आनंद शर्मा की रिपोर्ट
जयपुर: राजस्थान में एक पुरानी कहावत है कि ‘बदमाश की उमर 12 बरस’। यानी अपराधिक कार्य करने वाले ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहते। यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। राजस्थान में पिछले कुछ सालों में कई गैंगस्टर्स का खात्मा हुआ है। कुछ अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए तो कुछ आपसी गैंगवार में। कुछ मामले तो ऐसे भी सामने आ रहे हैं जहां पुलिस कस्टडी में होने के बावजूद गैंगवार में दुर्दांत अपराधी मारे गए। इन घटनाओं से साफ है कि आपराधिक दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने वाले ज्यादा दिन तक नहीं टिकते। आखिर उनका खात्मा निश्चित है। आइए राजस्थान के कुछ ऐसे गैंगस्टर के बारे में जानते हैं जिनकी कुख्यात अपराध की कहानी का अंत भी खूनखराबे के साथ हुआ।
सवाई माधोपुर में रामसिंह डकैत का एनकाउंटर
वर्ष 2003 से पहले सवाई माधोपुर में एक डकैत हुआ करता था जिसका नाम था रामसिंह। 1980 में उसने पहला मर्डर किया और जेल चला गया। जमानत पर छूटने के बाद वह खुंखार डकैत बन गया। लूट, अपहरण, फिरौती, रंगदारी, जमीनों पर कब्जे, लड़कियों को उठा ले जाना, हत्या और सामुहिक हत्या सहित सभी तरह की वारदातें करने लगा। करीब 20 साल तक डकैत रामसिंह का इतना खौफ था कि कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। बताया जा रहा है कि रामसिंह डकैत ने 50 से ज्यादा मर्डर किए थे। हत्या के 25 मुकदमें तो उसके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज थे। राजस्थान पुलिस के सिंघम कहे जाने वाले आईपीएस दिनेश एमएन अप्रैल 2002 में सवाई माधोपुर के एसपी बने। उन्हें जब डकैत रामसिंह के कारनामों का पता चला तो उन्होंने उसका पुख्ता इलाज करने की ठानी। दिनेश एमएन की टीम ने रामसिंह की तलाश करना शुरू किया। कुछ ही दिनों में पुलिस पुलिस को रामसिंह के ठिकाने का पता लग गया। खुद एसपी के तौर पर दिनेश एमएन डकैत को पकड़ने गए। पुलिस का घेरा डालने के बाद उसे सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन डकैत रामसिंह ने सरेंडर करने के बजाय पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने दनादन गोलियां चलाकर डकैत रामसिंह को भून डाला। दिनेश एमएन वर्तमान में राजस्थान पुलिस के एडीजी क्राइम हैं। उनके हाथों रामसिंह डकैत का खात्मा होने के बाद कई दुर्दांत अपराधियों ने अपराध से दूरी बना ली।
कुख्यात गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह का एनकाउंटर
राजस्थान के शेखावटी इलाके में कुछ सालों पहले गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह का खौफ था। डेढ़ दशक तक कई हत्याओं सहित गंभीर आपराधिक वारदातें करने वाला आनन्दपाल सिंह पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द था। आनन्दपाल सिंह केवल एक बार पुलिस गिरफ्त में आया था लेकिन पेशी के दौरान पुलिस वाहन पर आनन्दपाल के गुर्गों ने हमला बोल दिया और आनन्दपाल सिंह पुलिस के हथियार छिन कर फरार हो गया था। कई सालों तक पुलिस दबिश देती रही लेकिन आनन्दपाल सिंह पुलिस को नहीं मिला। जून 2017 में आईपीएस दिनेश एमएन एसओजी के आईजी थे। दिनेश एमएन ने अपनी स्पेशल टीम तैयार की और आनन्दपाल के पीछे लगा दी। जून 2017 में आनन्दपाल का भाई पुलिस के हत्थे चढ गया। उसकी निशानदेही पर चूरू जिले में आनन्दपाल सिंह के ठिकाने का पता चला। तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट और एसओजी के तत्कालीन एडिशनल एसपी करण शर्मा सहित पुलिस टीम ने आनन्दपाल सिंह को घेर लिया। उसे सरेंडर करने के लिए आगाह किया लेकिन आनन्दपाल सिंह ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में आनन्दपाल सिंह ढेर हो गया।
