कब्जे में लिए गए। थानाध्यक्ष लंका शिवाकांत द्वारा बताया गया कि बेटियों की मानसिक स्थिति सही प्रतीत नहीं हो रही है।

हालांकि प्राथमिक पूछताछ में दोनों बेटियों द्वारा बताया गया कि पैसे के अभाव में उन्होंने मां का अंतिम संस्कार नहीं किया था। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल पल्लवी और वैष्णवी को मिर्जापुर के रहने वाले उनकी मौसी मौसी के संरक्षण में दिया गया है। मौसा धर्मेंद्र द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर कंकाल का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।

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"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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