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24 March 2025 3:30 pm

मिल्कीपुर उपचुनाव: खिलेगा कमल या चलेगी साईकिल? 8 फरवरी को हो जाएगा साफ

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को उपचुनाव के लिए मतदान संपन्न हो गया। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। चुनाव आयोग के अनुसार, शाम 5 बजे तक 65% मतदान दर्ज किया गया।

यह उपचुनाव अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के इस्तीफे के कारण कराया गया, क्योंकि वे लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए थे। इस सीट पर लंबे समय तक समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है, लेकिन भाजपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है, खासकर अयोध्या लोकसभा सीट पर मिली हार के बाद।

भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला

मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला है। भाजपा ने चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है।

इसके अलावा, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की ओर से संतोष कुमार चौधरी भी चुनाव लड़ रहे हैं, हालांकि मुख्य टक्कर भाजपा और सपा के बीच मानी जा रही है।

एग्जिट पोल में भाजपा को बढ़त

मतदान के बाद, ZEE के जीनिया एआई एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक, मिल्कीपुर सीट पर भाजपा को बढ़त मिल सकती है। पोल के अनुसार, भाजपा को 52% वोट मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि सपा को 48% वोट मिलने का अनुमान है।

अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो भाजपा लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार का बदला मिल्कीपुर में ले सकती है।

चुनाव प्रचार में दिग्गज नेताओं ने झोंकी ताकत

इस उपचुनाव को लेकर भाजपा और सपा दोनों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा के बड़े नेताओं ने अयोध्या के महत्व को देखते हुए जबरदस्त प्रचार किया, वहीं सपा ने भी अपनी पारंपरिक सीट को बचाने के लिए पूरा जोर लगाया।

चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों ने एक-दूसरे पर जमकर निशाना साधा। भाजपा ने राम मंदिर के मुद्दे और विकास कार्यों को केंद्र में रखा, जबकि सपा ने दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग को साधने की कोशिश की।

8 फरवरी को आएंगे नतीजे

मिल्कीपुर सीट के नतीजे 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा उपचुनाव के साथ घोषित किए जाएंगे। इस उपचुनाव का परिणाम भाजपा और सपा, दोनों के लिए बेहद अहम होगा, क्योंकि यह अयोध्या जिले की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।

अब सभी की निगाहें 8 फरवरी पर टिकी हैं, जब यह तय होगा कि मिल्कीपुर में कमल खिलेगा या सपा फिर से अपना गढ़ बचाने में कामयाब होगी।

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