जोधपुर के दुर्दांत बदमाश लवली कंडारा का एनकाउंटर
अक्टूबर 2021 में जोधपुर पुलिस ने मोस्ट वांटेड बदमाश लवली कंडारा का एनकाउंटर किया था। लवली रातानाडा पुलिस थाने का हिस्ट्रीशीटर था। लम्बे समय से पुलिस को उसकी तलाश थी। अक्टूबर 2021 में इंस्पेक्टर लीलाराम को लवली कंडारा के बारे में सूचना मिली तो पुलिस टीम ने उसका पीछा किया। लीलाराम ने लवली कंडारा की गाड़ी को घेर लिया। इसी दौरान मोस्ट वांटेड बदमाश लवली ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। इंस्पेक्टर लीलाराम और उनकी टीम ने जवाबी फायरिंग को लवली कंडारा ढेर हो गया। कई दुर्दांत अपराधी पुलिस की गोलियों के शिकार हुए। कुछ बदमाशों खात्मा आपसी गैंगवार में हो गया।
कोर्ट परिसर में गैंगस्टर्स को गोलियों से भून डाला गया
17 जून 2018 को गैंगस्टर अजय जैतपुरा की चूरू जिले के राजगढ़ कोर्ट में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। अजय को पुलिस कोर्ट में पेश करने के लिए लाई थी। इस दौरान बदमाश मिंटू मोडासिया और संपत नेहरा ने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। फायरिंग के दौरान संदीप गुर्जर, प्रदीप और एडवोकेट रतनलाल प्रजापत घायल हो गए थे।
नागौर कोर्ट परिसर के बाहर गैंगस्टर संदीप सेठी की हत्या
19 सितंबर 2022 को हरियाणा के गैंगस्टर संदीप बिश्नोई उर्फ संदीप सेठी को नागौर के कोर्ट परिसर के बाहर गोलियों से भून दिया था। इस दौरान संदीप की मौके पर ही मौत हो गई। हत्यारे पहले से घात लगाकर कोर्ट परिसर के बाहर बैठे थे। गैंगस्टर संदीप सेठी कोर्ट में पेशी पर आया था। कोर्ट से बाहर निकलने के दौरान कोर्ट परिसर के ठीक बाहर तीन बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। हत्या के बाद हमलावर फरार हो गए। बाद में दिल्ली पुलिस ने हत्यारों को गिरफ्तार किया।
सीकर में गैंगस्टर राजू ठेहट की हत्या
शेखावटी के गैंगस्टर राजू ठेहट की 3 दिसंबर 2022 को सीकर में हत्या कर दी गई। हमलावर स्टुडेंट बनकर एक पीजी में रहते थे। कुछ दिनों तक रैकी करने के बाद 3 दिसंबर की सुबह करीब 9 बजे वे राजू ठेहट के घर गए। आवाज देकर राजू ठेहट को बाहर बुलाया और फिर सेल्फी ली। कुछ ही सेकंड बातों में उलझाने के बाद राजू ठेहट पर ताबड़तोड़ फायरिंग करके हत्या कर दी। बाद में हथियार लहराते हुए बदमाश भाग छूटे। हालांकि हत्या के कुछ ही घंटों बाद सभी हमलावरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
बदलापुर बना भरतपुर, गैंगस्टर कुलदीप जघीना की हत्या
राजस्थान के भरतपुर में 4 सितंबर 2022 को बीजेपी नेता कृपाल सिंह की हत्या कर दी गई थी। मुख्य आरोपी था, गैंगस्टर कुलदीप जघीना। कुछ दिनों बाद ही पुलिस ने कुलदीप और उसके साथी विजयपाल को महाराष्ट्र से दबोच लिया। बुधवार यानी 12 जुलाई 2023 को सात पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के बीच दोनों को जयपुर जेल से भरतपुर कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जा रहा था। कोर्ट में पहुंचने से पहले ही बस को कुछ बदमाशों ने रोक लिया। स्कॉर्पियों गाड़ी में सवार होकर आए 7 बदमाशों ने पुलिस की आंखों में मिर्च पाउडर डाला और कुलदीप को गोलियों से भून डाला। कुलदीप की मौत हो गई, जबकि विजयपाल गंभीर रूप से घायल हो गया।
बीकानेर जेल में मारा गया बलवीर बानूड़ा
गैंगस्टर राजू ठेहट की गैंग ने वर्ष 2014 में अपने साले की मौत का बदला लेने के लिए कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की हत्या की प्लानिंग बनाई। आनंदपाल सिंह बीकानेर जेल में बंद था। प्लानिंग के मुताबिक ठेहट गैंग के कुछ सदस्य भी बीकानेर जेल पहुंच गए। 23 जुलाई 2014 को ठेहट के गुर्गों जयप्रकाश सारण और रामपाल ने आनंदपाल सिंह पर फायरिंग की तो आनंदपाल का दोस्त बलवीर बानूड़ा बीच में आ गया। ऐसे में गोली लगने से आनंदपाल सिंह के गुर्गे बलबीर बानूड़ा की मौत हो गई। उसी समय आनंदपाल सिंह और उसके साथियों ने जेल में ही जयप्रकाश और रामपाल की पीट पीट कर हत्या कर दी थी।
पुलिस एनकाउंटर में मारा गया दारा सिंह
80 और 90 के दशक में शेखावाटी में गैंगस्टर दारा सिंह का वर्चस्व था। चूरू के रहने वाले दारा सिंह के खिलाफ करीब 30 से केस दर्ज थे। इनमें शराब तस्करी, अवैध वसूली, अपहरण, हत्याएं और लूट जैसे संगीन मामले शामिल थे। दारा सिंह पुलिस के बड़ा सिरदर्द बन गया था। 23 अक्टूबर 2006 को दारा सिंह पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। राजनीतिक रसूख के चलते पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगे। इस मामले की सीबीआई जांच हुई जिसमें सभी पुलिसकर्मी बरी हो गए।
लाला बैरागी और भानु प्रताप सिंह का भी ऐसे ही हुआ खात्मा
हाड़ौती संभाग में कुछ सालों पहले भानु प्रताप सिंह और लाला बैरागी का खौफ था। पहले दोनों दोस्त थे लेकिन बाद में दुश्मनी हो गई। दिसंबर 2008 में भानु प्रताप सिंह की गैंग ने लाला बैरागी को गोलियों से भूनने के साथ तलवार से काट कर हत्या कर दी थी। इस केस में लाला का साथी बृजराज सिंह मुख्य गवाह था। 12 मई 2009 को चित्तौड़गढ़ के पास मेनाल थाना क्षेत्र के बेंगू में भानु प्रताप ने अपने साथियों के साथ मिलकर बृजराज सिंह और जितेंद्र सिंह पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस हत्याकांड का बदला 19 अप्रैल 2011 में शिवराज सिंह गैंग ने लिया। बृजराज सिंह के भाई गैंगस्टर शिवराज सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर भीलवाड़ा के बिजोलिया में पुलिस हिरासत के दौरान ही गैंगस्टर भानुप्रताप सिंह की गोली मारकर कर हत्या दी। इस हमले में पुलिस के दो जवानों की भी मौत हुई थी।
अपराधी को किसी भी सूरत में नहीं बख्शेंगे – दिनेश एमएन
एडीजी क्राइम दिनेश एमएन का कहना है कि अपराधी समाज के खतरा होते हैं। उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। राजस्थान पुलिस खूंखार अपराधियों का पीछा करके उन्हें लगातार दबोच रही है। दिनेश एमएन ने कहा कि अपराधियों का एक ही ठिकाना है और वह है जेल। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस पिछले कुछ महीनों से विशेष अभियान चलाकर लगातार अपराधियों की धरपकड़ कर रही है। अब तक 35 हजार से ज्यादा बदमाशों को गिरफ्तार किया जा चुका है। धरपकड़ का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। जो अपराधी पुलिस पर हमला करने का दुस्साहस करते हैं, उन्हें उसी भाषा में जवाब दिया जा रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."